डेंगू मच्छर : मौतों का सिलसिला जारी, प्रशासन रिव्यू करने तक सीमित
। डेंगू मच्छर की भयावहता और आक्रामकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस बार पुलिस प्रशासनिक एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी डेंगू पॉजिटिव पाए गए हैं।
नितिन धीमान, अमृतसर
डेंगू मच्छर की भयावहता और आक्रामकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस बार पुलिस, प्रशासनिक एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी डेंगू पॉजिटिव पाए गए हैं। डेंगू मच्छर का सर्वनाश करने में नगर निगम प्रशासन पूरी तरह विफल साबित हुआ है। शहर में मच्छर मार दवा का छिड़काव करने में नगर निगम की अपर्याप्त मशीनरी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई। यही वजह है कि इस सीजन में डेंगू पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 250 तक जा पहुंचा है, वहीं 11 लोगों की मौत भी हुई है। सर्वाधिक पांच मौतें अजनाला में हुई हैं। यह सरकारी आंकड़ा है, वास्तव में मरीजों की संख्या इससे दोगुनी हो सकती है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग इन मौतों की वजह डेंगू नहीं मानता, क्योंकि इन मौतों का अभी रिव्यू होना है। इन 11 में से छह लोग जब विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन थे तब उनका रैपिड कार्ड टेस्ट करवाया गया था, जिसमें डेंगू की पुष्टि हुई थी, पर स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि रैपिड कार्ड टेस्ट को सरकार मान्यता प्रदान नहीं करती। यदि इन मरीजों का सरकारी लैबोरेट्री से मैकलाइजा टेस्ट करवाया गया होता तो डेंगू पॉजिटिव माना जाता। मौतों की वास्तविक वजह जानने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा डिस्ट्रिक्ट लेवल रिव्यू कमेटी के सहयोग से पड़ताल की जा रही है। डिस्ट्रिक्ट कमेटी की पड़ताल के बाद स्टेट रिव्यू कमेटी इसकी जांच करेगी। जब तक रिव्यू कमेटी की जांच आएगी तब तक तो डेंगू मच्छर कइयों को काल के द्वार तक पहुंचा देगा।
डेंगू मच्छर को जन्म देने में सरकारी विभागों का भी अहम रोल रहा है। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग ने शहर के कई सरकारी विभागों में दस्तक देकर डेंगू मच्छर का लारवा नष्ट किया था। इनमें थाना सी डिवीजन में तो भारी मात्रा में लारवा पाया गया था। वहीं गुरु नानक देव अस्पताल, सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर, पंजाब रोडवेज के डिपो भी डेंगू मच्छर की शरणस्थली बने हुए हैं। व्यवस्था को भी काट गया डेंगू
डेंगू का शिकार दर्जनों मरीज सिविल एवं गुरु नानक देव अस्पताल में उपचाराधीन हैं, पर दोनों अस्पतालों में मरीजों को उपचार के नाम पर तिरस्कार मिल रहा है। गुरु नानक देव अस्पताल में तो स्थिति इतनी दयनीय है कि यहां डेंगू टेस्ट सिर्फ मंगलवार एवं शुक्रवार को हो रहा है। इस अस्पताल में डेढ़ सौ से अधिक संदिग्ध बुखार से पीड़ित मरीज दाखिल हैं और प्रतिदिन सात से आठ मरीज आ रहे हैं। ऐसे में सप्ताह में दो दिन डेंगू टेस्टिंग की व्यवस्था से अस्पताल की कारगुजारी पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। मरीजों को निजी लेबोरेट्री से डेंगू टेस्ट करवाने को कहा जा रहा है, जबकि सरकार की स्पष्ट गाइडलाइन हैं कि डेंगू मरीज को अस्पताल में ही सारी सुविधाएं मिलें। इसी प्रकार सिविल अस्पताल में आइडीएसपी लैब है, लेकिन यह लैब भी दोपहर बाद बंद कर दी जाती है। डेंगू मच्छर कब और कहां किसे काट ले यह तय नहीं। ऐसे में डेंगू की जांच के लिए मरीज किसी भी वक्त सरकारी अस्पताल आ सकता है, पर लैब बंद होने की वजह से उसे अगले दिन तक की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। डीसी ने लगाई थी निगम को फटकार
डेंगू के केसों में वृद्धि होने के बाद डिप्टी कमिश्नर शिवदुलार सिंह ढिल्लों ने नगर निगम के हेल्थ अफसर को फटकार लगाई थी। पूछा था कि आपने शहर में कितनी बार फॉगिग मशीनें भेजीं। डीसी ने हेल्थ अफसर को आदेश दिया था कि हर वार्ड में सप्ताह में एक बार फॉंगिग करवाई जाए। हालांकि अभी भी शहर की कई वार्ड ऐसी हैं जहां एक बार भी फॉगिग नहीं हुई।
एडीसी, फूड सेफ्टी ऑफिसर और एसएचओ भी हुए शिकार
एडीसी हिमांशु अग्रवाल, उनकी मां शकुंतला, एसएचओ शिवदर्शन, उनकी पत्नी व बेटी को भी डेंगू ने नहीं बख्शा। हालांकि अब ये अधिकारी उनका परिवार डेंगू से रिकवर हो चुका है, लेकिन बीते शनिवार को स्वास्थ्य विभाग के फूड सेफ्टी विग में कार्यरत फूड सेफ्टी ऑफिसर रजनी को डेंगू ने अपना निशाना बनाया। आज अमृतसर आएंगे आइडीएसपी के स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर
जिले में डेंगू की भयावहता का आकलन करने के लिए सोमवार को आइडीएसपी के स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. गगनदीप ग्रोवर अमृतसर आ रहे हैं। डॉ. ग्रोवर सुबह नौ बजे अजनाला जाएंगे। यहां आरएमपी डॉक्टरों से बैठक करके डेंगू के संदर्भ में जागरूकता फैलाने को कहेंगे। डॉ. ग्रोवर ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि गुरु नानक देव अस्पताल में डेंगू टेस्टिंग नियमित रूप से होनी चाहिए। मैं कल अमृतसर आ रहा हूं। जो भी कमियां हैं उन्हें दूर करने के लिए स्थानीय अधिकारियों से बात करूंगा।