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जीएनडीएच में चमकेगा हर वार्ड, दमकेगा परिसर

गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) की सफाई व्यवस्था ठेके पर हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 05:00 AM (IST)
जीएनडीएच में चमकेगा हर वार्ड, दमकेगा परिसर

जासं, अमृतसर: गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) की सफाई व्यवस्था ठेके पर हो गई है। मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग एक निजी कंपनी से अनुबंध कर सफाई का ठेका किया है। बुधवार को कंपनी के कर्मचारी सफाई की कमान संभालेंगे। इससे अब अस्पताल पहले से अधिक चमकेगा। हालांकि नई कंपनी की दस्तक से पहले पुरानी कंपनी के कर्मचारियों को नौकरी जाने का डर सता रहा है। इन कर्मचारियों ने मंगलवार को सांकेतिक रूप में अपना विरोध दर्ज करवाया।

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दरअसल, अस्पताल में नियमित सरकारी कर्मचारियों के 600 पद हैं। जो सफाई कर्मी सेवानिवृत्त हुए, उनके स्थान पर पंजाब सरकार ने नई नियुक्ति नहीं की। इसका परिणाम यह निकला कि 500 से अधिक सफाई कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए और महज 86 कर्मचारी ही शेष बचे। 1200 बेड गुरु नानक देव अस्पताल की वार्ड व चप्पे-चप्पे की सफाई का जिम्मा इन्हें 86 कर्मचारी पर था। लिहाजा अस्पताल की सफाई व्यवस्था चरमरा चुकी थी। अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. केडी सिंह का कहना है कि नियमित सफाई कर्मचारी वार्डों की सफाई ही कर पाते थे। वहीं सुलभ के कर्मचारियों को शौचालयों आदि की सफाई का जिम्मा दिया गया था। अस्पताल में मरीजों को अच्छा माहौल मिले, इसके लिए हम प्रयासरत हैं। एक महीना पहले ही जाने को कह दिया : राजू

वर्ष 2013 में पंजाब सरकार ने सुलभ इंटरनेशनल कंपनी को सफाई का ठेका दिया था। इसी वर्ष दिसंबर तक सुलभ का ठेका था, पर सरकार ने अचानक टेंडर जारी किया और राधाकृष्ण फर्म को सफाई का जिम्मा सौंपा। मंगलवार को सुलभ के कर्मचारियों ने सफाई की, पर नया ठेका होने की जानकारी मिलने पर वे हताश दिखे। सुलभ के सुपरवाइजर राजू के अनुसार उनके साथ 45 कर्मचारी अस्पताल में वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं। सरकार ने दस साल पुराने सभी कर्मचारियों को स्थायी करने की बात कही थी, पर हमें तो नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है। राधाकृष्ण फर्म द्वारा अपने कर्मचारियों को लगाया जाएगा। ऐसे में हम दाने दाने को मोहताज हो जाएंगे। वैसे ही हमें एक महीना पहले ही निकाला जा रहा है। अस्पताल का विस्तार हुआ, सफाई कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई

पिछले दस वर्षों में अस्पताल का तेजी से विस्तार हुआ। डायग्नोस्टिक सेंटर, इंफ्लूएंजा लैब, मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर, मरीजों के ठहरने के लिए सराय, नई वार्डों, मेडिकल कालेज में नए हास्टल, स्टूडेंट्स कांप्लेक्स आदि बनाए गए, पर सफाई सेवकों की कमी लगातार खलती रही। सफाई का नया टेंडर जारी करने से पहले सरकार ने यह स्पष्ट किया था कि जो भी कंपनी इसे हासिल करती है, उसे अस्पताल के कोने-कोने को चमकाना होगा। गंदगी का कहीं एक कण भी नजर नहीं आना चाहिए।


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