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जीएनडीएच में अब नहीं लिया जाएगा 'चंदा'

गुरुनानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में अब मरीजों से चंदा नहीं लिया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 12:12 AM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 12:12 AM (IST)
जीएनडीएच में अब नहीं लिया जाएगा 'चंदा'
जीएनडीएच में अब नहीं लिया जाएगा 'चंदा'

जागरण संवाददाता, अमृतसर : गुरुनानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में अब मरीजों से चंदा नहीं लिया जाएगा। अस्पताल प्रशासन ने चंदा सिस्टम को बंद करने के आदेश जारी किए हैं। विशेषकर गायनी वार्ड में, जहां महिलाओं को डिस्चार्ज करने के नाम पर 100 रुपये वसूले जाते थे, वहां कठोर हिदायतें जारी की गई हैं।

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दरअसल, गायनी वार्ड में गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के पश्चात कुछ डॉक्टर उनके परिजनों से 100-100 रुपये की मांग करते थे। परिजनों से कहा जाता था कि यह पैसा सफाई कर्मचारियों को दिया जाता है, जो चादरें साफ करते हैं। इस बाबत 'दैनिक जागरण' ने शुक्रवार के अंक में विस्तृत समाचार प्रकाशित कर विभाग का ध्यान आकृष्ट करवाया था। अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. जगदेव सिंह कुलार ने शनिवार को आदेश जारी किया है कि मरीजों से किसी तरह का चंदा नहीं लिया जाएगा। यह सरकारी अस्पताल है, जहां मरीजों खासकर गर्भवती महिलाओं का निशुल्क उपचार होता है।

अब लांड्री में जाएंगी चादरें व गंदे कपड़े

पब्लिक हेल्थ विभाग की ओर से सिविल अस्पताल के सामने एक लांड्री स्थापित की गई है। इस लांड्री में सिविल अस्पताल से चादरें व गंदे कपड़े धोकर सुखाकर फिर से अस्पताल भेजे जाते हैं। गुरुनानक देव अस्पताल के लिए भी यही लांड्री निर्धारित की गई थी, पर कपड़े व चादर वहां तक पहुंचाने के लिए अस्पताल के पास वाहन की व्यवस्था नहीं है। डॉ. जगदेव सिंह कुलार ने कहा कि मुझे जानकारी मिली है कि पहले इसी लांड्री में कपड़े भेजे जाते थे। अब हमारे पास वाहन नहीं है। मैंने आज ही वाहन की व्यवस्था करवा दी है। इन कपड़ों को वहीं धुलवाया जाएगा।

अस्पताल में आते हैं आर्थिक दृष्टि से कमजोर मरीज

कुछ डॉक्टरों ने चंदा सिस्टम को सही माना है। उनका कहना है कि सरकार इस अस्पताल की बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं करती, ऐसे में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। चंदे के पैसे से अस्पताल की बेहतरी के काम किए जाते हैं। हालांकि डॉक्टरों का यह तर्क इसलिए ठीक नहीं क्योंकि अस्पताल में आने वाले ज्यादा मरीज आर्थिक दृष्टि से कमजोर होते हैं। बात यदि चंदे की है तो वे डॉक्टर अपने वेतन का कुछ भाग प्रतिमाह अस्पताल के उत्थान के लिए खर्च करें। वैसे कुछेक डॉक्टर ऐसे हैं भी जो अपने वेतन का कुछ हिस्सा अस्पताल के लिए रखते हैं, पर इनकी संख्या मुट्ठी भर है।


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