बीस रुपये की गिलासी पी होती तो जिदा नहीं होता दलबीर
। जहरीली शराब पीने के बाद मौत के मुंह से लौटकर घर पहुंचे दलबीर सिंह ने अब शराब के नाम से कान पकड़ लिए हैं।
नवीन राजपूत. सुखविदर बावा, खलचियां. अमृतसर
जहरीली शराब पीने के बाद मौत के मुंह से लौटकर घर पहुंचे दलबीर सिंह ने अब शराब के नाम से कान पकड़ लिए हैं। उसने तौबा कर ली है कि वह भविष्य में अब कभी शराब को हाथ नहीं लगाएगा। केवल अपने परिवार और बच्चों की परवरिश में मेहनत की कमाई लगाएगा। मुच्छल गांव के दलबीर सिंह ने बताया कि बुधवार को वह भी शराब का कारोबार करने वाली दलबीर कौर उर्फ पटेयांवाली के घर शराब पीने गया था। उसके घर शराब पीने के लिए काफी लोग पहुंचे हुए थे।
दलबीर ने बताया कि वह पेशे से रिक्शा चालक है। तस्कर बलविदर कौर गांव में बीस रुपये में एक गिलासी शराब बेचती थी। मरने वाले उसके घर से गिलासी-गिलासी शराब ले रहे थे। लेकिन उसकी जेब में केवल 10 रुपये ही थे। उसने बलविदर कौर से कहा था कि वह उसे दस रुपये कल दे देगा। उसे पूरी गिलासी शराब पिला दे। लेकिन बलविदर कौर ने दस रुपये के बदले में उसे आधी गिलासी ही शराब दी। शराब पीने के बाद वह घर चला गया और कुछ देर में उसकी तबीयत खराब होनी शुरू हो गई। परिवार ने उसे पास के सरकारी अस्पताल में दाखिल करवाया। इस बीच उसे पता चला कि बलविदर कौर से शराब खरीदकर पीने वालों की मौतें होनी शुरू हो गई है। वह डर गया। उसे लगने लगा था कि अब उसकी भी मौत होने वाली है। दलबीर ने बताया कि वह रब से उसकी जान बख्श देने की बात करने लगा। उसकी आंखों के सामने परिवार के सदस्य ही घूमने लगे। लेकिन इलाज के बाद उसकी जान बच गई। दलबीर ने बताया कि अगर उसके पास उस दिन बीस रुपये होते तो उसकी भी मौत निश्चित थी। बाक्स..
पटेयांवाली ने घर को बना रखा थी अहाता
दलबीर सिंह ने बताया कि शराब तस्कर बलविदर कौर पटेयांवाली ने अपने घर को अहाते में बदल लिया था। लोग उसके घर में ही शराब पीकर निकलते थे। शराब के साथ कुछ लोग नमक की चुटली मुंह में लेते और दस-बीस रुपये उसे थमाकर चले जाते। लेकिन अब दलबीर कौर ने घर में शराबियों को सब्जी और दाल भी बनानी शुरू कर दी थी। शराबियों को बैठाने के लिए दो कुर्सियां भी रखी हुई थीं।