पंजाबी भाषा को विकसित करने के लिए शिक्षण संस्थान आएं आगे: बाजवा
। पंजाब के उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त राजिदर सिंह बाजवा ने कहा कि पंजाबी भाषा को विकसित करने के लिए राज्य के स्कूल-कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को आगे आना होगा।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
पंजाब के उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त राजिदर सिंह बाजवा ने कहा कि पंजाबी भाषा को विकसित करने के लिए राज्य के स्कूल-कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को आगे आना होगा। पंजाबी भाषा के प्रचार व प्रसार के लिए ठोस कदम उठाने चाहिएं । बाजवा सोमवार को गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के श्री गुरु ग्रंथ साहिब भवन के सभागार में पंजाबी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति: वर्तमान संभावनाएं और चुनौतियां विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय के दौरान विश्व में करीब 12 करोड़ लोग पंजाबी भाषा बोलते हैं जिसमें से तीन करोड़ लोग भारत में पंजाबी बोलते हैं। इस तरह की संगोष्ठी शिक्षण संस्थानों में होती रहनी चाहिए ताकि पंजाबी भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में पहुंचे जीएनडीयू के पूर्व उपकुलपति डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि भारत में रहने वाले पंजाबियों को अपनी भाषा से प्रेम करना चाहिए एवं राज्य सरकार को भी स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर पंजाबी विषय को अनिवार्य कर देना चाहिए। हमें बच्चों में पुस्तक पढ़ने की संस्कृति को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए एवं पंजाबी भाषा को रोजगार दिलाने वाली भाषा के रूप में विकसित करना होगा ।
संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता पहुँचे डॉ. जसविदर सिंह ने पंजाबी भाषा के अलग-अलग पड़ाव की विस्तार से जानकारी दी । उन्होंने पंजाब के सरकारी दफ्तरों में पंजाबी भाषा के प्रयोग को अनिवार्य करने पर पंजाब सरकार की सरहाना की।
संगोष्ठी में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय पधारे सभी अतिथियों का स्वागत उपकुलपति प्रोफेसर जसपाल सिंह संधू ने किया। शैक्षणिक मामलों के डीन प्रोफेसर एसएस बहल ने आए मेहमानों का धन्यवाद किया । पंजाबी के 11 साहित्यकारों को किया गया सम्मानित
संगोष्ठी के दौरान पंजाबी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.करनैल सिंह , डॉ. गुरबख्श सिंह फ्रैंक, डॉ. मनमोहन , डॉ. रावेल सिंह, डॉ. जोगिदर सिंह कैरों, प्रोफेसर किरपाल क•ाक, बलबीर सिंह मधोपुरी, मनमोहन बावा, बचित कौर, सुरिदर नीर सहित कुल 11 साहित्यकारों को पंजाबी भाषा के विकास में उनके योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ केएस काहलों, डॉ. मनमोहन सिंह, डॉ.दरिया सहित अन्य गणमान्य लोग और विद्यार्थी मौजूद थे।