1.50 करोड़ ठगी केस: बैंक मैनेजर हिस्सा लेकर पास करवाता था फर्जी लोन
बैंक आफ इंडिया (बीआइओ) की सिटी सर्किल में तैनात मैनेजर सिमरनजीत सिंह की करोड़ों रुपये के फर्जी लोन को पास करने के मामले में भूमिका सामने आई है।
नवीन राजपूत, अमृतसर
बैंक आफ इंडिया (बीआइओ) की सिटी सर्किल में तैनात मैनेजर सिमरनजीत सिंह की करोड़ों रुपये के फर्जी लोन को पास करने के मामले में भूमिका सामने आई है। यह जानकारी सात अप्रैल को पकड़े गए कांग्रेस के पूर्व सरपंच जगदीप सिंह और उसके साथी गुरमीत सिंह ने पुलिस रिमांड के दौरान उजागर की है। उधर, पंजाब पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के एसीपी सुशील कुमार ने बताया कि मैनेजर सिमरनजीत सिंह की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापामारी कर रही है। पकड़े गए दो आरोपितों की भनक लगते ही आरोपित मैनेजर अंडरग्राउंड हो गया था। उन्होंने दावा किया है कि पब्लिक मनी की ठगी करने वाले गिरोह के सभी साथियों को जल्द काबू कर लिया जाएगा। कोठी की जगह दिखे प्लाट
पुलिस के फाइनांशियल क्राइम विग ने बताया कि आरोपितों द्वारा जिस प्रापर्टी पर कर्ज पास करवाया गया था, वह उस जगह पर दिखाई ही नहीं दिए। आरोपितों ने अपने दस्तावेजों पर जहां कोठियां दिखाई, वहां प्लाट मिले। एक का तो पूरा पता ही नहीं मिल पाया। टीम ने सारी कालोनी में उस व्यक्ति और जगह को तलाशा लेकिन कुछ नहीं मिला। चौंका देने वाले उगले राज
कांग्रेस के पूर्व सरपंच जगदीप और उसके साथी गुरमीत ने स्वीकार किया है कि बैंक मैनेजर सिमरनजीत सिंह के साथ वह मिले हुए थे। किसी भी लोन में मैनेजर का हिस्सा रखा होता था। आरोपितों ने बताया कि सैंसरा गांव का रंजीत सिंह ही कुलदीप सिंह है। आरोपित ने नाम बदल कर 55 लाख का कर्ज बैंक से लिया था। आरोपित पेशे से डेयरी कारोबार कर रहा है। पूर्व सरपंच ने अपनी जगह पर खुलवाया था बैंक
जांच में सामने आया है कि जगदीप ने साल 2017 में लोहरका रोड स्थित अपनी एक जगह पर ओबीसी बैंक की शाखा खुलवाई थी। आरोप है कि सरपंच ने वहां मैनेजर के साथ मिलकर कई फर्जी खाते भी खुलवाए हैं। उधर, पुलिस रंजीत सिंह, गुरमीत कौर, बावा सिंह उर्फ बिल्ला और डा. कुलवंत सिंह को काबू करने के लिए छापामारी कर रही है। बैंक ने नोडल अफसर किया तैनात
उधर, बैंक आफ इंडिया ने पुलिस की सहायता के लिए एक नोडल अफसर तैनात किया है। वह पुलिस को जांच के दौरान वह उस प्रत्येक दस्तावेज को एकत्र करके मुहैया करवाएगा जिसके मार्फत आरोपितों ने उक्त ठगी ली। एसीपी सुशील कुमार ने बताया कि नोडल अफसर की तैनाती से पुलिस जांच में तेजी आएगी। मामले में पुलिस ने धाराएं बढ़ाई
उधर, मामले की पैरवी कर रहे बैंक के वकील रवि महाजन ने बताया कि उन्हें आरोपितों के खिलाफ कई दस्तावेज मिले हैं। जिनके आधार पर एफआइआर में धोखाधड़ी के अलावा अन्य धाराएं जोड़ी गई हैं। अगर पुलिस सही दिशा में काम करे तो गिरोह के सभी सदस्य जल्द कानून की पकड़ में होंगे। इसके बाद पैसों की वसूली के लिए आरोपितों की संपत्ति कुर्क करवाने की कार्रवाई शुरू होगी।