सुप्रीम कोर्ट की कथनी पर सरकार संज्ञान ले: व्यापार मंडल
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल व महासचिव समीर जैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने देश में जीएसटी प्रणाली के तौर तरीकों पर नाराजगी जाहिर की।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल व महासचिव समीर जैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने देश में जीएसटी प्रणाली के तौर तरीकों पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा है कि यह कर प्रणाली अपने मकसद से भटक चुकी हैं। जज डीवाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि जीएसटी जिस प्रकार देश में लागू किया जा रहा है, वह इस कर प्रणाली के मकसद को खत्म कर रहा है। हिमाचल प्रदेश जीएसटी अधिनियम 2017 के उस प्रावधान को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया हैं कि मामले की कार्रवाई निलंबित रहने के दौरान अधिकारी चाहें तो बैंक खाते व अन्य संपत्ति जब्त कर सकता है। ऐसे में पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल भी कई बार सरकार को जीएसटी में आ रही त्रुटियों के लिए अवगत करवा चुका है। मगर सरकार संज्ञान नहीं ले रही। अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बारे में अपनी नाराजगी जाहिर की है। व्यापारियों ने बताई जीएसटी संबंधी अपनी परेशानियां: 1.व्यापारियों को अब उन्हीं बिलों की आइटीसी ( इनपुट टैक्स क्रेडिट) मिल सकता है, जिसका ब्योरा की ओर से जीएसटी पोर्टल पर एक माह के भीतर अपलोड किया गया होगा। कई व्यापारी तिमाही रिटर्न दाखिल करते हैं, इस कारण खरीदार के 2बी में विक्रेता का आइटीसी नहीं आएगा। व्यापारियों के लाखों रुपये आइटीसी में फंस जाएंगे जिससे व्यापारियों से ज्यादा टैक्स वसूला जाएगा। साथ ही व्यापारी पांच प्रतिशत से ज्यादा मौजूदा आइटीसी का लाभ नहीं ले सकते जो पहले 10 प्रतिशत था।
2. नए जीएसटी नंबर लेने की प्रक्रिया को सरकार ने बहुत जटिल कर दिया गया है। अब अधिकारियों की फिजिकल जांच, आधार की बायोमीट्रिक शोध की प्रक्रिया डाल दी गई है।
3. ई-वे बिल की समयसीमा की अवधि को 100 किलोमीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 200 टन कर दी है। इसे बदला जाए।
4. एक महीने में 50 लाख से ज्यादा टर्न ओवर करने वाले व्यापारिक अदारे अब 100 प्रतिशत आइटीसी नहीं ले सकते। यह भी गलत है।
5. पांच करोड़ से कम टर्न ओवर करने वाले व्यापारिक अदारों को अब तीन महीने के बाद रिटर्न का विकल्प तो हैं लेकिन इन्हें पिछली रिटर्न के हिसाब से हर महीने 35 प्रतिशत टैक्स जमा करवाना होगा।
6. व्यापारियों का अब मौजूदा जीएसटी नंबर बिना दलील अपील के अधिकारियों की ओर से निलंबित किया जा सकता है। जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का एक मुख्य कारण बनने जा रहा हैं।
7. जीएसटी में डिमांड को लेकर अब व्यापारी की प्रापर्टी अटैच करने का प्रावधान रखा गया है।
8. क्लबों व संस्थाओं के सदस्यों में लेन-देन पर जीएसटी का प्रावधान हटाया जाए।