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'जल ही जीवन है' का पाठ पढ़ाने वाला शिक्षा विभाग खुद ही नहीं कर रहा अमल

जल ही जीवन है.. का पाठ किताबों में विद्यार्थियों को पढ़ाने वाला शिक्षा विभाग बहुमूल्य जल संपदा को बचाने में नाकाम साबित हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Mar 2021 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 26 Mar 2021 07:00 AM (IST)
'जल ही जीवन है' का पाठ पढ़ाने वाला शिक्षा विभाग खुद ही नहीं कर रहा अमल
'जल ही जीवन है' का पाठ पढ़ाने वाला शिक्षा विभाग खुद ही नहीं कर रहा अमल

अखिलेश सिंह यादव, अमृतसर

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'जल ही जीवन है..' का पाठ किताबों में विद्यार्थियों को पढ़ाने वाला शिक्षा विभाग बहुमूल्य जल संपदा को बचाने में नाकाम साबित हो रहा है। जिला शिक्षा दफ्तर सहित कई एकड़ में फैले अधिकांश सरकारी स्कूलों में न तो सरकार व न ही प्रिसिपलों ने जल संपदा को बचाने के लिए कोई कारगर कदम उठाया है। जल बचाने के लिए ठोस कदम न उठाए गए तो वह दिन दूर नहीं जब शुद्ध जल की बूंद-बूंद के लिए लोग तरसेंगे। बारिश की बूंद-बूंद को सहेजना समय की जरूरत है। इसके विपरीत जिला शिक्षा दफ्तर एलिमेंट्री व सेकेंडरी सहित लगभग 1200 से अधिक सरकारी स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (आरडब्ल्यूएचएस) नहीं होने से बारिश का पानी सीवरेज में चला जाता है। इक्का-दुक्का सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को छोड़ कहीं भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्थापित करने के लिए किसी भी स्कूल प्रिसिपल ने कदम नहीं उठाया है। जिन स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है, उन स्कूलों के प्रिसिपलों ने बिना सरकारी ग्रांट से खुद अपने प्रयासों से यह सिस्टम स्कूल आंगन में लगाया है।

भू-जल का स्तर निरंतर गिर रहा है। बच्चों को जल पढ़ाने का पाठ पढ़ाने वाले सरकारी स्कूलों के प्रिसिपलों व अध्यापकों को स्कूल आंगन में सिस्टम स्थापित कर एक मिसाल कायम करनी होगी, जिससे विद्यार्थियों की मनोदशा भू-जल बचाने के लिए गंभीर हो पाए और भविष्य में वह भी जल के महत्व को समझते हुए जल बचाने के लिए जागरूकता फैलाने के साथ कारगर कदम उठाएं। स्कूलों में आरडब्ल्यूएचएस लगे तो सुधरेगा भूजल स्तर

जिले में 830 प्राइमरी, मिडिल, हाई व सीसे स्कूलों की गिनती 419 है। यदि इन सभी सरकारी स्कूलो में रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्थापित हो जाए तो अमूल्य जल संपदा को बचाने में अहम रोल निभाया जा सकता है। भूमिगत जल के स्तर में अभूतपूर्व वृद्धि हो सकती है। इसके लिए सरकार व शिक्षा विभाग को गंभीरता से सोचना होगा और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए अहम कदम उठाना होगा। क्या कहते हैं डीईओ सेकेंडरी

डीईओ सेकेंडरी सतिदरबीर सिंह ने कहा कि वर्षा जल बचाने के लिए जागरूकता मुहिम शुरू की जाएगी। उनकी कोशिश रहेगी कि बड़े सरकारी स्कूलों में जहां बारिश का जल बचाया जा सकता है वहां पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित हो ताकि भूमिगत जल के स्तर में सुधार किया जा सके। इसके लिए वह प्रिसिपलों के साथ बैठक करेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि डीईओ एलिमेंट्री व सेकेंडरी दफ्तर जल्द ही डीसी कांप्लेक्स की नई बिल्डिंग में शिफ्ट हो रहे हैं।

सिर्फ इन सरकारी स्कूलों में है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

सरकारी स्कूल टाउन हाल एट माल मंडी, सुल्तानविड, नाग कला सहित एकाध और स्कूल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है। इन स्कूलों में अपने स्तर पर दानी सज्जनों के सहयोग प्रबंधकों ने सिस्टम लगाया है।


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