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जीएसटी में बार-बार बदलाव, असेसमेंट के नोटिसों से व्यापारी और माहिर दुखी

जीएसटी में बदलावों असेसमेंट के लगातार नोटिस जारी होने के कारण व्यापारी वकील और सीए सभी काफी परेशान हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Apr 2021 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 24 Apr 2021 08:00 AM (IST)
जीएसटी में बार-बार बदलाव, असेसमेंट के नोटिसों से व्यापारी और माहिर दुखी
जीएसटी में बार-बार बदलाव, असेसमेंट के नोटिसों से व्यापारी और माहिर दुखी

हरीश शर्मा, अमृतसर

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गुड एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) में लगातार किए जा रहे बदलावों, वन टाइम सेटलमेट (ओटीएस) स्कीम की समयावधि, जीएसटीआर-3 बी फाइल करने, असेसमेंट के लगातार नोटिस जारी होने के कारण व्यापारी, वकील और सीए सभी काफी परेशान हैं। सरकार की ओर से लगातार नियमों को बदला जा रहा है। जब तक पुराने नियम समझ में आते हैं तो इसी बीच संशोधन करके नई गाइडलाइन जारी कर दी जाती हैं। सरकार की इस व्यवस्था से काम करना मुश्किल हो रहा है। इन्ही सभी मुद्दों को लेकर दैनिक जागरण की ओर से जीएसटी माहिरों और व्यापारियों की एक राउंड टेबल कांफ्रेंस (आरटीसी) करवाई गई। इसमें सभी ने व्यापार में आ रही समस्याओं को रखा और सरकार व प्रशासन को उनके हल के लिए उचित कदम उठाने की अपील की। 1. विभाग की ओर से साल 2014-15 की असेसमेंट के नोटिस जारी किए जा रहे हैं। मगर खास बात यह है कि जो नोटिस जारी हो रहे हैं, उनका पोर्टल पर कहीं जिक्र नहीं है। नियमों के मुताबिक केवल लिस्टेड नोटिस ही भेजे जा सकते हैं जो बंद हो।

-एडवोकेट नवीन सहगल, प्रधान जीएसटी प्रैक्टिशनर एसोसिएशन 2. राज्य सरकार ने 2013-14 के वैट के लिए वन टाइम सेटलमेंट की तो घोषणा कर दी। पर उसकी आखिरी तारीख 30 अप्रैल रख दी है। कोविड का समय चल रहा है। इसलिए ओटीएस की तारीख बढ़ाकर 30 जून की जानी चाहिए।

-विकास खन्ना, जीएसटी माहिर 3. कोविड के कारण फिर से लेबर वापस जाना शुरू हो गई है। वहीं दूसरी तरफ विभाग नोटिस निकाल कर बिना कारण व्यापारियों को परेशान कर रहा है। इसके पीछे मंशा केवल पैसे ऐंठने की है।

-संदीप खोसला, फोकल प्वांइट इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान 4. कोविड के कारण दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में लाकडाउन लग गए हैं। इस कारण व्यापारी सी-फार्म नहीं ले पा रहे हैं। सी-फार्म को लेकर व्यापारियों को तंग किया जा रहा है। उनके रिफंड रोके जा रहे हैं और उल्टा पेनल्टी लगाई जा रही है।

-राकेश चावला, सीए 5. साल 2002-03 में सरकार ने डिमेट असेसमेंट स्कीम जारी की थी। इसमें एक लाख रुपये के पीछे 100 रुपये जमा करवाकर असेसमेंट कर दी जाती थी। इसी तरह की स्कीम फिर से जारी होनी चाहिए।

-रणजीत शर्मा, एडवोकेट 6. फ्रंट विडो बनाने के लिए कई बार लिखा जा चुका है। मगर कोई सुनवाई नहीं। एडवांस टैक्स पोर्टल पर बोल रहा होता है। मगर उस तरफ ध्यान नहीं दिया जाता। व्यापारी का थोड़ा सा बकाया हो तो नोटिस जारी कर जुर्माना लगाया जाता है जो गलत है।

-नवीन शर्मा, एडवोकेट 7. अमृतसर के सभी केसों की अपील की सुनवाई जालंधर में होती है जबकि अपील की सुनवाई अमृतसर जिले में ही होनी चाहिए। व्यापारियों को पड़ोसी शहर के चक्कर पे चक्कर काटने पड़ते हैं।

-गौरव शर्मा, सीए 8. वर्ष 2013 से 2017 तक के वैट रिफंड अभी तक राज्य सरकार की तरफ बकाया हैं जबकि केंद्र सरकार इससे तुरंत क्लियर कर देती है। मगर राज्य सरकार की ओर से अभी तक क्लियर नहीं किए गए हैं। इसका तुरंत समाधान होना चाहिए।

-मनीश अग्रवाल, व्यापारी 9. राज्य में पंजाब स्टेट डेवलपमेंट टैक्स वसूला जा रहा है। साल का 2400 रुपये अदा करना होता है। इसे तुरंत बंद करना चाहिए ताकि इस मुश्किल दौर में राहत मिल सके।

-सुनील अरोड़ा, एडवोकेट 10. अधिकारी अपनी मर्जी से किसी भी व्यापारी का आइटीसी ब्लाक कर देते हैं। यह बंद होना चाहिए। केवल पुख्ता कारण होने पर ही आइटीसी बंद होना चाहिए।

-अमित गोयंका, जीएसटी विशेषज्ञ 11. व्यापारियों को अब उन्हीं बिलों का आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) मिल सकता हैं जिसका ब्योरा विक्रेता ने पोर्टल पर एक माह में अपलोड किया होगा। कई व्यापारी तिमाही रिटर्न दाखिल करते हैं। इस कारण खरीदार के 2बी में विक्रेता का आइटीसी नहीं आता है।

-टीएस मदान, एडवोकेट 12. नए जीएसटी नंबर लेने की प्रक्रिया को सरकार ने बहुत जटिल कर दिया है। अब अधिकारियों की ओर से फिजिकल जांच के आधार की बायोमीट्रिक शोध की प्रक्रिया डाल दी गई हैं जो बिल्कुल गलत है।

-सौरव मेहरा, जीएसटी माहिर


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