किसानों को पराली प्रबंधन के लिए सरकार दे प्रति एकड़ वित्तीय मदद
किसान का खेत में पराली को आग लगाना आज पंजाब में आम बात हो चुका है।
जागरण टीम, अमृतसर : किसान का खेत में पराली को आग लगाना आज पंजाब में आम बात हो चुका है। इसका असर खेत की मिट्टी पर ही नहीं बल्कि इंसानों की जिदगी पर भी दिखाई देने लगा है। इस विकराल समस्या को हल करने के लिए राज्य सरकार सिर्फ बातों या विज्ञापन पर ही निर्भर नहीं रहे बल्कि इसे गंभीरता से लेते हुए किसानों पर जिम्मेवारी थोपने की बजाए अपने सिर पर यह जिम्मेदारी ले। जिस तरह सरकारें हर साल किसानों के लाखों रुपये के कर्ज माफ करती है, उसी तरह किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रति एकड़ वित्तीय मदद दे। तभी इस समस्या का जल्द समाधान हो सकेगा। उद्योगपतियों ने यह बातें मंगलवार को यहां 'दैनिक जागरण' कार्यालय में आयोजित राउंड टेबल कांफ्रेंस के दौरान कहीं। इस दौरान उद्योगपतियों ने दैनिक जागरण के अभियान पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे की सराहना करते हुए कहा कि गांवों में किसानों को जागरूक कर शहर में उद्योगपतियों को इससे जोड़ना पराली जलाने से रोकने का एक बड़ा प्रयास है।
जमीन के हिसाब से आर्थिक मदद दे सरकार
उद्योगपति व सेवानिवृत बैंक अधिकारी मनमोहन सिंह ने कहा कि पराली प्रशासनिक और आर्थिक समस्या है। सरकार के पास राज्य के एक-एक किसान की खेतीवाली जमीन का आंकड़ा उपलब्ध है। पराली प्रबंधन में किसानों के लिए सबसे बड़ी मुश्किल पैसे की आती है। अगर सरकार इस मुश्किल का हल करने को गंभीर है तो उसे फसल की कटाई से कुछ दिन पहले हर किसान के बैंक खाते में जमीन के हिसाब पैसा डाल दे। यह भी चेतावनी दे कि अगर कोई किसान खेत में पराली को आग लगाता है तो उसे मिलने वाली मुफ्त या सब्सिडी वाली बिजली पर पक्के तौर पर रोक लगा दी जाएगी।
पराली प्रबंधन के लिए बने अलग मंत्रालय
उद्योगपति हरमोहिदर सिंह जोगी ने कहा कि पराली कई यूनिटों के लिए फ्यूल का काम करती है। अकेले किसान के लिए पराली की संभाल करना संभव नहीं। इसके लिए सरकार को अलग से मंत्रालय बनाना चाहिए और इसके लिए अलग से बजट रखना चाहिए। सरकार मेडिसन पर हर साल लाखों करोड़ रुपये खर्च कर लोगों को मुफ्त सेहत सुविधा देती है। अगर इसी बजट को ही किसान को प्रति एकड़ वित्तीय मदद दे दे तो शायद अगले कुछ सालों बाद दवाओं के लिए बजट रखने की ही जरूरत नहीं पड़ेगी।
कार्रवाई की बजाय स्थाई हल ढूंढे सरकार
फोकल प्वाइंट इंडस्ट्रियल वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष व उद्योगपति संदीप खोसला ने कहा कि आज अमृतसर का वायु प्रदूषण पंजाब में सबसे आगे है। सरकार को तो सबसे पहले सोचना होगा कि किसान पराली को खेत में आग क्यों लगाता है और पराली को आग नहीं लगाने वाले किसान को किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। किसान अन्नदाता है तो उस पर सख्ती नहीं की जा सकी। बल्कि सरकार को स्थाई हल ढूंढना होगा। गांवों के लोगों पर कोर्ट से ज्यादा पंचायत का असर होता है। पंचायतों में यह बात पहुंचानी चाहिए ताकि वे आगे किसान को पराली को आग लगाने से रोकने के लिए जागरूक करे।
पराली की कीमत मिलेगी तो कोई क्यों जलाएगा
टेक्सटाइल मेन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन के ऑनरेरी महासचिव राजीव खन्ना ने कहा कि आज अत्याधुनिक मशीनरी आ चुकी है। जिससे धान की कटाई के साथ ही पराली को गांठों का रूप देकर अलग कर दिया जाता है। सरकार को चाहिए कि वह किसान धान या गेहूं की कटाई के सीजन में मुफ्त सुविधा मुहैया करवाए। सरकार ऐसी एजेंसियों के साथ बात कर उन्हें गांवों तक लाए जो पराली को फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल करती हैं। किसान को जब पराली की कीमत मिलने लगेगी तो वह खुद ही धान की कटाई के बाद पराली को खेत से बाहर निकाल किनारे कर देगा।