जलियांवाला बाग पर जनरल डायर की पोती के बयान की कैप्टन ने निंदा की, कहा- यह घिनौना अपराध था
जलियांवाला बाग पर जनरल डायर की पोती के बयान की पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कड़ी निंदा की। कहा कि यह मानवता के खिलाफ घिनौना अपराध था।
जेएनएन, अमृतसर। जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को हुए नरसंहार के जिम्मेंदार माइकल ओ ड्वायर की पोती के दिए गए बयान की मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंंदर सिंह ने कड़ी निंदा की है। माइकल ओ ड्वायर की पोती ने कहा था कि जलियांवाला बाग कांड उस समय होने वाले दंगोंं को रोकने के लिए किया गया था। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कांड मानवता के खिलाफ बहुत ही ज्यादा घिनौना था, इसलिए बाग की मौलिकता को बिगाड़ कर पेश नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उसे संभालने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग की ओर से जलियांवाला बाग को समर्पित जलियांवाला बाग का दुख, इतिहास और साहित्य विषय पर करवाए गए वेबिनार में शामिल हुए थे। वेबिनार का शुभारंभ मुख्यमंत्री ने अपनी स्पीच के साथ किया। उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग कांड के बाद पूरा देश एकजुट हो गया था और हर हाल में अंग्रेजोंं को देश से बाहर निकालने की कोशिश में जुट गया था, क्योंकि अंग्रेज सरकार ने शांतिमय सभा कर रहे भोले-भाले लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे।
उन्होंने कहा कि बहुत ही प्रशंसनीय है कि देश की आजादी के 74वें साल पर इस तरह का वेबिनार आयोजित किया गया है। वहीं, वीसी डाॅ. जसपाल सिंह संधू ने कहा कि जलियांवाला बाग की घटना भारत के लोगों की मानसिकता में अहम स्थान रखती है। इसको केवल छोटे से दंगोंं को दबाने वाली घटना कहना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। जलियांवाला बाग के प्रति ऐसी सोच को बदलने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने शहीद ऊधम सिंह की शहीदी का हवाला देते हुए उनके जज्बे को सलाम किया कि किस तरह से उन्होंने बाग की मिट्टी की कसम खाकर बदला लेनें की ठानी थी।
वेबिनार के दौरान जीएनडीयू की ओर से प्रकाशित किताब रीइमेजिंग जलियांवाला बाग मासएकर को रिलीज किया गया। वहीं, इसके अलावा वेबिनार में शामिल हुए प्रोफेसरो ने इस नरसंहार पर अपने-अपने विचार रखे। इसी दौरान सरमिष्ठा दास गुप्ता ने विक्टोरिया मेेमोरियल हाल के सहयोग के साथ जलियांवाला बाग और रबिंदरनाथ टैगोर की ओर से कत्लेआम के प्रति दी गई प्रतिक्रिया को संभाल कर रखने पर विचार पेष किए। इसके अलावा उन्होंने रबिंदर नाथ टैगोर को कुछ दुर्लभ तस्वीरेंं भी सांझा की।