नियम तोड़ सरकारी डाक्टर ने निजी अस्पताल में जाकर की डिलीवरी, जच्चा-बच्चा की मौत
डाक्टरी पेशा एक बार फिर बदनाम हुआ। गर्भवती महिला की डिलीवरी के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई।
नितिन धीमान, अमृतसर: डाक्टरी पेशा एक बार फिर बदनाम हुआ। गर्भवती महिला की डिलीवरी के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। जिस डाक्टर ने डिलीवरी की वह गायनोकोलाजिस्ट नहीं था। गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) स्थित सर्जरी विभाग में कार्यरत इस सरकारी डाक्टर ने नियमों और अपनी विशेषज्ञता के विपरीत निजी अस्पताल में आकर डिलीवरी की। सरकारी डाक्टर के अलावा एक निजी स्टाफ नर्स ने भी पैसे को ही सब कुछ समझा। उसने एक गायनी डाक्टर के लेटरपैड का प्रयोग किया और आठ महीने तक गर्भवती को दवाएं देती रहीं। जच्चा-बच्चा की मौत के बाद आक्रोश में आए स्वजनों ने पुलिस और स्वास्थ्य विभाग से कार्रवाई की गुहार लगाई है।
झब्बाल रोड स्थित गांव इब्बन के रहने वाले गुरप्रीत सिंह ने बताया कि दस माह पूर्व उसका विवाह मधु से हुआ था। 25 वर्षीय मधु गर्भवती हुई तो उन्होंने न्यू अमृतसर में सुखविदर कौर से संपर्क किया। सुखविदर खुद को डाक्टर बताती थी। उसने श्री गुरु रामदास अस्पताल की एक गायनी डाक्टर के लेटरपैड पर दवाएं और टेस्ट लिखे। 25 जून को मधु को प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो उन्होंने सुखविदर को फोन किया। सुखविदर के कहने पर वह मधु को तरनतारन रोड स्थित एनएस अस्पताल ले आया। वहां गुरु नानक देव अस्पताल के सर्जरी विभाग में कार्यरत डा. भूपिदर सिंह वालिया और एक अन्य गायनी डाक्टर राखी सरीन थीं। डिलीवरी के बाद मधु ने जुड़वा बेटियों को जन्म दिया। इनमें से एक की मौत हो गई, जबकि मधु के लगातार रक्तस्त्राव होता रहा। डा. वालिया ने उनासे कहा कि मधु की हालत बिगड़ रही है। उसे यहां से दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ेगा। डाक्टर के कहने पर मधु को दूसरे अस्पताल पहुंचाया गया। वहां आकर मालूम हुआ कि मधु की बच्चेदानी निकाल दी गई है। इस अस्पताल में डा. वालिया और डा. राखी सरीन भी पहुंचे। कुछ देर बाद मधु की मौत हो गई। गुरप्रीत के अनुसार मधु की मौत के बाद जब उन्हें शव दिया गया तो उसकी छाती पर कट लगे हुए थे। मधु के पेट में थी रसौली, डाक्टर ने नहीं दी जानकारी
गुरप्रीत के अनुसार मधु के पेट में रसौली भी थी। नर्स सुखविदर ने सात फरवरी को अल्ट्रासाउंड करवाया था, तब उसने हमें बताया नहीं। इस बारे में हमें एक परिचित डाक्टर ने रिपोर्ट देखकर बताया था। सुखविदर कौर ने खुद को डाक्टर बताकर हमें गुमराह किया था। मैं उसे एमडी डाक्टर समझकर घर जाता रहा। सहायक सिविल सर्जन को जांच सौंपी
गुरप्रीत ने मामले की शिकायत थाना सी डिवीजन पुलिस में की। हालांकि पुलिस ने सिविल सर्जन कार्यालय से मशवरा मांगा है। दूसरी तरफ शिकायत मिलने के बाद सहायक सिविल सर्जन डा. अमरजीत सिंह ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद सब कुछ सामने आ जाएगा। मेरे परिचित परिवार से थी मधु, मदद करने गया था : डा. वालिया
निजी अस्पताल में प्रैक्टिस न करने की एवज में सरकार ने नान प्रैक्टिस अलाउंस लेने वाले गुरु नानक देव अस्पताल स्थित सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. भूपिदर सिंह वालिया ने कहा कि मैं निजी अस्पताल गया था। मधु के रिश्तेदार मेरी पहचान वाले हैं। उनके फोन पर वहां गया। ज्यादा सेवाभाव दिखाने से अपना ही नुकसान होता है। मेरे साथ भी वही हो रहा है। हालांकि शिकायतकर्ता गुरप्रीत ने कहा कि डा. वालिया की उनके परिवार से कोई जान पहचान नहीं। वह वहां प्रैक्टिस करते हैं और झूठ बोले रहे हैं। मैंने सिर्फ अल्ट्रासाउंड के लिए दिया था लेटरपैड: डा. मीनू
गुरु रामदास अस्पताल की गायनी डाक्टर मीनू ने कहा कि नर्स सुखविदर कौर को मैं जानती हूं। मैं सिर्फ अल्ट्रासाउंड करवाने के के सुखविदर को स्लिप दी थी। हालांकि डा. मीनू के इस कथन में सच्चाई नहीं, क्योंकि उनके लैटरपैड पर सुखजिदर ने टेस्टों के साथ-साथ दवाएं व ट्रीटमेंट की सारी जानकारी दर्ज की है। इससे साफ है कि यह सब मिलीभगत से चल रहा है।