आइसीपी अटारी के कुली ईपी फंड को लेकर खोलेंगे मोर्चा
इंटेग्रेटेड चेक पोस्ट के कुलियों को सुविधाएं नहीं मिल रहीं हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : इंटेग्रेटेड चेक पोस्ट (आइसीपी) के जरिए भारत-अफगानिस्तान कारोबार के पिलर कहे जाने वाले पोर्टरों ने (कुलियों) ईपी फंड को लेकर मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। यहां 1,433 कुली रजिस्टर्ड हैं। मगर ठेकेदार ने ईपीएफ का खाता 877 लोगों का ही खुलवाया है। इन लोगों का पीएफ जमा करवाया गया और ईएसआइ भी काटा गई, लेकिन जब किसी सदस्य को मेडिकल इमरजेंसी की जरुरत पड़ी तो ठेकेदार ने इन्हें ईएसआइ का नंबर ही नहीं दिया।
अटारी के गुरसाहिब सिंह ने बताया कि उसके पिता और वह पोर्टर के रूप में काम करता है। उसके पिता का ईपीएफ खाता खुलवाया मगर ठेकेदार ने उसे यह सुविधा नहीं दी। कोरोना संकटकाल में उसके पिता बीमार हुए तो उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। ठेकेदार से पिता की ईएसआइ नंबर संबंधी जानकारी मांगी, लेकिन नहीं दी। पिता के इलाज पर करीब साढ़े चार लाख रुपये खर्च किए, मगर पिता को बचा नहीं सका। उसने अपनी जमीन पर एडवांस लिया, वहीं दोस्तों-रिश्तेदारों से उधार लिया है।
पीएफ का पैसा लेने के लिए खा रहे दर-दर की ठोकरें
हिद मजदूर यूनियन के प्रधान जसबीर सिंह ठेला ने दिलबाग सिंह बागा, अमन सिंह, काबुल सिंह, शेरा सिंह, अमरीक सिंह, हरभजन सिंह, बूटा सिंह, मेजर सिंह, माइकल मसीह, प्रताप सिंह ने कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है। सभी कुलियों के पीएफ खाते ही नहीं खोले और जिनके खोले उन्हें जरूरत पड़ने पर ईएसआइ का नंबर नहीं दिया। अब पीएफ का पैसा लेने के लिए उन्हें भटकना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि ठेकेदार गुरदियाल सिंह को मेमोरंडम देने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मिला। ठेकेदार का कांट्रेक्ट खत्म हो चुका है। ईपीएफ की राशि दिलाना कांट्रेक्टर की जिम्मेदारी है। उन्होंने आइसीपी अटारी पर तैनात कस्टम अधिकारी को मेमोरंडम दिया, ताकि कांट्रेक्टर के ड्यूज तब तक क्लीयर नहीं किए जाएं, जब तक पोर्टरों का हिसाब नहीं हो जाता। जब कांट्रेक्टर गुरदियाल सिंह के मोबाइल नंबर 82830-00000 पर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि अभी व्यस्त हूं, बाद में काल करता हूं, कहकर फोन काट दिया।