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पंजाब: स्कर्ट, कैप्री, टी-शर्ट व जींस पहनकर न आएं छात्राएं, लड़कों के लिए भी ड्रेस कोड

जीएमसी में छात्र-छात्राएं अब जींस, टी-शर्ट, कैप्री और स्कर्ट नहीं पहन सकेंगे। प्रिंसिपल ने लिखित आदेश जारी कर कहा है कि छात्राएं स्कर्ट, कैप्री, टी-शर्ट, जींस नहीं पहन सकेंगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 08:49 PM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 05:47 PM (IST)
पंजाब: स्कर्ट, कैप्री, टी-शर्ट व जींस पहनकर न आएं छात्राएं, लड़कों के लिए भी ड्रेस कोड
पंजाब: स्कर्ट, कैप्री, टी-शर्ट व जींस पहनकर न आएं छात्राएं, लड़कों के लिए भी ड्रेस कोड

जेएनएन, अमृतसर। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अमृतसर (जीएमसी) में छात्र-छात्राएं अब जींस, टी-शर्ट, कैप्री और स्कर्ट नहीं पहन सकेंगे। कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. सुजाता शर्मा ने लिखित आदेश जारी कर कहा है कि छात्राएं स्कर्ट, कैप्री, टी-शर्ट, जींस नहीं पहन सकेंगी। वहीं लड़कों को जींस व टी-शर्ट के बजाय फॉर्मल ट्राउजर व शर्ट पहनकर कॉलेज में आना होगा।

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दरअसल, डॉ. सुजाता शर्मा ने मेडिकल कॉलेज के सभी विभागों के प्रभारियों, हॉस्टल सुपरिंटेंडेंट, कॉलेज सुपरिटेंडेंट को पत्र जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोई भी स्टूडेंट जींस, टी-शर्ट, कैप्री या स्कर्ट पहनकर कॉलेज में न आए। मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस, बीएमसी, डिप्लोमा कोर्स व इंटर्नशिप कर रहे छात्र निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करें। छात्राएं सूट-सलवार या ट्राउजर-शर्ट पहनकर आएं।

वहीं लड़के फॉर्मल ट्राउजर व शर्ट और उस पर सफेद एप्रिन पहनकर अपनी क्लासों व विभागों में आएं। डॉ. सुजाता शर्मा ने स्पष्ट किया कि छात्र-छात्राएं टी-शर्ट, कैप्री, जीन्स व स्कर्ट पहनकर कॉलेज आते हैं, जो देखने में अभद्र लगता है। यदि कोई छात्र इस आदेश का उल्लंघन करता है तो उसका नाम, रोल नंबर व क्लास की जानकारी उन्हें दी जाए। प्रिंसिपल ने स्पष्ट किया है कि 1 अक्टूबर से सभी छात्र ड्रेस कोड का पालन करेंगे।

उधर, प्रिंसिपल के इस आदेश को लेकर छात्रों में रोष है। इस संबंध में प्रिंसिपल ने सभी विभागों के प्रोफेसरों एवं टीचरों के साथ बैठक की। डॉ. सुजाता शर्मा ने स्पष्ट किया कि लड़कियां कॉलेज में फटी जीन्स और छोटी कैप्री पहनकर आती हैं। यह सब किसी भी कॉलेज में लागू नहीं। मेडिकल प्रोफेशनल से जुड़े होने के कारण छात्र-छात्रओं को अपनी इमेज बनाकर रखनी होगी। ड्रेस के मामले में कई बार फैकल्टी की ओर से शिकायतें आई थीं, इसलिए मैंने यह फैसला लिया है।

मेडिकल कॉलेज की वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. मृदु ग्रोवर ने बैठक में कहा कि सभी स्टूडेंट्स एक जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। उन्हें मरीजों की सेवा करने का सौभाग्य मिलेगा। एक वकील और जज ड्रेस कोड में रहते हैं तो भावी डॉक्टरों को इससे आपत्ति नहीं होनी चाहिए। स्कूलों में भी ड्रेस कोड लागू है। अगर मेडिकल कॉलेज में लागू किया जा रहा है तो यह अनुचित नहीं।

हॉस्टल में जो मर्जी पहनें, कॉलेज में चलेगा ड्रेस कोड

मेडिकल स्टडेंट्स को यह याद रखना होगा कि वे कैजुअल नहीं। मरीजों से डीलिंग करते हैं। असल में यह पब्लिक डीलिंग है। कॉलेज में पढ़ रहे हो अथवा कॉलेज कैंपस में हो तो ड्रेस कोड का पालन करें। हां, हॉस्टल और घर में हों तो जो मर्जी पहनो। ड्रेस कोड लागू होने से स्टूडेंट्रस की प्राइवेसी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सभी प्रोफेसरों ने एक मत से कहा कि वे स्टूडेंट्स से बात करके उन्हें समझाएंगे कि ड्रेस कोड का पालन करना क्यों जरूरी है, उम्मीद है वे समझ जाएंगे।

छात्र कर रहे विरोध

वहीं छात्र इसे किसी भी सूरत में स्वीकार करने को तैयार नहीं। उनका कहना है कि वे ऐसा कोई भी तानाशाही आदेश नहीं मानेंगे। कॉलेज प्रशासन छात्रों के साथ इस विषय पर बैठक करेगा। इस बैठक में क्या नतीजा निकलता है, यह भी समय ही बताएगा, लेकिन मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल की ओर से जारी किया गए नए आदेश के बाद माहौल गरमा गया है।

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