शिअद की सियासी उलझन का लोगोंवाल को मिला फायदा, दोबारा बने एसजीपीसी प्रधान
लोगोंवाल को फिर से एसजीपीसी का प्रधान चुन लिया गया है, जबकि रघुजीत सिंह को सीनियर वाइस-प्रेजीडेंट, बिकर सिंह को जूनियर प्रेजीडेंट और गुरबचन सिंह करमूवाल को महासचिव चुना गया।
जेएनएन, अमृतसर। जत्थेदार गोबिंद सिंह लोंगोवाल को मंगलवार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) का दोबारा अध्यक्ष चुन लिया गया। कई सालों बाद इस मौके पर बड़ा हंगामा नहीं हुआ। मात्र दो-तीन सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए इजलास का बहिष्कार किया। अध्यक्ष चुनने के सारे अधिकार एसजीपीसी सदस्यों ने सोमवार को अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को सौंप दिए थे। सुखबीर ने लोंगोवाल को अध्यक्ष बनाकर साफ संकेत दे दिया है कि वे नाराज चल रहे टकसाली नेताओं के आगे समझौता नहीं करेंगे। लोंगोवाल के अध्यक्ष बनने से इस पद की आस लगाए कई वरिष्ठ नेताओं को मायूसी हाथ लगी है।
एसजीपीसी के मुख्यालय तेजा सिंह समुंदरी हाल में हुए जनरल इजलास में एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जगीर कौर ने लोंगोवाल का नाम पेश किया। पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ व अलविंदर पाल सिंह पखोके ने इसका समर्थन किया।
मक्कड़ समर्थन करने के बाद हाउस से चले गए जिससे उनका असंतोष सामने आ गया। कोई और नाम पेश न होने के कारण हाउस में मौजूद सदस्यों ने जयकारे लगाते हुए सर्वसम्मति से लोंगोवाल को अध्यक्ष चुन लिया। इस अवसर पर श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, तख्त केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह, तख्त पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह, श्री अकाल तख्त साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी मलकीत सिंह आदि भी मौजूद थे।
बैैंस व हुसैनपुरा ने की नारेबाजी
लोगोंवाल के चुनाव के दौरान एसजीपीसी सदस्य बलङ्क्षवदर सिंह बैंस और महिंदर सिंह हुसैनपुरा ने नारेबाजी की। दोनों ने बेअदबी करवाने का आरोप लगाते हुए बहिष्कार कर दिया।
बीबी किरणजोत कौर से माइक छीना, मीडिया कर्मियों से धक्कामुक्की
एसजीपीसी की सदस्य बीबी किरणजोत कौर सिख इतिहासकार डॉ. कृपाल सिंह के खिलाफ एसजीपीसी द्वारा की गई कार्रवाई के विरोध में प्रस्ताव पेश करने लगीं तो कुछ सदस्यों ने माइक छीन लिया। वे भी बहिष्कार कर बाहर मीडिया से बात करने लगीं तो अकाली नेता हरी सिंह जीरा के पुत्र अवतार सिंह ने मीडिया कर्मियों से धक्कामुक्की की।
अन्य पदाधिकारी
रघुजीत सिंह विर्क दोबारा बने वरिष्ठ उपाध्यक्ष
बिक्कर सिंह बने जूनियर उपाध्यक्ष
गुरबचन सिंह कर्मूवाल फिर बने महासचिव
11 सदस्यीय कार्यकारिणी
बाबा गुरमीत सिंह त्रिलोकीवाला, भाई मंजीत सिंह, अमरीक सिंह विछोया, खुशविंदर सिंह भाटिया, शिंगारा सिंह लोहियां, जरनैल सिंह करतारपुर, तारा सिंह सल्ल, भूपिंदर सिंह पहलवान, अमरीक सिंह कोट शमीर, बीबी जसबीर कौर जफरवाल और जगजीत सिंह तलवंडी को 11 सदस्यीय कार्यकारिणी में सर्वसम्मति से चुना गया है।
