कोरोना काल में गांव माहल की सरकारी डिस्पेंसरी बदहाल
। कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित सरकारी डिस्पेंसरियां बदहाल हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित सरकारी डिस्पेंसरियां बदहाल हैं। रामतीर्थ रोड स्थित गांव माहल की सरकारी डिस्पेंसरी में मरीजों को डॉक्टर नहीं दिख रहे। एकमात्र एएनएम व दर्जा चार कर्मचारी कार्यरत है, जो न तो मरीजों को दवाएं देने में सक्षम है और न ही किसी तरह का उपचार। सूरतेहाल यह है कि 1500 जनसंख्या घनत्व वाला यह गांव चिकित्सा सुविधाओं से वंचित हो गया है।
दरअसल, कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग ने डिस्पेंसरी के मेडिकल ऑफिसर को यहां से हटाकर घनुपुर काले सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में भेज दिया। घनुपुर में कोविड-19 के सैंपल लिए जाते हैं। वहीं डिस्पेंसरी में कार्यरत एक महिला डॉक्टर चार दिन पूर्व दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसी महिला डॉक्टर के पास अस्पताल की अलमारी की चाबी है, जिसमें दवाएं रखी हैं। वहीं एक महिला कर्मचारी मेटरनिटी लीव पर है। कुल मिलाकर इस डिस्पेंसरी में अब एक मात्र एएनएम है। डिस्पेंसरी में प्रतिदिन तीस से पैंतीस मरीज आते हैं, पर एएनएम इन्हें दवा देने में न तो सक्षम है और अलमारी की चाबी न होने की वजह से वह दवाएं दे भी नहीं सकती।
गांव निवासी बिक्रम सिंह के अनुसार स्वास्थ्य विभाग इस डिस्पेंसरी में पूरा स्टाफ भेजे। 1985 से संचालित इस डिस्पेंसरी का सर्वाधिक लाभ जनरल बीमारियों से ग्रसित मरीजों एवं गर्भवती महिलाओं को मिलता है। अब मरीज को शहर में स्थित सेटेलाइट अस्पताल या सिविल अस्पताल में जाना पड़ रहा है। वैसे भी यह इमारत अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है। दो कमरों पर आधारित डिस्पेंसरी का फर्श जगह-जगह से बैठ चुका है। किसी भी पल यह इमारत धराशायी हो सकती है।