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जीएनडीएच को अब बाहर से नहीं खरीदनी पड़ेगी ऑक्सीजन

कोरोना वायरस ने मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग की आंखों खोल दी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 11:38 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 11:38 PM (IST)
जीएनडीएच को अब बाहर से नहीं खरीदनी पड़ेगी ऑक्सीजन
जीएनडीएच को अब बाहर से नहीं खरीदनी पड़ेगी ऑक्सीजन

नितिन धीमान, अमृतसर

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कोरोना वायरस ने मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग की आंखों खोल दी हैं। इस संकटकाल में विभाग द्वारा संचालित गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में ऑक्सीजन की आपूर्ति निरंतर जारी रखने के लिए वर्ष 2012 में स्थापित किया गया ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने की तैयारी की जा रही है। प्लांट की पुरानी पाइपें व वायरिग बदल दी गई है। संभावित है कि अगले माह इस प्लांट से गैस की आपूर्ति शुरू हो सकेगी।

दरअसल, मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग के मंत्री ओमप्रकाश सोनी ने इस बंद प्लांट को शुरू करवाने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन को आदेश दिए थे। इसके बाद चंडीगढ़ से आई तकनीकी टीम ने जांच के बाद प्लांट की पाइपें व वायरिग बदलने की सलाह दी। पिछले एक माह से यह काम जारी है। इस प्लांट में लिक्विड गैस की स्टोरेज के लिए छह हजार लीटर क्षमता का एक टैंक पहले से ही इंस्टॉल है, जबकि अब बीस हजार लीटर क्षमता का दूसरा टैंक लगाया जा रहा है।

वास्तविक स्थिति यह है कि जीएनडीएच में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या अप्रत्याशित ढंग से बढ़ रही है। इस अनुपात में ऑक्सीजन की खपत भी बढ़ गई है। कोरोना काल से पहले जहां अस्पताल में प्रतिदिन 200 सिलेंडरों की खपत होती थी, वहीं अब यह 800 तक जा पहुंची है। इससे विभाग को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा था। 25 प्रतिशत कम खर्च होगा

ऑक्सीजन का उत्पादन ऑक्सीजन प्लांट में ही किया जाएगा, लेकिन इसके लिए लिक्विड गैस निजी कंपनी से मंगवाई जाएगी, जिसे ऑक्सीजन में परिवर्तित किया जाएगा। ऑक्सीजन प्लांट से ही यह गैस पूरे अस्पताल में सप्लाई होगी। अस्पताल में तैयार होने वाली ऑक्सीजन मार्केट में मिलने वाली ऑक्सीजन से 25 प्रतिशत सस्ती होगी। इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस ले लिया है। 175 रुपये में खरीदते थे एक सिलेंडर

जीएनडीएच में वर्तमान में एक निजी कंपनी से ऑक्सीजन के सिलेंडर खरीदे जाते हैं। इन सिलेंडरों को गैसेज यूनिट में लगाकर पाइपों के जरिए सभी वॉर्डों में ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है। दूसरी तरफ कोरोना काल में ऑक्सीजन की मांग बढ़ने की वजह से अस्पताल को अतिरिक्त गैस सिलेंडर मंगवाने पड़ रहे थे। एक सिलेंडर 175 रुपये में मिलता था। प्रतिदिन तकरीबन 800 सिलेंडर खपत हो रहे थे।


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