अमृतसर में डोप टेस्ट में चालाकी, यूरिन के बजाय दे गया पानी, दोबारा टेस्ट हुआ तो निकाला नशेड़ी
पंजाब में हथियार लाइसेंस के लिए डोप टेस्ट जरूरी है। ऐसे में एक व्यक्ति ने यूरिन के बजाय टेस्ट के लिए पानी दे दिया। वह पकड़ में आया तो दोबारा टेस्ट हुआ जिसमें वह नशेड़ी निकला।
जेएनएन, अमृतसर। नशे की जकड़ में फंसे लोग हथियार लेकर घूम रहे हैं। जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल में आए एक हथियार धारक ने तो हद कर दी। उसने यूरिन के बजाय कंटेनर में पानी भरकर लेबोरेट्री में भेज दिया। जांच के दौरान लैब स्टाफ को आभास हुआ कि यह यूरिन नहीं पानी है। इसके बाद उक्त शख्स को फोन कर फिर बुलाया गया। अपने सामने यूरिन सैंपल लिया और फिर टेस्टिंग की गई तो पता चला कि यह शख्स तो अव्वल दर्जे का नशेड़ी है।
दरअसल, पंजाब सरकार ने हथियारधारकों व नए आवेदकों का डोप टेस्ट अनिवार्य किया है। इसी कड़ी में पंजाब के सभी सरकारी अस्पतालों में डोप टेस्ट किए जा रहे हैं। मंगलवार को सिविल अस्पताल में वल्ला निवासी अमृतपाल सिंह नामक शख्स आया। उसने लैबोरेट्री स्टाफ से कहा कि उसका डोप टेस्ट कर दें। स्टाफ ने उसे फॉर्म देकर नाम, पता व मोबाइल नंबर भरने को कहा। इसके बाद उसे कंटेनर दिया और एक कर्मचारी को उसके साथ बाथरूम में भेजा। अमृतपाल ने अपने गुप्तांग में प्लास्टिक की पानी से भरी थैली लटका रखी थी। उसने बड़ी चतुराई से कर्मचारी को चकमा देते हुए थैली में छेद किया और कंटेनर में पानी भर दिया। कंटेनर देकर वह वहां से चला गया।
जब कंटेनर से सैंपल लेकर जांच के लिए मशीन में लगाया गया तो स्टाफ को संदेह हो गया, क्योंकि इसका रंग यूरिन जैसा नहीं था। फिर भी स्टाफ ने सैंपल की जांच की। जांच रिपोर्ट में कुछ भी नहीं निकला। ऐसे में स्टाफ ने अमृतपाल को फोन कर लैबोरेट्री आने को कहा। पहले तो वह आने से इंकार करता रहा, पर जब स्टाफ ने कहा कि आपकी रिपोर्ट ठीक नहीं है, तो वह आ गया।
अबकी बार स्टाफ ने उसके साथ तीन कर्मचारियों को बाथरूम में भेजा और यूरिन सैंपल लिया। सैंपल को जांच के लिए मशीन में लगाया। कुछ देर पश्चात रिपोर्ट भी आ गई। सैंपल रिपोर्ट में स्पष्ट था कि उक्त शख्स अफीम सेवन का आदी है। उसके यूरिन में मॉफिन व ड्रामाडोल की मात्रा निकली। स्टाफ ने अमृतपाल को फौरन दबोचा और पुलिस थाने में भेजने की चेतावनी दी। इस पर वह माफी मांगने लगा। स्टाफ ने कहा कि उसने जो किया है वह अपराध है। माफी मांगने पर उसे छोड़ तो दिया गया, उसकी सैंपल रिपोर्ट डीसीपी कार्यालय में भेजी जा रही है। साथ ही उसका असलाह लाइसेंस रद करने की सिफारिश भी की जा रही है।
सिविल अस्पताल में यह पहली घटना नहीं है। इसी वर्ष पंजाब पुलिस का एक कर्मचारी घर से अपनी पत्नी का यूरिन सैंपल लेकर आया था। वहीं यूरिन के बजाय पानी का सैंपल देने की कई घटनाएं हुई। अस्पताल प्रशासन ने गलत सैंपल देने वाले को पुलिस में पकड़वाया, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी ने दी थी ऐसी सलाह
पिछले वर्ष सिविल अस्पताल में ही कार्यरत एक कर्मचारी डोप टेस्ट की जाली रिपोर्ट तैयार करते पकड़ा गया था। मंगलवार की घटना में यह जानकारी मिली है कि स्वास्थ्य विभाग के ही किसी कर्मचारी ने अमृतपाल को सलाह दी थी कि वह यूरिन के बजाय पानी का सैंपल दे दे, ताकि उसकी रिपोर्ट निगेटिव आए।
लैब का स्टाफ सतर्क है : एसएमओ
सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. चरणजीत सिंह का कहना है कि लेबोरेट्री के स्टाफ की सतर्कता से डोप टेस्ट पारदर्शी ढंग से किया जा रहा है। गलत सैंपल देने वालों के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई करे।