153 सदस्यों ने लिया हिस्सा
चुनाव प्रक्रिया में शिअद समर्थक एसजीपीसी के 153 सदस्यों ने हिस्सा लिया। विपक्ष के नेता सुखदेव सिंह भौर ने पहले ही इजलास का बायकाट कर दिया था। इसलिए विपक्ष द्वारा कोई नाम किसी पद के लिए नहीं पेश किया गया। कुल 185 सदस्यों में नौ की मौत हो चुकी है, जबकि दो ने इस्तीफा दे दिया है। बाकी ने चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया।
अकाली दल के लिए मायने
राहत
- जत्थेदार लोंगोवाल पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के विश्वसनीय माने जाते हैैं। इसलिए पार्टी लीडरशिप के खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे।
- उनकी साफ-सुथरी छवि है। विवादित मामलों से दूर रहते हैैं।
- एसजीपीसी की जिम्मेदारियों में धर्म प्रचार प्रमुख है। जत्थेदार लोंगोवाल का इस पर ज्यादा फोकस रहता है।
चुनौती
- भविष्य में कई और टकसाली अकाली नेताओं की नाराजगी बढ़ सकती है क्योंकि वे लोंगोवाल को हटाने की मांग कर रहे थे।
- पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे चुके राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा और सख्त रुख अपना सकते हैैं।
- एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर और जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ व तोता सिंह अपनी उपेक्षा से मायूस दिखे। वे अभी तो शांत हैैं लेकिन मौका देखकर मोर्चा खोल सकते हैैं।
अकाली सरकार में मंत्री रह चुके हैं लोंगोवाल
लोंगोवाल चार बार विधायक रह चुके हैं। तीन बार वह शिअद के टिकट पर चुनाव जीते। वह अकाली सरकार में मंत्री भी रहे हैं। वह शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के करीबी व विश्वासपात्र माने जाते हैं। माना जा रहा है कि इसी कारण उन्हें यह पद दोबारा हासिल हुआ है।
पिछली बार विधानसभा चुनाव हार गए थे
गोबिंद सिंह लोंगोवाल अकाली दल के प्रधान रहे संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के शिष्य थे। संत हरचंद सिंह लोंगोवाल ने गोबिंद लोंगोवाल को अपना उत्तराधिकारी भी घोषित किया था और श्री गुरुद्वारा कैंबोवाल (लोंगोवाल) की गद्दी सौंपी थी। चार बार विधानसभा पहुंचे संत गोबिंद सिंह लोंगोवाल 1997 की सरकार में सिंचाई राज्यमंत्री रहे हैं।
वह 1985, 1997 व 2002 तीन बार धनौला विधानसभा सीट से जीतने के बाद 2007 में उन्हें शिकस्त खानी पड़ी थी। फिर नई हलकाबंदी के चलते धनौला विधानसभा क्षेत्र भंग होने के कारण अकाली दल ने उन्हें 2012 में धूरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया, जिसमें उन्हें शिकस्त मिली।
उन्होंने 2015 में धूरी से कांग्रेस विधायक अरविंद खन्ना के त्यागपत्र देने के बाद हुए उपचुनाव में उन्होंने विजय हासिल की। फिर 2017 के चुनावों में धूरी से सुखबीर बादल के खासमखास हरी सिंह को टिकट मिलने के चलते लोंगोवाल को तत्कालीन वित्तमंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा की सीट सुनाम से चुनाव लड़ाया गया था, जहां उन्हें हार मिली।
