अपराधियों पर नजर रखने वाली 'तीसरी आंख' हुई अंधी
करीब ढाई साल पहले नवंबर 2016 में शहर के विभिन्न रूटों पर पुलिस विभाग ने सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे। कारण शहर में होने वाली किसी भी वारदात को आसानी से ट्रेस किया जा सके। मगर इन ढाई सालों में हालात यह बन चुके हैं कि यह सारे सीसीटीवी बंद हैं। किसी की तार कट चुकी है तो कोई विभाग की अनदेखी के कारण टैक्निकल खराबी पड़ने से बंद हो चुका है।
हरीश शर्मा, अमृतसर
करीब ढाई साल पहले नवंबर 2016 में शहर के विभिन्न रूटों पर पुलिस विभाग ने सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे। कारण, शहर में होने वाली किसी भी वारदात को आसानी से ट्रेस किया जा सके। मगर इन ढाई सालों में हालात यह बन चुके हैं कि यह सारे सीसीटीवी बंद हैं। किसी की तार कट चुकी है तो कोई विभाग की अनदेखी के कारण टैक्निकल खराबी पड़ने से बंद हो चुका है। मगर पुलिस विभाग के अधिकारियों ने कभी भी इन्हें ठीक करवाने की जरूरत नहीं समझी। यहां तक कि इसके लिए कचहरी चौक स्थित सीआरपीसी में कंट्रोल रूम भी बनाया गया था। वह भी हमेशा बंद ही रहता है। यूं भी कह सकते हैं कि कैमरे देखने में तो शहर की शान बढ़ाते हुए लगते हैं, मगर असल में वर्किंग से पूरी तरह बाहर हो चुके हैं। शहर में जब भी कोई बड़ी वारदात हो जाती है तो हमेशा की तरह ही पुलिस को आम लोगों की ओर से लगवाए अपने घर के बाहर कैमरो की मदद लेनी पड़ती है।
40 लोकेशन पर लगे थे 202 कैमरे
अमृतसर में कुल 40 लोकेशन को कैमरे लगाने के लिए चुना गया था। यह सारे कैमरे पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी की ओर से जारी किए गए फंड से लगवाए गए थे। इस तहत 40 लोकेशन पर करीब 202 कैमरे इंस्टाल किए गए थे। इन पर 40 लाख रुपये के करीब खर्चा भी किया गया है। इसके लिए 10 हजार स्केवयर मीटर तार बिछाई थी। 35 एंटिना और 30 पोल लगाए गए थे। यह सारे कैमरे अच्छी क्वालिटी के लगाए गए थे जोकि 360 डिग्री तक घूम कर सभी तरफ नजर रख सकें ताकि किसी भी अपराधिक वारदात में इनक मदद से हल किया जाए। मगर समय के साथ-साथ पुलिस विभाग ने इनके रख-रखाव की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। इसका नतीजा यह है कि ज्यादातर कैमरे बंद पड़े हुए हैं। कंट्रोल रूम में रखी एलईडी भी हर समय बंद ही रहती है। वारदात होने पर पुलिस अधिकारी इधर-उधर झांकने को मजबूर होते है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट अधीन लगेंगे नए कैमरे : डीसीपी
डीसीपी आप्रेशन एंड सिक्योरिटी जगमोहन सिंह ने कहा कि कैमरे जो खराब हुए हैं, उन पर विचार किया जा रहा है। इस पूरे प्रोजेक्ट को स्मार्ट सिटी के अधीन ले लिया गया है। इसलिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधीन ही इन कैमरों का रख-रखाव होना है। नए कैमरे भी लगाए जाने हैं।