आहार में बदलाव और आरामदायक जीवनशैली का करें त्याग : डॉ. वधवा
भारत में आर्थराइटिस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। असल में भारत इस बीमारी की राजधानी बन चुका है। उत्तर भारत में इस बीमारी से ग्रसित लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। यदि आहार में बदलाव और आरामदायक जीवनशैली का त्याग न किया तो यह बीमारी खतरनाक आंकड़ों तक पहुंच जाएगी।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : भारत में आर्थराइटिस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। असल में भारत इस बीमारी की राजधानी बन चुका है। उत्तर भारत में इस बीमारी से ग्रसित लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। यदि आहार में बदलाव और आरामदायक जीवनशैली का त्याग न किया तो यह बीमारी खतरनाक आंकड़ों तक पहुंच जाएगी। यह विचार आइवीवाई अस्पताल के चेयरमैन एंड एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर तथा ऑथोपैडिक सर्जन डॉ. मनुज वधवा ने रविवार को पत्रकार सम्मेलन में रखे।
उन्होंने कहा कि पंजाब में पुरुषों की तुलना में महिलाएं घुटनों के जोड़ों के दर्द का शिकार हो रही हैं। पंजाब में होने वाले कुल ज्वाइंट रिप्लेसमेंट में महिलाओं की संख्या 70 प्रतिशत है। बीस साल के करियर में चालीस हजार मरीजों के घुटनों के जोड़ बदलकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुके डॉ. वधवा ने कहा कि उम्र के बढ़ने के साथ हमारे जोड़ों में मौजूद कार्टिलेज घिसने लगता है। इससे जोड़ों में असहनीय दर्द होता है। अक्सर लोग समय रहते इलाज नहीं करवाते और बाद में उन्हें चलने में परेशानी होने लगती है। हैरानीजनक पहलू यह है कि अब 35 से 40 आयु वर्ग के लोगों को भी घुटनों में दर्द की तकलीफ होने लगी है। पंजाब के अमृतसर व लुधियाना में 100 किलोग्राम के लोगों की संख्या काफी है। ज्यादा वजन से घुटनों की तकलीफ होना स्वाभाविक है।
डॉ. मनुज वधवा ने दावा किया कि वर्तमान में ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के लिए फास्ट इन फास्ट आउट फीको तकनीक बेहद कारगर है। इस तकनीक के जरिए घुटने के उसी हिस्से को बदला जाता है जो पूरी तरह खराब हो चुका होता है। फीको तकनीक से पंद्रह मिनट में ऑपरेशन किया जाता है और इसमें रक्तस्त्राव भी नहीं होता। तीन घंटे बाद मरीज अपने पैरों पर चलने लगता है।
उन्होंने लोगों को सुझाव दिया कि बीमारियों से बचने के लिए अपने खान-पान की आदतों में बदलाव करें। पौष्टिक आहार खाएं, व्यायाम करने के लिए समय निकालें। नहीं तो भविष्य में आपको बीमारियां घेर लेंगी।