सरकारी अस्पतालों के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों का गुस्सा बढ़ा
अमृतसर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों को निजी हाथों में सौंपने के सरकारी फैसले के विरोध में कर्मचारियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
— सिविल सर्जन कार्यालय में लगाया धरना, नारेबाजी
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जागरण संवाददाता, अमृतसर
सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों को निजी हाथों में सौंपने के सरकारी फैसले के विरोध में कर्मचारियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को सेहत सेवाएं बचाओ संघर्ष कमेटी के आह्वान पर सिविल सर्जन कार्यालय में धरना लगाया गया। इस अवसर पर कर्मचारी नेता कंवलजीत ¨सह व राजकुमार शर्मा ने कहा कि पंजाब सरकार सरकारी अस्पतालों को बेचने की तैयारी कर रही है। सरकार अपने ही सरकारी अस्पतालों को चलाने में असमर्थ हो गई है। यदि ये अस्पताल निजी हाथों में चले गए तो निश्चित ही स्वास्थ्य सेवाएं महंगी हो जाएंगी।
इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन स्वास्थ्य विभाग के चेयरमैन राकेश शर्मा ने कहा कि पैरा मेडिकल कर्मचारी इस बात से आहत हैं कि सरकार सरकारी अस्पतालों में पुख्ता प्रबंध नहीं कर पाई। स्टाफ की कमी है। साथ ही ठेका आधारित कर्मचारियों को वर्षों से स्थायी नहीं किया जा रहा। पैरा मेडिकल सेहत कर्मियों की पोस्टें रेगुलर आधार पर भर्ती जाएं। स्वास्थ्य सेवाओं का बजट बढ़ाया जाए। दुख का विषय है कि सरकार इन मांगों पर गौर करने की बजाय अस्पतालों को निजी हाथों में देने की तैयारी कर चुकी है। यह सरासर अन्याय है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत निजी हाथों में जाने वाले इन अस्पतालों में सेहत सेवाएं बहुत महंगी हो जाएंगी। इससे निजी सेक्टर के लोगों की जेबें गर्म होंगी। आम लोग महंगा इलाज करवाने को मजबूर हो जाएगा। सरकार अपना फैसला बदले, वरना कर्मचारियों का रोष बढ़ता जा रहा है।
न¨रदर ¨सह व जगदीश ठाकुर ने कहा कि जब तक सरकार अपने फैसले में बद लाव नहीं करती, ये धरने प्रदर्शन इसी प्रकार जारी रहेंगे। इस मौके पर कंवलजीत ¨सह, अमनजीत ¨सह, रशपाल ¨सह, संदीप ¨सह, सुखपाल ¨सह, प्रदीप ¨सह, म¨हदर ¨सह भट्टी, प्रेम चंद, जतिन शर्मा, अंग्रेज ¨सह, सुखचैन ¨सह, रघुबीर कौर, परमजीत मान आदि उपस्थित थे।