मच्छर मार दवा का छिड़काव व फागिंग करने वाले निगम कर्मी खतरे में, नहीं दे रहे सेफ्टी किट्स
शहर की 85 वार्डों में फागिग कर रहे निगम कर्मचारी असुरक्षित हैं। इन्हें सुरक्षा मानकों के बगैर फागिग करने को भेजा जा रहा है।
नितिन धीमान, अमृतसर: दिन में काटकर दिन-रात बेचैन करने वाले एडीज इंजिप्टी मच्छर ने लोगों के साथ-साथ शासन-प्रशासन नींद उड़ा दी है। जून महीने में एडीज ने उड़ान भरी और तेजी से लोगों के खून से प्रोटीन चूसकर उन्हें डेंगू संक्रमित बनाता गया। अक्टूबर तक 1400 लोग इस मच्छर के नुकीले वार का शिकार बने और अस्पतालों में कराहते रहे। मच्छर के खात्मे के लिए नगर निगम ने फागिग व स्प्रे का क्रम तो शुरू किया, लेकिन निगम की टीमें सितंबर माह में फील्ड में उतरीं। तब तक डेंगू आक्रामक नहीं भयावह हो चुका था। यह जानकर हैरानी होगी कि शहर की 85 वार्डों में फागिग कर रहे निगम कर्मचारी असुरक्षित हैं। इन्हें सुरक्षा मानकों के बगैर फागिग करने को भेजा जा रहा है। किसी भी कर्मचारी के चेहरे पर मास्क और हाथों में ग्लब्ज नहीं हैं। कई कर्मियों को मास्क व ग्लब्ज तो उपलब्ध करवाए जाते हैं, पर सुरक्षा किट्स नहीं दी जाती। सुरक्षा मानकों का पालन न करने पर इन कर्मचारियों के शरीर पर फागिग के धुएं व स्प्रे का विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। किसी भी आपातकालीन स्थिति में इन कर्मचारियों को फर्स्ट ऐड किट्स तक नहीं दी गई। यानी अपने जोखिम में ये कर्मचारी मच्छरों का सफाया करने में जुटे हैं। वहीं अधिकारी का कहना है कि सेफ्टी किट्स तो कभी हमें मिली नहीं। न ही हमने कभी इसकी मांग की। मास्क ग्लब्ज मिलते हैं पर पहनते नहीं कर्मी, किट नहीं देता नगर निगम
वीरवार को अमृतसर के मजीठा रोड क्षेत्र में फागिग करने पहुंचे फागिग मशीन आपरेटर फूलचंद बिना किसी सुरक्षा मानकों के बगैर दिखा। उसने मास्क, ग्लब्ज व किट नहीं पहनी थी। पूछने पर बोले, हमें मास्क व ग्लब्ज तो मिलते हैं, पर पहनते नहीं। किट कभी किसी ने दी नहीं। जब उन्हें बताया गया कि फागिग का जहरीला धुआं आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है तो उन्होंने कहा कि हम तो वर्षों से ऐसा कर रहे हैं, कभी कुछ नहीं हुआ। एक अन्य कर्मचारी निहाल सिंह ने कहा कि मास्क पहनने से दम घुटता है। कोरोना काल में मास्क की उपयोगिता से संभवत: कोई शख्स अनजान नहीं है। नगर निगम कर्मचारियों द्वारा मास्क न पहनना उनकी सेहत पर भारी पड़ सकता है। धुएं से उन्हें श्वास रोग हो सकते हैं और कोरोना महामारी की चपेट में भी आ सकते हैं। धीमा जहर है साइपरमेथ्रिन
निगम द्वारा फागिग व लिक्विड स्प्रे किया जा रहा है। दोनों ही विकल्पों में साइपरमेथ्रिन नामक कीटनाशक होता है। यह जहरीला कीटनाशक यदि नाक के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाए तो धीमे जहर की तरह काम करता है। खेतों में स्प्रे करते वक्त किसान अपना मुंह रुमाल से इसलिए बांधते हैं तो स्प्रे की गंध उनके नाक तक न पहुंचे। दूसरी तरफ निगम कर्मी बेपरवाही का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। श्री गुरु रामदास अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डाक्टर मनिदर सिंह के अनुसार साइपरमेथ्रिन के संपर्क में आने से इंसान की आंखों व त्वचा में जलन हो सकती है। इसके अलावा शरीर के तंत्रिका तंत्र पर दुष्प्रभाव पड़ता है। यदि यह रसायन अधिक मात्रा में इंसान के शररी में चला जाए तो दौरे भी पड़ सकते हैं। कर्मचारियों से जवाबतलबी करेंगे : डा. रमा
नगर निगम की स्वास्थ्य अधिकारी डा. रमा के अनुसार शहर की सभी वार्डों में
फागिग व लिक्विड स्प्रे किया जा रहा है। कर्मचारियों को मास्क व ग्लब्ज दिए गए हैं। सेफ्टी किट हमारे पास नहीं हैं। जो कर्मचारी मास्क व ग्लब्ज नहीं पहनते उनसे जवाबतलबी की जाएगी। यह कर्मचारियों की सेहत से जुड़ा विषय है और इसका पालन उन्हें करना ही होगा। डेंगू के हाटस्पाट एरिया
जहाजगढ़, नवीं आबादी, हिदुस्तानी बस्ती, बंगला बस्ती, सुल्तानविड रोड, तरनतारन रोड, पंजाब रोडवेज डिपो।