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खुद को ईश्वर के साथ जोड़ना ही भक्ति है : अशोक कपूर

समाज सेवक अशोक कपूर लंगर वालों ने सुमिरन दौरान कहा कि भक्ति में बहुत शक्ति होती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 05:40 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 05:42 PM (IST)
खुद को ईश्वर के साथ जोड़ना ही भक्ति है : अशोक कपूर
खुद को ईश्वर के साथ जोड़ना ही भक्ति है : अशोक कपूर

संस, अमृतसर : समाज सेवक अशोक कपूर लंगर वालों ने सुमिरन दौरान कहा कि भक्ति में बहुत शक्ति होती है। भक्ति का तात्पर्य यह है कि खुद को ईश्वर के साथ जोड़ देना, दुनियादारी के रिश्तों के साथ जुड़ जाना भक्ति नहीं है। भक्ति का मतलब पूर्ण समर्थन है। ईश्वर के प्रति निष्ठापूर्वक समर्पित होने वाला सच्चा साधक ही भक्त है। इसके विचारों में पवित्रता हो, जो अहंकार से दूर हो, जो सदा सेवाभाव में मन रखता हो। ऐसे व्यक्ति विशेष को ही भक्तों का दर्जा दिया जा सकता है। नर सेवा में नारायण सेवा की अनुभूति होने लगे। ऐसी अनुभूति ही सच्ची भक्ति कहलाती है। गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं जो पुरुष आकांक्षा से रहित, पवित्र, दक्ष और पक्षपातरहित है, वह सुखों का त्यागी मेरा भक्त मुझे प्रिय है। परंतु अफसोस यह है कि इस दौड़ती भागती और तनाव भरी जिदगी में कई बार प्रार्थना में भगवान से भगवान को नहीं मानते। बल्कि भोग विलास के कुछ संसाधनों से ही खुश हो जाते हैं। भक्ति थी मीरा की, भक्ति थी चैतन्य महाप्रभु की, बुद्ध की, गुरु नानक की और महावीर की। जब सब लोग सो जाएं और उस समय भी जिसके मन में परमपिता को पाने की हुंकार उठे, तो समझे वही सच्चा भक्त है।

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