रेलवे वर्कशाप की कैंटीन एक साल से बंद, खुलने का इंतजार कर रहे कर्मी
पुतलीघर स्थित रेलवे वर्कशाप की कैंटीन पिछले एक वर्ष से बंद है। वह बाहर जाकर महंगे दाम पर खाना खाने को मजबूर हैं। इस कारण रेलवे मुलाजिम काफी परेशान हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : पुतलीघर स्थित रेलवे वर्कशाप की कैंटीन पिछले एक वर्ष से बंद है। वह बाहर जाकर महंगे दाम पर खाना खाने को मजबूर हैं। इस कारण रेलवे मुलाजिम काफी परेशान हैं।
रेलवे की तरफ से यह कैंटीन मुलाजिमों के लिए 'नो प्रॉफिट नो लास' के तहत शुरू की गई थी, जिसमें रेलवे मुलाजिमों को सस्ते दाम पर खाना मिल रहा था। पिछले वर्ष कोरोना के कारण वर्कशाप में बनी इस कैंटीन को एहतियात के तौर पर बंद कर दिया गया। मगर एक वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद इसे अभी तक खोला नहीं गया है। रेलवे मुलाजिमों की मांग है कि इसे जल्द खोलना चाहिए, ताकि वह कैंटीन में बैठकर खाना खा सकें। वर्कशाप में 1800 के करीब मुलाजिम
रेलवे वर्कशाप में मालगाड़ी के डिब्बे बनाने का काम होता है। वर्कशाप की अलग-अलग ब्रांचों में करीब 1800 मुलाजिम ड्यूटी करने आते हैं। इनमें बाहरी राज्यों व अलग-अलग जिलों के लोग भी शामिल हैं। बाहरी जिलों के लोग इस कैंटीन पर ही निर्भर करते हैं क्योंकि सस्ते भाव में उन्हें कैंटीन में खाना मिल जाता है। कैंटीन बंद होने के कारण उन्हें मजबूरन बाहर जाना पड़ रहा है। मुलाजिमों का कहना है कि अब तो ट्रेनें भी चलने लगी हैं। ऐसे में कंटीन को अब खोल देना चाहिए। तीन रुपये में मिलती है चाय
रेलवे वर्कशाप में मुलाजिमों के लिए तीन रुपये में एक कप चाय, खाने की थाली 10 रुपये और वीरवार को पूरी-चने की थाली मिलती है, जिसका रेट 15 रुपये है। वहीं यदि वह बाहर जाकर चाय पीएं तो उन्हें सात रुपये का कप और खाना 50 रुपये से अधिक में मिलता है। अभी कैंटीन खोलना मुश्किल: सीडब्लूएम
सीडब्लूएम विकास आनंद का कहना है कि इस समय कोरोना के जो हालात हैं, उसे देखते हुए कैंटीन को खोलना बहुत मुश्किल है। इसे खोलने के बारे में उच्चाधिकारियों से बातचीत चली थी, लेकिन अब फिर कोरोना बढ़ रहा है। अधिकारियों ने इसे खोलने से साफ इन्कार कर दिया है। अब जैसे हालात सुधरेंगे तो इसे खोलने पर विचार किया जाएगा।