तहसील में ऐसा हाल: रजिस्ट्री के समय ही इंतकाल के लेते हैं पैसे, पर करते नहीं
तहसील में होने वाली प्रत्येक रजिस्ट्री का इंतकाल अपने आप ही होना चाहिए क्योंकि रजिस्ट्री करवाते वक्त ही इसके लिए राजस्व विभाग इसकी फीस वसूल लेता है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : तहसील में होने वाली प्रत्येक रजिस्ट्री का इंतकाल अपने आप ही होना चाहिए, क्योंकि रजिस्ट्री करवाते वक्त ही इसके लिए राजस्व विभाग इसकी फीस वसूल लेता है। 600 रुपये रजिस्ट्री के साथ ही आनलाइन फीस ली जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी उपभोक्ता को इंतकाल नहीं मिलता है। उसे इंतकाल करवाने के लिए पटवारखाने में धक्के खाने पड़ते हैं।
उपभोक्ता जब अपनी रजिस्ट्री पेपरों पर जमीन का इंतकाल चढ़वाने जाता है तो उसे परेशान किया जाता है। उसे कई-कई महीनों तक दफ्तर के चक्कर लगवाए जाते हैं, बावजूद इसके उसकी जमीन का इंतकाल नहीं होता। ईस्ट मोहन नगर के रहने वाले पवन कुमार के पिता की जगह की रजिस्ट्री कई साल पहले हुई थी। उस समय में उसकी रजिस्ट्री का इंतकाल नहीं हुआ था। पवन कुमार ने कहा कि जमीन के इंतकाल की उसे जब जरूरत पड़ी तो वे हलका पटवारी के पास पहुंचे और इंतकाल दर्ज करने के लिए कहा। एक महीने में उन्होंने पटवारखाने के तीन से चार चक्कर लगाए लेकिन इसके बाद भी इंतकाल नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि जब जमीन की रजिस्ट्री करवाई गई थी तो इंतकाल की फीस तभी जमा करवा दी थी, लेकिन पटवारी ने अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाई, जिसके चलते वह छोटे से काम के लिए धक्के खाता रहा। यह होती है प्रक्रिया
किसी भी लैंड या बिल्डिंग की रजिस्ट्री करवाते समय इसके लिए दस्तावेजों के तीन सेट तैयार किए जाते हैं। सब-रजिस्ट्रार इन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के साथ ही पार्टी की फोटो खींच कर उक्त दस्तावेजों में से एक सेट खरीदार को दे देता है। इसी संपत्ति का एक सेट सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय के रिकार्ड में रख देता है जबकि इसकी तीसरी कापी, जिसे पर्चा रजिस्ट्री भी कहते हैं, आफिस कानूनगो को भेज देता है। आफिस कानूनगो इसे आगे हलका कानूनगो और हलका काननूगो इस दस्तावेज को संबंधित हलके के पटवारी को भेज देता है ताकि इंतकाल दर्ज किया जा सके। इसके बाद रजिस्ट्री का इंतकाल उपभोक्ता को देना होता है। मुकेश कुमार, डिस्ट्रिक रेवेन्यू आफिसर ने कहा कि कोशिश रहती है कि लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो। इस संबंधी सभी आदेश भी दिए गए है कि लोगों के पहल के आधार पर काम करवाए जाए। अगर अभी भी कहीं कोई कमी लगती है तो उन्हे दूर करवाया जाएगा। ऐसा मामला उनके ध्यान में नहीं है, फिर भी वह इिस संबंधी चेक करवा लेंगे, ताकि लोगों को समय पर इंतकाल मिल सके।