डा.दीपा सिकंद ने तकनीक से नहीं टूटने दी शिक्षा की डोर
कर्फ्यू और लाकडाउन में हर कोई घर मे बंद था। शिक्षण संस्थान भी बंद हो गए। पता नहीं था कि कभी ऐसे हालात भी पैदा होंगे। ऐसे में अध्यापकों पर दोहरी जिम्मेदारियां रहीं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : कर्फ्यू और लाकडाउन में हर कोई घर मे बंद था। शिक्षण संस्थान भी बंद हो गए। पता नहीं था कि कभी ऐसे हालात भी पैदा होंगे। ऐसे में अध्यापकों पर दोहरी जिम्मेदारियां रहीं। एक तरफ परिवार का ध्यान रखना और दूसरी ओर विद्यार्थियों को पढ़ाना। शिक्षा की यह डोर न टूटे, इसके लिए लगातार प्रयास करने जरूरी थे। ऐसे में विद्यार्थियों का सिलेबस कवर करवाने और उनकी हर तरह की मदद करने के लिए कई प्रयास किए गए। ईमेल, गूगल क्लास रूम, वाटसएप, जूम एप की तकनीक के जरिए लगातार विद्यार्थियों के साथ संपंर्क किया गया। उनको सिलेबस के नोटस तैयार करवाए ताकि उनकी पढ़ाई में कमी न रहे। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के एजुकेशन विभाग की हेड डा. दीपा सिकंद ने बताया कि क्लास रूम में सभी विद्यार्थियों को एक साथ तैयारी करवा दी जाती थी। मगर आनलाइन शिक्षा शुरू होने पर सीखने और सिखाने में बहुत ज्यादा बदलाव आया। शुरुआत में विद्यार्थियों को मुश्किलें आईं। प्रश्नों को हल करवाने में कठिनाई आ रही थी। पूरा दिन इसी में बीत जाता था। मगर जैसे-जैसे समय बीता तो इस तकनीक का लाभ हुआ और अब सब कुछ पहले की ही तरह सामान्य लगने लगा है। अब विद्यार्थी बड़े चाव से आनलाइन क्लास करते हैं ज्वाइन
डा. दीपा सिकंद बताती हैं कि अब विद्यार्थी बड़े चाव से आनलाइन क्लास को ज्वाइन करने लगे हैं। इससे तय समय के दौरान ही विद्यार्थियों का सिलेबस भी कवर करवा दिया गया। वे परीक्षा की तैयारियों में जुटे हैं। अब अंतराष्ट्रीय स्तर की कांफ्रेंस भी आनलाइन ही आयोजित हो रही है। इन सारे काम में मजा भी आ रहा है।