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आठ साल बाद शुरू हुई थी कैथ लैब, दो हार्ट प्रोसीजर के बाद बंद

अमृतसर दिल का मर्ज मिटाने के लिए तीन माह पूर्व गुरुनानक देव अस्पताल में स्थापित की गई कैथ लैब पर ताला लटका हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 11:43 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 11:43 PM (IST)
आठ साल बाद शुरू हुई थी कैथ  लैब, दो हार्ट प्रोसीजर के बाद बंद
आठ साल बाद शुरू हुई थी कैथ लैब, दो हार्ट प्रोसीजर के बाद बंद

नितिन धीमान, अमृतसर

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दिल का मर्ज मिटाने के लिए तीन माह पूर्व गुरुनानक देव अस्पताल में स्थापित की गई कैथ लैब पर ताला लटका हुआ है। उद्घाटन के दिन इस लैब में सिर्फ दो मरीजों के हार्ट प्रोसीजर हुए। इसके बाद इसे बंद कर दिया गया।

दरअसल, पंजाब की यह पहली सरकारी कैथ लैब सरकारी उदासीनता की ही भेंट चढ़ गई है। 23 अगस्त को शुरू हुई इस लैब में पहले ही दिन दो मरीजों के हार्ट प्रोसीजर यानी एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी की गई। इसके बाद अस्पताल प्रशासन को इसे बंद करना पड़ा। लैब को बंद करने की कहानी सरकारी उपेक्षा को बानगी है। असल में पीजीआइ चंडीगढ़ व मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग के बीच कैथ लैब को संचालित करने के लिए रेट कांट्रेक्ट नहीं हो पाया। मसलन, हार्ट प्रोसीजर किस रेट पर करना है यह तय नहीं हो सका है। गुरुनानक देव अस्पताल प्रशासन ने रेट कांट्रेक्ट की अर्जी चंडीगढ़ स्थित मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग को भेजी और पीजीआइ चंडीगढ़ को भी, पर न जाने यह अर्जी किसकी मर्जी के कारण अटकी हुई है। इस कागज के टुकड़े पर गौर न होने की वजह से कैथ लैब बंद है।

जीएनडीएच पंजाब का पहला ऐसा सरकारी अस्पताल है, जहां कैथ लैब स्थापित हुई। निसंदेह, इस लैब में सस्ते दाम पर मरीजों को हार्ट प्रोसीजर की सुविधा भी मिल जाती। खास बात यह है कि कैथ लैब प्रोजेक्ट आठ साल बाद जमीन पर उतरा था। आठ साल तक इस लैब को शुरू करने की चर्चाएं ही होती रहीं। वर्तमान में हालात यह हैं कि हृदय संबंधी रोगों का शिकार मरीज कैथ लैब में पहुंचते तो हैं, लेकिन उन्हें निराश होकर लौटना पड़ रहा है। पीजीआइ से जीएनडीएच स्टाफ को ट्रे¨नग भी दिलवाई

कैथ लैब संचालित करने के लिए गुरुनानक देव अस्पताल के स्टाफ को पीजीआइ चंडीगढ़ से दो महीने की ट्रे¨नग भी दिलाई गई थी। इनमें कार्डियोथेरेसिस डॉ. राजीव अरोड़ा, डॉ. केएस सिद्धू व टेक्निशिन्स शामिल थे। ट्रे¨नग लेकर लौटे स्टाफ को कैथ लैब की जिम्मेदारी तो सौंपी गई, लेकिन सरकारी नियम के अनुसार रेट कांट्रेक्ट न होने की वजह से ऐसा संभव नहीं हो सका।

हार्ट सर्जन हुए सेवानिवृत्त

कैथ लैब को संचालित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका हार्ट सर्जन डॉ. केएस सिद्धू की थी। वे भी पिछले माह सेवानिवृत्त हो गए हैं। उनके जाने के बाद अब कैथ लैब को बड़ा झटका लगा है। सामाजिक कार्यकर्ता रा¨जदर शर्मा राजू का कहना है कि उम्मीद थी कि लोगों को निजी अस्पतालों में महंगे हार्ट प्रोसीजर नहीं करवाने पड़ेंगे, पर वास्तविक स्थिति यह है कि सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना सरकारी सिस्टम की कछुआ चाल साबित हुई। कैथ लैब में ये सुविधाएं हैं

लैब में कार्डियोलॉजी से संबंधित प्रोसीजन मसलन, एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर और स्टं¨टग की सुविधा है। इस लैब में सर्जिकल ऑस्पेक्ट यानी बाइपास सर्जरी शुरू करने की योजना भी है। कोट. हम पीजीआइ से रेट कांट्रेक्ट कर रहे हैं

स्वास्थ्य सेवा से जुड़े हर सरकारी प्रोजेक्ट को संचालित करने के लिए रेट कांट्रेक्ट करना पड़ता है। कैथ लैब बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है। हार्ट प्रोसीजर करने के लिए अनेकानेक टेस्ट करने पड़ते हैं। इन टेस्टों व प्रोसीजर के लिए हम पीजीआइ से रेट कांट्रेक्ट कर रहे हैं। उम्मीद है कि इसी माह यह औपचारिकता पूरी हो जाएगी। वहीं कैथ लैब में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए भी सरकार को लिखा गया है।

— डॉ. सु¨रदर पाल

मेडिकल सुप¨रटेंडेंट, गुरुनानक देव अस्पताल, अमृतसर।


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