Move to Jagran APP

एफ्रेसिस मशीन खराब, कैसे होगा डेंगू पॉजिटिव मरीजों का इलाज

अमृतसर डेंगू मच्छर के कहर से लोगों को बचाने की महज औपचारिकता निभा रही सरकार सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थागत खामियां दूर नहीं कर पाई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 07:14 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 07:14 PM (IST)
एफ्रेसिस मशीन खराब, कैसे होगा डेंगू पॉजिटिव मरीजों का इलाज
एफ्रेसिस मशीन खराब, कैसे होगा डेंगू पॉजिटिव मरीजों का इलाज

नितिन धीमान, अमृतसर

loksabha election banner

डेंगू मच्छर के कहर से लोगों को बचाने की महज औपचारिकता निभा रही सरकार सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थागत खामियां दूर नहीं कर पाई। गुरुनानक देव अस्पताल में डेंगू रोग के उपचार के लिए सबसे जरूरी 'एफ्रेसिस मशीन' भी सरकार की उदासीनता की भेंट चढ़ चुकी है। यह मशीन पिछले तीन वर्षों से तकनीकी खामी के कारण बंद है और धूल फांक रही है। उधर, डेंगू मच्छर के 'शिकार' बेबस मरीज निजी अस्पतालों में हजारों रुपये खर्च करने को मजबूर हैं।

इस सीजन में डेंगू मच्छर का लार्वा गली-बाजारों व लोगों के घरों में पनपने लगा है। जिले में 100 से अधिक लोग संदिग्ध बुखार से पीड़ित हैं और विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन भी हैं। गुरुनानक देव अस्पताल में की डेंगू वार्ड में भी 30 से अधिक मरीज दाखिल हैं। इन मरीजों को किसी प्रकार की सुविधा यहां नहीं मिल रही। सामान्यत: डेंगू रोग होने पर इंसान के खून से प्लेट्लेट्स की संख्या गिरने लगती है। गुरुनानक देव अस्पताल में ऐसे दर्जन भर मरीज दाखिल हैं जिनके प्लेट्लेट्स काउंट 20,000 से नीचे पहुंच गए हैं। ऐसे में इन्हें किसी भी वक्त प्लेट्लेट्स की जरूरत पड़ सकती है। दूसरी तरफ अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक में डेंगू पेशेंट्स के उपचार का कोई प्रबंध नहीं।

ब्लड बैंक में रखी एफ्रेसिस मशीन खराब पड़ी है। पिछले तीन सालों में इस मशीन से एक भी डेंगू पॉजिटिव मरीज को प्लेट्लेट्रस नहीं दिए गए। जरा सी तकनीकी खामी दुरुस्त करवाने का प्रयास न तो ब्लड बैंक के स्टाफ ने किया और न ही अस्पताल प्रशासन ने। सरकारी अस्पताल में एफ्रेसिस मशीन से प्लेट्लेट्स चढ़ाने की प्रक्रिया बिल्कुल निशुल्क है, जबकि निजी अस्पतालों में इसके लिए बीस से पच्चीस हजार रुपये वसूले जा रहे हैं।

यहां उल्लेख करना जरूरी है कि एफ्रेसिस मशीन उस स्थिति में काम की जाती है जब डेंगू पेशेंट्स को प्लेट्लेट्स चढ़ाने हों। पेशेंट को डोनर के जरिए प्लेट्लेट्स दिए जाते हैं। एफ्रेसिस मशीन सिर्फ डोनर के रक्त से प्लेट्लेट ही प्राप्त करती है। रक्तदाता को एक विशेष किट के माध्यम से इस मशीन से जोड़ा जाता है। किट में सिर्फ प्लेटलेट ही एकत्रित होते हैं। रक्त का बाकी हिस्सा पुन: डोनर के शरीर में ट्रांसमीशन हो जाता है।

प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ने पर निजी अस्पताल में शिफ्ट होना होगा

गुरुनानक देव अस्पताल में दाखिल मरीजों की परेशानी की सबसे बड़ी वजह यह है कि वे इलाज तो यहां करवा रहे हैं, पर यदि प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ी तो निश्चित ही उन्हें यहां से निजी अस्पताल में शिफ्ट होना पड़ेगा। इस सारी स्थिति में मरीज की जान भी जोखिम में आ सकती है। बहरहाल, डेंगू का सीजन शुरू होने के बावजूद चिकित्सा उपकरणों को दुरुस्त न करना अस्पताल प्रशासन की कारगुजारी पर सवाल खड़ा करता है। ठीक होगी एफ्रेसिस मशीन : डॉ. मदन मोहन

डिस्ट्रिक्ट एपिडिमोलोजिस्ट अधिकारी डॉ. मदन मोहन का कहना है कि एफ्रेसिस मशीन ठीक होगी। मैं कल ही गुरुनानक देव अस्पताल जाकर प्रशासन से बात करूंगा। मशीन की तकनीकी खराबी दुरुस्त करवाई जाएगी। डेंगू मरीजों को हर सुविधा मिलेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.