कमीशन का अध्यक्ष ही रेगुलर नहीं, सुपरिटेंडेंट सहित कई पद खाली
। केंद्र सरकार ने उपभोक्ता सुरक्षा एक्ट 2019 तो लागू कर दिया है लेकिन मौजूदा उपभोक्ता फोरम में बहुत बदलाव की जरूरत है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
केंद्र सरकार ने उपभोक्ता सुरक्षा एक्ट 2019 तो लागू कर दिया है, लेकिन मौजूदा उपभोक्ता फोरम में बहुत बदलाव की जरूरत है। उपभोक्ता फोरम को कमीशन का रूप देने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सहित कई अन्य बदलाव किए जाने के बाद ही नए एक्ट को सही मायने में लागू किया जा सकेगा।
अमृतसर उपभोक्ता कमीशन की बात करें तो यहां अध्यक्ष ही रेगुलर नहीं है बल्कि सुपरिटेंडेंट सहित कई अन्य पद भी रिक्त पड़े हुए हैं। करीब पंद्रह लाख की आबादी वाले शहर में नए बने कमीशन के आधारभूत ढांचे को अपग्रेड किया जाना सबसे बड़ी जरुरत है।
पांच सौ से ज्यादा शिकायतों पर हो अलग बैंच : सुरिद्र सैनी
उपभोक्ता मामलों के माहिर एडवोकेट सुरिद्र सैनी कहते हैं कि पांच सौ से ज्यादा शिकायतें होने पर एक अतिरिक्त बैंच होना चाहिए। अमृतसर उपभोक्ता कमीशन में दो हजार से ज्यादा शिकायतें लंबित हैं। तरनतारन उपभोक्ता कमीशन के अध्यक्ष को अमृतसर उपभोक्ता कमीशन की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। इससे जहां शिकायतों पर तेजी से सुनवाई नहीं हो पाती। वहीं कई बार लंबे समय तक चलने वाली सुनवाई से विरोधी पक्ष भी फायदा उठा लेते हैं। इस अदालत में शिकायत पर छह महीने के भीतर फैसला होना चाहिए जबकि कई बार लोगों को दो से तीन साल तक इंतजार करना पड़ता है। इंफ्रास्ट्रक्चर होगा मजबूत : चरणजीत सिंह
अमृतसर उपभोक्ता कमीशन के अध्यक्ष चरणजीत सिंह ने कहा कि उपभोक्ता सुरक्षा एक्ट 2019 को लागू किए जाने के बाद स्थानीय उपभोक्ता अदालतों का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा। उपभोक्ता कमीशन का दायरा बढ़ने के बाद इस अदालत में काम का बोझ और बढ़ेगा। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में अभी कुछ समय लगेगा। उन्होंने कहा कि अमृतसर, मोहाली और जालंधर जैसे बड़े जिलों में रेगुलर कमीशन के साथ एक अतिरिक्त बैंच की जरुरत है, ताकि उपभोक्ताओं की शिकायतों पर छह माह के भीतर फैसला हो सके। पिछले दिनों की गई नियुक्तियां : रचना अरोड़ा
अमृतसर उपभोक्ता कमीशन की सदस्य रचना अरोड़ा ने बताया कि यह ऐसी अदालत है जहां शिकायतकर्ता खुद अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आसानी से पहुंच कर सकता है। इस अदालत की ढांचागत व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पिछले समय के दौरान आठ पदों पर नियुक्तियां की गई हैं। चार पदों की नियुक्तियों को अदालत में चुनौती दी गई। जबकि बाकी चार लोगों में से तीन लोगों ने ज्वाइन किया।