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हवा क्वालिटी जांचने के लिए जीएनडीयू में लगेगा पीएम 2.5 सेंसर

।जापान की रिसर्च आफ ह्यूमनिटी एंड नेचर संस्था के सहयोग से गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (जीएनडीयू) में हवा की क्वालिटी जांचने वाला पीएम 2.5 सेंसर जल्द स्थापित किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 08:27 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 08:27 PM (IST)
हवा क्वालिटी जांचने के लिए जीएनडीयू  
में लगेगा पीएम 2.5 सेंसर
हवा क्वालिटी जांचने के लिए जीएनडीयू में लगेगा पीएम 2.5 सेंसर

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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जापान की रिसर्च आफ ह्यूमनिटी एंड नेचर संस्था के सहयोग से गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (जीएनडीयू) में हवा की क्वालिटी जांचने वाला पीएम 2.5 सेंसर जल्द स्थापित किया जाएगा। इससे जीएनडीयू कैंपस के अलावा पूरे शहर की हवा क्वालिटी के आंकड़े तैयार किए जाएंगे। इससे पहले दरबार साहिब के पास ऐसा सेंसर लगाया गया है। यह जानकारी जीएनडीयू के बोटैनिकल एंड एनवायर्नमेंट विभाग के प्रो. एमएस भट्टी ने दी।

वह पर्यावरण में हो रहे बदलाव पर बुधवार को करवाए गए वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि सेंसर लगने के बाद हवा की क्वालिटी सुधारने के लिए पहले से भी ज्यादा प्रयास किए जाएंगे। साथ ही इस पर गंभीरता से रिसर्च भी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि जापान की इस संस्था के वैज्ञानिक प्रो. सचिको हयाशिदा के प्रयास से जीएनडीयू को यह सेंसर मुफ्त में मुहैया करवाया जा रहा है।

इससे पहले इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस, बेंगलुरू के वैज्ञानिक प्रो. जे श्रीनिवासन ने पर्यावरण में हो रहे बदलाव को दूर करने के लिए पेश आ रही चुनौतियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नई तकनीकों के साथ पर्यावरण में आ रहे असंतुलन को दूर करने के लिए वैज्ञानिक तरीके से प्रयास किए जाने चाहिए। पर्यावरण में बदलाव को संतुलित करना इस समय बहुत बड़ी चुनौती है।

इस दौरान वीसी डा. जसपाल सिंह संधू ने कहा कि हमारे आसपास का माहौल ही जीवन स्तर को तय करता है। अगर हमारे आसपास सांस लेना, खाना-पीना, रहन-सहन आदि की क्वालिटी ठीक नहीं है। इस पर गंभीरता से चिता करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जीएनडीयू में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई तरह के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि जीएनडीयू साफ-सफाई को लेकर देश की नंबर यूनिवर्सिटी का खिताब मिला। इसी कड़ी के यूनिवर्सिटी परिसर में नए पौधे लगाए जा रहे हैं। पूरा जंगल तैयार किया जा रहा है। जीएनडीयू परिसर में ई-बसें जल्द ही चलाई जाएंगी।


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