सुखबीर बादल पहले झूठ बोल रहे थे या अब : श्वेत मलिक
। राज्यसभा सदस्य श्वेत मलिक ने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर बादल पर कटाक्ष किया है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
राज्यसभा सदस्य श्वेत मलिक ने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर बादल पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानून लागू होने पर सुखबीर बादल ने मीडिया में इंटरव्यू देकर इसकी सराहना की थी। लेकिन अब अपने राजनीतिक फायदे के लिए ही इसका विरोध कर रहे हैं। सुखबीर बादल या तो पहले झूठ बोल रहे थे या फिर अब झूठ बोल कर किसान आंदोलन में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं।
भाजपा सांसद मलिक ने यह शब्द बुधवार को भाजपा कार्यालय शहीद हरबंस लाल खन्ना स्मारक में बुधवार को जिला भाजपा अध्यक्ष सुरेश महाजन की अगुआई में हुई प्रेस कांफ्रेंस में कहे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पिछले 70 साल से विकास से दरकिनार किसानों को समृद्ध और आर्थिक तौर पर मजबूत देखना चाहती है। यही कारण है कि कृषि संशोधित कानूनों में प्रस्तावित सात संशोधन करने को केंद्र तैयार है। किसान संगठनों को बातचीत का बार-बार निमंत्रण दिया जा रहा है।
मलिक ने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद किसानों के लिए नई-नई नीतियां बनाई गई। मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में डीबीटी के जरिये किसानों के खाते में 6000 रुपये वार्षिक डाले। किसान फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, माइक्रो फूड इंटरप्राइस के तहत वोकल फार लोकल पर जोर दिया। हर्बल खेती को बढ़ावा दिया और मधुमक्खी पालकों के लिए योजनाएं बनाई। आपरेशन ग्रीन के तहत फलों और सब्जियों की खेती करने और आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव किए। केंद्र सरकार ने इस साल खेती उत्पादों का समर्थन मूल्य बढ़ा किसानों को सशक्त करने का कदम उठाया।
उन्होंने कहा कि कृषि कानून लागू होने के बाद एमएसपी लागू रहेगी और मौजूदा अनाज मंडियां पहले की तरह काम करेंगी। किसान अपनी फसल पारंपरिक मंडी या ज्यादा दाम मिलने पर बाहर बेचने को स्वतंत्र हैं। अन्य उत्पादकों की तरह किसानों को भी अपनी उपज का ज्यादा मूल्य हासिल करने का अधिकार है। किसान को नए विकल्प चुनने की आजादी है। नए कानून किसान का हित संरक्षित करने के लिए हैं।
मलिक ने कहा कि किसान अपनी इच्छा के मुताबिक एग्रीमेंट फार्मिंग कर सकता है। इसमें जमीन का नहीं बल्कि फसल का कांट्रेक्ट होगा। उपज का मूल्य फसल काटने से पहले तय होगा। किसानों के भेजे प्रस्तावों में यह स्पष्ट किया गया है। जिन प्रस्तावों पर किसानों को आपत्ति है, सरकार उन पर खुले मन से विचार करने को तैयार है। इसमें बिजली कानून में बदलाव नहीं होगा। नई मंडियों की रजिस्ट्रेशन करने और इसके लिए नियम कानून बनाने का अधिकार प्रदेश के मुख्यमंत्री को दिया गया है। लेकिन राजनीतिक पार्टियों के नुमाइंदे किसानों को गुमराह कर इसका विरोध कर रहे हैं। इस अवसर पर पार्टी के वरिष्ठ नेता राजिदर मोहन सिंह छीना, प्रदेश मीडिया सह-सचिव जनार्दन शर्मा, जिला महामंत्री राजेश कंधारी, हरविदर संधू आदि उपस्थित थे।