एसजीपीसी : सिखों की मिनी पार्लियामेंट
एसजीपीसी सिखों की मिनी पार्लियामेंट मानी जाती है। ऐसे में सभी की नजरें दरबार साहिब परिसर में स्थित इसके मुख्यालय तेजा सिंह समुंदरी हाल में हुए एसजीपीसी के जनरल इजलास पर टिकी थीं। एसजीपीसी की स्थापना लंबे संघर्षों के बाद 15 नवंबर 1920 को हुई थी। सिख धर्मिक स्थानों व गुरुद्वारा साहिबों को महंतों के प्रबंधों से छुड़वाकर एसजीपीसी की मैनेजमेंट के तहत लाने में इसकी विशेष भूमिका रही है।
कौन कौन रह चुके हैं एसजीपीसी के अध्यक्ष
सिख गुरुद्वारा एक्ट लागू होने से पहले
प्रधान का नाम | कब से कब तक |
सुंदर सिंह मजीठिया | 12 अक्टूबर 1920 से 14-8-1921 तक |
बाबा खड़क सिंह | 14-8-1921 से 19-2-1922 |
सुंदर सिंह रामगडिया | 19-2-1922 से 16-7-1922 |
बहादर मेहताबसिंह | 16-7-1922 से 27-4-1925 |
मंगल सिंह | 27-4-1925 से 2-10-1926 |
गुरुद्वारा एक्ट लागू होने के बाद रहे अध्यक्ष
बाबा खड़क सिंह | 2-10-1926 से 12-10-1930 |
मास्टर तारा सिंह | 2-10-1930 से 17-6-1933 |
गोपाल सिंह | 17-6-1933 से 18-6-1933 |
प्रताप सिंह शंकर | 18-6-1933 से 13-6-1936 |
मास्टर तार सिंह | 13-6-1936 से 19-11-1944 |
मोहन सिंह नागोके | 19-11-1944 से 28-6-1948 |
उधम सिंह नागोके | 28-6-1948 से 18-3-1950 |
चन्न सिंह उराड़ा | 8-3-1950 से 26-11-1950 |
उधम सिंह नागोके | 26-11-1950 से 29-6-1952 |
मास्टर तारा सिंह | 29-6-1952 से 5-10-1952 |
प्रीतम सिंह खुड़ंज | 5-10-1952 से 18-1-1954 |
ईशरसिंह मंझैल | 18-1-1954 से 7-2-1955 |
मास्टर तारा सिंह | 7-2-1955 से 21-5-1955 |
बावा हर किशन सिंह | 21-5-1955 से 7-7-1955 |
ज्ञान सिंह राड़ेवाल | 7-7-1955 से 16-10-1955 |
मास्टर तारा सिंह | 16-10-1955 से 16-11-1958 |
प्रेम सिंह लालपुरा | 16-11-1958 से 7-3-1960 |
मास्टर तारा सिंह | 7-3-1960 से 30-4-1960 |
अजीत सिंह बाला | 30-4-1960 से 10-3-1961 |
मास्टर तार सिंह | 10-3-1961 से 11-3-1962 |
कृपाल सिंह चक्क शेरवाला | 11-3-1962 से 2-10-1962 |
चन्न सिंह | 2-10-1962 से 30-11-1972 |
गुरचरन सिंह टोहड़ा | 6-1-1973 से 23-3-1986 |
काबल सिंह | 23-3-1986 से 30-11-1986 |
गुरचरन सिंह टोहरा | 30-11-1986 से 28-11-1990 |
बलदेव सिंह सिबिया | 28-11-1990 से 13-11-1991 |
गुरचरन सिंह टोहरा | 28-11-1991 से 13-10-1996 |
गुरचरन सिंह टोहरा | 20-12-1996 से 16-3-1999 |
बीबी जगीर कौर | 16-3-1999 से 30-11-2000 |
जगदेव सिंह तलवंडी | 30-11-2000 से 27-11-2001 |
किरपाल सिंह बडूंगर | 27-11-2001 से 20-7-2003 |
गुरचरन सिंह टोहरा | 20-7-2003 से 31-3-2004 |
अलविंदर पाल सिंह | 1-4-2004 से 23-9-2004 |
बीबी जगीर कौर | 23-9-2004 से 23-11-2005 |
अवतार सिंह मक्कड़ | 23-11-2005 से 5-11-2016 |
प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर | 5-11-2016 से 28-11-2017 |
गोबिंद सिंह लोंगोवाल | 28-11-2017 से अब तक |