'हिदी साहित्य का तकनीकी व डिजिटल रूप में हो सकता है विकास'
। डीएवी कालेज के हिदी विभाग की हिदी साहित्य परिषद ने हिदी के वैश्विक परिदृश्य साहित्य संस्कृति व रोजगार विषय पर अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी करवाई।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
डीएवी कालेज के हिदी विभाग की हिदी साहित्य परिषद ने हिदी के वैश्विक परिदृश्य, साहित्य, संस्कृति व रोजगार विषय पर अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी करवाई। इसका संचालन साहित्य परिषद की प्रभारी डा. किरण खन्ना व विभाग मुखी डा. अनीता प्रभाकर ने संयुक्त रूप में किया।
संगोष्ठी की शुरुआत में कालेज प्रिसिपल डा. राजेश कुमार ने हिदी के विकास को लेकर अपनी कटिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में भी परिषद द्वारा हिदी भाषा की अलख जगाना सराहनीय है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समाज सही अर्थ में सूचना समाज है। अब साहित्य पुस्तकों की दहलीज लांघकर डिजिटल मल्टीमीडिया के सहारे अधिक लोकतांत्रिक बनने की तरफ अग्रसर है।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता के रूप में नई दिल्ली के पीजी डीएवी कालेज से सहायक प्रोफेसर डा. हरीश कुमार व वर्सा विश्व विद्यालय पोलैंड में आई सीसीआर चेयर पर कार्यरत भारतीय हिदी प्रतिनिधि डा. सुधांशु शुक्ला विशेष रूप से उपस्थित रहे। डा. हरीश कुमार ने डिजिटल रूप से हिदी के विकास को लेकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि डिजिटल व आनलाइन संचार ऐसी क्रांति है, जो निसंदेह देश को प्रगति के पथ पर त्वरित गति से ले जा सकती है।
डा. सुधांशु शुक्ला ने कहा कि हिदी साहित्य का विकास तकनीकी व डिजिटल रूप में हो सकता है। आज रचनाकार, हिदी कुंज, कविताकोश, गद्यकोश, प्रतिलिपि जैसे कई वेबसाइट इन बातों का ध्यान रखते हिदी साहित्य की सेवा में निरंतर लगी हुई हैं। संगोष्ठी में डा. दर्शनदीप अरोड़ा, डा. मीनू अग्रवाल, डा. अर्चना, प्रि. नन्हे सिंह, डा. परवीन कुमार, डा. कोयल डा. अरुणा गुलायराव, डा. एस सैनिथाल, डा. शेख वहान, डा. रानी अग्रवाल, डा. युमनाधर त्रिपाठी, डा. अतुला भास्कर, डा. अनीता नरेंद्र, डा. शैल्ली जग्गी, डा. सीमा शर्मा, डा. निहिता शर्मा, डा. पप्पू सिंह मेवाड़, डा. अरुण, प्रि. विनोदिता संख्यान, प्रि. परमजीत कुमार आदि शामिल रहे।