ब्लड बैंक को कई बार दिया खून, एक बार मांगा तो दिखाए तेवर
श्री गुरु रामदास ब्लड डोनेशन सेवा सोसाइटी का यह वालंटियर अपनी गर्भवती बहन के लिए रक्त लेने पहुंचा था।
नितिन धीमान, अमृतसर
गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) स्थित ब्लड बैंक में कई बार अपना खून दान करने वाले ने जब एक बार अपनी बहन के लिए खून मांगा तो ब्लड बैंक के कर्मियों ने तेवर दिखा दिए। श्री गुरु रामदास ब्लड डोनेशन सेवा सोसाइटी का यह वालंटियर अपनी गर्भवती बहन के लिए रक्त लेने पहुंचा था।
जतिदर के अनुसार उसकी गर्भवती बहन इंद्रजीत जीएनडीएच के बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर में भर्ती है। वह आठ माह की गर्भवती है। डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड करवाने के बाद तत्काल डिलीवरी का फैसला लिया। साथ ही बी-पॉजिटिव ब्लड लाने को कहा। 'इमरजेंसी ब्लड नीड' लिखी पर्ची भी दी। वह पर्ची लेकर ब्लड बैंक पहुंचा। वह हैरान रह गया कि स्टाफ से खून देने से साफ इनकार कर दिया। कहा-उनके पास बी पॉजिटिव ब्लड नहीं है। उसने बताया कि वहग श्री गुरु रामदास ब्लड डोनेशन सेवा सोसाइटी का वालंटियर है। कई बार रक्तदान कर चुका है। सोसाइटी की ओर से जुटाया रक्त आपके ब्लड बैंक में ही आता है। यह सुनकर भी स्टाफ ने खून नहीं दिया। इसके बाद वह गायनी विभाग में उसी डॉक्टर के पास पहुंचा। डॉक्टर खुद ब्लड बैंक पहुंची और स्टाफ को फटकार लगाई। इसके बाद स्टाफ ने तत्काल खून दे दिया। इस घटना से साफ जाहिर है कि ब्लड बैंक का स्टाफ जानबूझकर खून नहीं देता, चाहे किसी की जान ही क्यों न चली जाए।
रक्तदानी को खून देने से इनकार नहीं कर सकता ब्लड बैंक : सुखविदर
मैंने ब्लड बैंक की प्रभारी डॉ. नीरज शर्मा से बात की थी। उन्होंने ब्लड बैंक में बैठे पीआरओ रवि महाजन को फोन किया। कुछ देर बाद जतिदर ने फिर से रक्त की मांग तो रवि महाजन ने कहा कि कल आना। यहां का सारा स्टाफ मनमर्जी करता है। सोसाइटी जलियांवाला बाग एवं अर्बन हेल्थ सेंटर धर्म सिंह मार्केट में प्रतिमाह दो से तीन रक्तदान कैंप लगाती है। हर माह तकरीबन 400 यूनिट रक्त ब्लड बैंक को देते हैं। सरकारी गाइडलाइन के अनुसार जो व्यक्ति रक्तदान करता है, उसे ब्लड बैंक से निशुल्क रक्त मिलता है, पर गुरुनानक देव अस्पताल का स्टाफ अपनी मनमानी कर रहा है।
-सुखविंदर सिंह, अध्यक्ष, श्री गुरु रामदास ब्लड डोनेशन सेवा सोसाइटी
हमें ब्लड रिजर्व रखना पड़ता है : डॉ. नीरज शर्मा
मैंने टेक्निशियन से बात की थी। उसने बताया था कि ब्लड बैंक में बी पॉजिटिव ग्रुप के केवल दो यूनिट शेष हैं। कई बार गर्भवती की डिलीवरी एक दिन बाद होती है, लेकिन डॉक्टर ब्लड का बंदोबस्त पहले करने को कहते हैं। हमें आइसीयू व सर्जरी वाले मरीजों के लिए खून रिजर्व रखना पड़ता है। इसके अतिरिक्त थैलेसीमिया प्रभावित 60 बच्चों को ब्लड देना पड़ता है। महीने में 350 यूनिट तो इन बच्चों के लिए आरक्षित रखे जाते हैं। गायनी वार्ड में 400 यूनिट रक्त भेजा जाता है। फिर भी हम भविष्य में रक्तदाता को प्राथमिकता दी जाएगी।
डॉ. नीरज शर्मा, प्रभारी, ब्लड बैंक जीएनडीएच