पक्का भजन की पुरातन परंपरा से मां भगवती के होते हैं दीदार
पक्का भजन प्राचीन समय से हो रहा है। पक्का भजन का गुणगान जहां मां भगवती के नजदीक जाने का मार्ग है वहीं पक्का भजन गुरु शिष्य की परंपरा को भी अब तक निभा रहा है।
संवाद सहयोगी, अमृतसर: पक्का भजन प्राचीन समय से हो रहा है। पक्का भजन का गुणगान जहां मां भगवती के नजदीक जाने का मार्ग है वहीं पक्का भजन गुरु शिष्य की परंपरा को भी अब तक निभा रहा है। मां भगवती के ध्यानु भगत ने भी मां भगवती को पक्का भजन से ही प्राप्त किया था। ध्यानु भगत से यह परंपरा काफी प्रफुल्लित हो गई। यह परंपरा अभी भी पूरे देश में जीवित है।
संत महंतों की टोलियां पक्के भजन गाकर मां भगवती की आराधना करते हैं। पक्का भजन में करीब 10 से अधिक मां के भगत होते हैं जो छैने तथा मदरंगा के साथ मां भगवती के भजन गाते हैं। कई टोलियों द्वारा ढोलकी का भी प्रयोग किया जाता है। देश में इस समय दो लाख से अधिक संत महंतों की टोलियां हैं, जो पक्का भजनों का प्रचार कर रहे हैं। जिले में भी काफी भक्तजन पक्का भजन गाकर मां भगवती की आराधना करते हैं। पक्का भजन में भक्तजन सामूहिक तौर पर अपने भावों को मां भगवती के समक्ष रखते हैं। इसे सुनने वाला आनंदमयी हो जाता है तथा मां के रंग में लीन हो जाता है। पक्के भजनों में 'मां दे गल चोला साजे चैत्र की रुत आई प्यारी मैया संग खेल रहिया व अन्य' पक्के भजन भजन मंदिरों में गाए जा रहे हैं। इसके अलावा नवरात्रों के दिनों में पक्के भजन के साथ मां की स्तुति की जाती है। काहे की तेरी सुईया बनाना मां की आराधना की जा रही है। सिद्ध पीठ माता लाल देवी भवन में भी होता है पक्के भजनों का गुणगान
पक्के भजन का प्रचार करने वाले महंत दुर्गादास ने कहा कि यह परंपरा काफी प्राचीन है। सिद्ध पीठ माता लाल देवी भवन में भी पक्के भजनों का गुणगान होता है तथा नवरात्र से लेकर अष्टमी तक पक्का भजन से जय मां भगवती का गुणगान होता है। परम पूज्य ब्रह्मलीन संत सूरज प्रकाश के शिष्य महंत पिल्ला ने कहा कि पक्का भजन की परंपरा को संत सूरज प्रकाश ने भी आगे बढ़ाया है। यह परंपरा गुरु शिष्य की महत्ता को बताती है। नौजवान पीढ़ी भी पक्के भजनों से जुड़कर काफी खुशी महसूस कर रही है। अमृतसर में भी कई जगह पर पक्के भजनों का गुणगान हो रहा है।