पीलिया से तड़पते रहे नवजात, डॉक्टर ने कहा— दूसरी मंजिल से नीचे ले आओ फिर करूंगा जांच
अमृतसर गुरुनानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में अब नवजात शिशु भी सरकारी डॉक्टरों की उपेक्षा का शिकार बन रहे हैं। इस अस्पताल की पीडिएट्रिक वार्ड के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने पीलिया का शिकार तीन नवजात शिशुओं की जांच करने से स्पष्ट इंकार कर दिया।
नितिन धीमान, अमृतसर
गुरुनानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में अब नवजात शिशु भी सरकारी डॉक्टरों की उपेक्षा का शिकार बन रहे हैं। इस अस्पताल की पीडिएट्रिक वार्ड के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने पीलिया का शिकार तीन नवजात शिशुओं की जांच करने से स्पष्ट इंकार कर दिया। डॉक्टर ने कहा कि यदि शिशुओं की जांच करवानी है तो उन्हें दूसरी मंजिल से उठाकर नीचे ले आओ। पीलिया ग्रसित इन एक दिन पूर्व जन्मे इन नवजात शिशुओं को दूसरी मंजिल से गोद में उठाकर लाने में अभिभावक डरते रहे। इन बच्चों की त्वचा का रंग कभी पीला पड़ जाता तो कभी नीला हो जाता।
सत्या देवी निवासी मजीठा रोड ने बताया कि उनकी बेटी ने जीएनडीएच स्थित बेबे नानकी वार्ड में बेटी को जन्म दिया। वह पीलिया का शिकार थी। गायनी वार्ड की डॉक्टर ने कहा कि बच्ची का ब्लूरूबिन टेस्ट करवा लें, ताकि पीलिया का लेवल पता चल सके। मैं बच्ची को गोद में उठाकर प्राइवेट रूम से निकलकर ग्राउंड फ्लोर पर स्थित पीडिएट्रिक वार्ड पहुंची। यहां शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. करनैल ¨सह बैठे थे। उन्हें बच्ची की जांच करने को कहा, पर उन्होंने खुद को व्यस्त बताया। कुछ देर वहां खड़ी रहने के बाद भी जब डॉक्टर ने जांच नहीं की तो मैं दूसरे कमरे में बैठे डॉक्टर के पास पहुंची। डॉक्टर ने कहा कि बच्ची को पीलिया है। आप बच्ची का ब्लूरूबिन टेस्ट करवा लो। ओपीडी स्लिप कटवाने के बाद मैं पीडिएट्रिक वार्ड में घूमती रही, पर सैंपल लेने के लिए स्टाफ नहीं मिला। इस दौरान बच्ची का रंग पीला पड़ने लगा था। मैं घबरा गई और बच्ची को पुन: प्राइवेट रूम में ले आई। प्राइवेट रूम से डॉ. करनैल ¨सह को फोन कर कहा कि बच्ची ठीक नहीं है। वे किसी पीजी को प्राइवेट रूम में भेज दें, ताकि बच्ची का सैंपल लिया जाए। डॉ. करनैल ने कहा कि बच्ची को नीचे लेकर आओ, तभी सैंपल लेंगे। दुधमुंही बच्ची को बार-बार ऊपर से नीचे लाना जोखिम भरा था। इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता रा¨जदर शर्मा राजू ने भी डॉ. करनैल को फोन किया। राजू ने उनसे कहा कि प्राइवेट रूम में दाखिल मरीज की जांच प्राइवेट रूम में जाकर करनी होती है। आप भी सैंपल ले सकते हैं, लेकिन डॉ. करनैल ने उनकी बात भी नहीं सुनी।
बस सैंपल ही तो लेना था
पीडिएट्रिक वार्ड में ब्लूरूबिन टेस्ट की सुविधा नहीं। पीडिएट्रिक डॉक्टरों द्वारा नवजात का सिर्फ सैंपल लेकर निजी लेबोरेट्री में भेजा जाता है। सत्या के हमने निजी लेबोरेट्री के कर्मचारी को बुला रखा था। वह काफी देर वहां खड़ा रहा।
स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंची शिकायत
रा¨जदर शर्मा के अनुसार प्राइवेट रूम का किराया हर रोज एक हजार रुपये है। नियमानुसार हर आधे घंटे बाद डॉक्टर को प्राइवेट रूम में आकर मरीज की जांच करनी होती है, पर डॉ. करनैल ¨सह ने बच्ची की हालत गंभीर होने के बावजूद उसका सैंपल तक नहीं लिया। इस मामले की शिकायत मैंने स्वास्थ्य मंत्री से कर दी है। यदि कार्रवाई न हुई तो डॉक्टर के खिलाफ धरना लगाएंगे। इधर, तकरीबन दो घंटे की जद्दोजहद के बाद एक अन्य वरिष्ठ डॉक्टर की सिफारिश पर एक पीजी डॉक्टर आया। उसने बच्ची का सैंपल लेकर लेबोरेट्री कर्मचारी को दिया। डेढ़ घंटे बाद टेस्ट रिपोर्ट आई। तब तक डॉ. करनैल सहित पीडिएट्रिक वार्ड का स्टाफ अपनी औपचारिक ड्यूटी निभाकर जा चुका था। ऐसे में बच्ची की टेस्ट रिपोर्ट सिविल अस्पताल के डॉक्टर को भेजी गई।
मेरा बच्चा भी तड़पता रहा
प्राइवेट रूम में दाखिल सुरजीत कौर ने कहा कि उसका नवजात शिशु भी पीलिया ग्रसित था। कई बार पीडिएट्रिक वार्ड गए, लेकिन ब्लड सैंपल क्लेक्ट करने वाला स्टाफ नहीं मिला। बाद में किसी की सिफारिश करवाई तब जाकर बच्चे का सैंपल लिया गया। बॉक्स.
डॉ. करनैल से सीधी बात
. आपने पीलिया ग्रसित बच्ची का सैंपल क्यों नहीं लिया या पीजी डॉक्टर को क्यों नहीं भेजा?
डॉ. करनैल : मेरे पास स्टाफ नहीं है।
. आप खुद भी बच्ची का सैंपल ले सकते थे?
— डॉ करनैल : खामोश
. प्राइवेट रूम में और भी बच्चे हैं। क्या इनकी जांच करना डॉक्टर की ड्यूटी नहीं।
— हम देखकर ही बता सकते हैं कि बच्ची को पीलिया है या नहीं। वह बिल्कुल ठीक थी। डॉक्टर से करेंगे बात : सुपरिंटेंडेंट
अस्पताल के मेडिकल सुप¨रटेंडेंट डॉ. सु¨रदर पाल ने कहा कि इस संबंध में डॉ. करनैल से बातचीत करेंगे। वैसे वह बेहतरीन पीडिएट्रिक डॉक्टर हैं।