Move to Jagran APP

अमृतसर के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं हैं एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन

बारिश का यह मौसम गर्मी से तो सुकून देता है लेकिन इस मौसम में सर्प दंश के मामले बढ़ जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 08:00 AM (IST)
अमृतसर के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं हैं एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन
अमृतसर के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं हैं एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन

नितिन धीमान, अमृतसर: बारिश का यह मौसम गर्मी से तो सुकून देता है, लेकिन इस मौसम में सर्प दंश के मामले बढ़ जाते हैं। जिले की शहरी आबादी में सांपों की संख्या कम है और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक। इन दिनों सर्पदंश के केस सामने आ रहे हैं, पर अफसोस कि जिले के सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन नहीं है। जिले के सिविल अस्पताल में सिर्फ 12 और गुरु नानक देव अस्पताल में 15 इंजेक्शन उपलब्ध हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के प्राइमरी व कम्युनिटी हेल्थ सेंटरों में यह इंजेक्शन ही नहीं है जबकि वहीं सर्पदंश के सर्वाधिक मामले रिपोर्ट होते हैं। सर्पदंश का शिकार व्यक्ति को एक घंटे के भीतर ही एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन लगाना पड़ता है। अब देहात के केंद्रों में इंजेक्शन न होने से मरीज को शहर आना पड़ता है और तब तक काफी वक्त जाया होने पर मरीज की मौत हो सकती है। रसल वाइपर, क्रेटा व किग कोबरा जैसे खतरनाक सांप दिखते हैं यहां

loksabha election banner

जिले में रसल वाइपर, क्रेटा व किग कोबरा जैसे खतरनाक व जहरीली प्रजाति के सांप भी दिखते हैं। इनके काटने से इंसान बीस से पच्चीस मिनट में ही मौत की आगोश में चला जाता है। इसके अलावा 20 प्रकार के अन्य नस्लों के सांप भी हैं, जो ज्यादा जहरीले नहीं है। अधिकतर इन इलाकों में पाए जाते

जिले के झब्बाल, तरनतारन रोड, सुल्तानविड रोड व बाइपास के बाहर स्थित गांवों में सांपों की संख्या अधिक है। बाइपास के अजनाला रोड, लोहारका रोड व बल्ल कलां में सांप निकलते हैं। जिले में रोज दो-तीन मरीज हो रहे रिपोर्ट

जिले में सर्पदंश के प्रतिदिन दो-तीन मरीज रिपोर्ट हो रहे हैं। सर्वाधिक मामले जुलाई से सितंबर के मध्य आते हैं। इस अवधि में बरसाती पानी सांपों की बिल में घुस जाता है, जिस कारण सांप बाहर आ जाते हैं। बाहर आवारा जानवर जैसे कुत्ता व पक्षी इन पर झपटते हैं, इसलिए वे घरों में प्रवेश कर जाते हैं। टीकाकरण अधिकारी को पता ही नहीं इंजेक्शन हैं या नहीं

जब इस संबंधी जिला टीकाकरण अधिकारी डा. रेणु भाटिया के साथ बात की तो उनका कहना था कि उन्हें खुद को मालूम नहीं कि जिले के सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नेक इंजेक्शन है अथवा नहीं। उनका कहना है कि हो सकता है इंजेक्शन न हों। उन्होंने अभी चार्ज संभाला है, इसलिए जानकारी नहीं। सांप के काटने की पहचान

कई मामलों में सांप के काटने के बाद चुभन नहीं होती। इसे ऐसे पहचानें। सांप ने जिस स्थान पर काटा है वहां दांतों के हल्के निशान, हल्की दर्द व चारों तरफ लाली हो सकती है। कटी हुई जगह की त्वचा लचीली हो जाती है और इस पर सूजन आ सकती है। मरीज को बेहोशी होने लगती है। सांस लेने में तकलीफ व खून के धब्बे उभर आते हैं। ये करेंगे तो नहीं फैलेगा जहर

सांपों को पकड़ने वाले अशोक जोशी का कहना है कि जिस जगह पर सांप काट ले, उसके आसपास तीन चार जगह पर रस्सी या जूते का फीता बांध लें। इससे रक्तप्रवाह रुक जाएगा और जहर आगे नहीं फैलेगा। इसके बाद उसी स्थान पर चीरा लगाकर खून को वैक्यूम की मदद से बाहर निकालें। सांप काटे तो क्या करें

- मरीज को सोने न दें।

- जख्म को न छेड़ें और न उसमें कोई कपड़ा बांधें।

- रक्त बहाव नहीं रोकें।

- तंग कपड़े व ज्वेलरी पहनी हो तो उतार दें।

- बर्फ के टुकड़ों को न लगाएं।

- जितनी जल्दी हो सके अस्पताल ले जाकर इंजेक्शन लगवाएं। सावधानी

- घर में चूहों व मेंढकों को न आने दें।

- अनाज भंडारण न करें।

- घर के प्रवेशद्वार के नीचे की खाली स्थान को किसी तरह कवर कर लें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.