होम आइसोलेट मरीजों का कोविड वेस्ट बना चुनौती, जागरूक करना जरूरी
वैश्विक स्तर पर उत्पात मचा रहे कोरोना वायरस ने देश दुनिया के समक्ष कई चुनौतियां खड़ी कर दीं। केवल संक्रमण तक ही यह वायरस सीमित नहीं।
जासं, अमृतसर: वैश्विक स्तर पर उत्पात मचा रहे कोरोना वायरस ने देश दुनिया के समक्ष कई चुनौतियां खड़ी कर दीं। केवल संक्रमण तक ही यह वायरस सीमित नहीं। संक्रमण के बाद उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों से निपटना भी एक बड़ी चुनौती है। असल में सबसे बड़ी चुनौती कोविड अपशिष्ट की है। सरकारी एवं निजी अस्पतालों में कोविड कचरे का निस्तारण हो रहा है, लेकिन जो लोग होम आइसोलेट हैं, वे मास्क, सैनिटाइजर की खाली बोतलें डस्टबिन में ही फेंक रहे हैं। शहरी आबादी में भी कोविड कचरे को लेकर जागरूकता का अभाव है, ग्रामीण क्षेत्रों में तो अपशिष्ट प्रबंधन और भी बड़ी समस्या है। कोरोना के घरेलू कचरे को सलीके से निस्तारण करना बेहद जरूरी है, अन्यथा यह वायरस संभवत: कभी भी रुख्सत नहीं होगा।
अमृतसर के सरकारी एवं निजी अस्पतालों से प्रतिदिन औसतन 1200 किलोग्राम कोविड वेस्ट निकल रहा है जबकि घरों में इससे ज्यादा होगा। अमूमन लोग मास्क आदि का इस्तेमाल करने के बाद इसे घर में रखे डस्टबिन में ही फेंक रहे हैं। वहीं घर से बाहर मास्क पहनकर जाने वाले अधिकांश लोग इसे जहां-तहां फेंक देते हैं। सरकारी नियम के अनुसार होम आइसोलेट लोग बायोमेडिकल वेस्ट को अलग करके पीले बैग में रखेंगे। फिर यह कचरा स्थानीय प्रशासन द्वारा नियुक्त किए गए वेस्ट कलेक्शन कर्मियों को देना होगा, पर ऐसा हो नहीं रहा। लोग पीले बैग का प्रयोग नहीं कर रहे। लोग पीले रंग के लिफाफे में कचरा नहीं दे रहे, उठाने वाले भी एक ही गाड़ी में उड़ेल रहे
दैनिक जागरण ने हाल ही में होम आइसोलेट कुछ मरीजों से बात की। उनके अनुसार कचरे वाली गाड़ी का कर्मचारी डस्टबिन उठाकर इसे गाड़ी में उड़ेल देता है। कोविड से संबंधित कचरा अलग नहीं किया जाता। हालांकि गलती लोगों की भी है कि वे पीले लिफाफे में इस वेस्ट को नहीं रखते। यह कचरा सीधे भगतांवाला डंप में जाता है। कूड़े वाली गाड़ियां शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों से भी गुजरती हैं। ऐसे में संक्रमण बुरी तरह फैल सकता है। होम आइसोलेट मरीजों का कचरा अलग से निस्तारित हो: अंकुर गुप्ता
पर्यावरण प्रेमी अंकुर गुप्ता का कहना है कि कोविड कचरा तेजी से बढ़ रहा है। होम आइसोलेट मरीजों का कचरा अलग से निस्तारित होना चाहिए। इसे डंप में भेजने की बजाय मेडिकल वेस्ट को नष्ट करने वाले प्लांट में भेजा जाना चाहिए। केवल कैंटोनमेंट जोन व माइक्रो कंटोनमेंट जोन में ही निगम की गाड़ियां जाती हैं और इस कचरे को उठाती हैं।