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पंजाब में मतांतरण पर चिंता, प्रलोभन और मजबूरी के चलते बढ़े रहे मामले

मतांतरण चिंता के साथ-साथ चिंतन का भी विषय है। सरकार व पुलिस को भी यह देखना चाहिए कि इस कुप्रथा को कौन किस तरह से अंजाम दे रहे हैं। जाहिर है कि उन्हें पैसा व अन्य संसाधन मुहैया करवाए जा रहे हैं।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 12:29 PM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 12:29 PM (IST)
पंजाब में मतांतरण पर चिंता, प्रलोभन और मजबूरी के चलते बढ़े रहे मामले
पंजाब में मतांतरण पर चिंता, प्रलोभन और मजबूरी के चलते बढ़े रहे मामले

चंडीगढ़, ब्यूरो। पंजाब में पाकिस्तान की सीमा से लगते जिलों अमृतसर, गुरदासपुर, पठानकोट, तरनतारन में मतांतरण के मामले बढ़ने से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) व श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह का चिंतित होना स्वाभाविक है। यह चिंता इससे जाहिर होती है कि एसजीपीसी व श्री अकाल तख्त साहिब प्रबंधन ने मतांतरण रोकने के लिए 150 धर्म प्रचार कमेटियों का गठन किया है। इसी तरह राष्ट्रीय सिख संगत ने भी कहा है कि वह मतांतरण रोकने के लिए फिर से अभियान चलाएगी और अखिल भारतीय हिंदू महासभा भी लोगों को जागरूक करने जा रही है। यह समय व मौके की जरूरत भी है।

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पंजाब में ऐसा काफी पहले से होता आ रहा है। सीमावर्ती ही नहीं, अन्य कुछ जिलों से भी ऐसी सूचनाएं मिलती रही हैं, इसके बावजूद इस चलन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसकी वजह यही है कि जो लोग मत परिवर्तन करते हैं उनमें ज्यादातर आर्थिक तंगी का शिकार होते हैं और वे चाहते-न चाहते हुए भी ऐसा करते हैं। जो लोग मतांतरण के लिए प्रेरित कर रहे हैं वे किस तरह इन अभावग्रस्त लोगों की जरूरतें पूरी कर रहे हैं, यह देखा जाना चाहिए। जाहिर है कि उन्हें पैसा व अन्य संसाधन मुहैया करवाए जा रहे हैं। इसलिए जिन धर्म या पंथ के लोग मतांतरित हो रहे हैं, उनके लिए यह चिंता के साथ-साथ चिंतन का भी विषय है।

प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन

साथ ही सरकार व पुलिस प्रशासन को भी यह देखना चाहिए कि इस कुप्रथा को कौन लोग किस तरह से अंजाम दे रहे हैं। हमारा संविधान किसी को भी किसी भी धर्म या पंथ या मत को अपनाने की स्वतंत्रता देता है, लेकिन अगर एक मुहिम के तहत, प्रलोभन इत्यादि देकर ऐसा करवाया जा रहा है तो यह सर्वथा अनुचित है। कई राज्यों में तो इसके खिलाफ कानून तक बने हैं। पड़ोसी राज्य हिमाचल ही इसका उदाहरण है। ऐसी कुप्रथा को सख्ती के साथ रोकना जहां सरकार की जिम्मेवारी बनती है वहीं समाज को भी यह सोचना होगा कि किसी वर्ग की इतनी उपेक्षा न हो, वह इतने अभावों से ग्रस्त न हो कि उसे प्रलोभन देकर कोई भी मत बदलने को विवश कर सके। मतांतरण चिंता के साथ-साथ चिंतन का भी विषय है। सरकार व पुलिस को भी यह देखना चाहिए कि इस कुप्रथा को कौन किस तरह से अंजाम दे रहे हैं।


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