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बेड एंड ब्रेक फास्ट स्कीम के नाम पर तथाकथित होटल-गेस्ट हाउस लगा रहे चपत

जागरण संवाददाता, अमृतसर पंजाब हेरिटेज व टूरिज्म बोर्ड ने साल 2013 में बेड एंड ब्रेकफास्ट स्

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 07:39 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 07:39 PM (IST)
बेड एंड ब्रेक फास्ट स्कीम के नाम पर 
तथाकथित होटल-गेस्ट हाउस लगा रहे चपत
बेड एंड ब्रेक फास्ट स्कीम के नाम पर तथाकथित होटल-गेस्ट हाउस लगा रहे चपत

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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पंजाब हेरिटेज व टूरिज्म बोर्ड ने साल 2013 में बेड एंड ब्रेकफास्ट स्कीम लांच कर मध्य वर्गीय परिवारों की आमदन का जरिया बनाने की कवायद की थी। स्कीम में इसके साथ देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को पारिवारिक माहौल देने का भी प्रयास था। लेकिन स्कीम की आड़ में घरों की रजिस्ट्रेशन पर चल रहे तथाकथित होटल व गेस्ट हाउस पंजाब सरकार को ही करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। स्कीम के तहत पटियाला, मोहाली व अमृतसर में प्रथम चरण में रजिस्ट्रेशन की गई थी।

स्कीम के तहत सरकार द्वारा मध्यवर्गीय परिवारों की आय को ध्यान में रखते हुए कई लाभ दिए गए थे। जिसमें बेड एंड ब्रेकफास्ट स्कीम के तहत रजिस्ट्रेशन करवाने वालों को रिहायशी बिजली-पानी की सहूलियत जहां दी गई थी, वहीं वह बिना चेंज आफ लैंड यूज लिए यह काम कर सकते थे। अमृतसर शहर में पर्यटन विभाग द्वारा आरटीआइ के तहत दी गई जानकारी में 39 रजिस्ट्रेशनों का हवाला दिया गया था। आम आदमी पार्टी के जिला प्रधान सुरेश कुमार शर्मा ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि सरकार की योजना के लाभ कथित होटल व गेस्ट हाउस वाले ले रहे हैं। रजिस्ट्रेशन उन्होंने स्कीम के तहत करवाई है, जबकि वह काम कमर्शियल कर रहे हैं। स्कीम में अधिक से अधिक छह कमरों का प्रावधान है, उसमें भी दो कमरे मालिक के लिए आरक्षित हैं। लेकिन स्कीम के नाम पर लोग 15-20 कमरों वाले गेस्ट हाउस व होटल इसी रजिस्ट्रेशन पर करवा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि बिना फिजिकली जांच के रजिस्ट्रेशन देने वाले अधिकारियों पर विभाग कार्रवाई करे और जांच करते हुए पूरे घोटाले का पर्दाफाश करे। उन्होंने कहा कि उनके मुताबिक पिछले सालों में तीनों शहरों में सौ करोड़ से ज्यादा का घपला हुआ है। स्कीम के तहत कुछ इस तरह का था प्रावधान

पंजाब हेरिटेज व टूरिज्म बोर्ड बेड एंड ब्रेक फास्ट स्कीम मीडियम क्लास परिवारों की आमदन बनाने व देसी व विदेशी टूरिस्टों को घर जैसा माहौल देने के लिए लांच की गई थी। इसमें जिस परिवार के पास अपने मकान में छह कमरे बने हैं और वह व्यक्ति अगर चार कमरे टूरिस्टों को किराये पर रहने के लिए देना चाहता है तो वह इस स्कीम में सिर्फ पांच हजार रुपये देकर तीन साल के लिए मान्यता ले सकते हैं। पर्यटक के खाना का रेट प्रबंधकों पर छोड़ा गया था और हर साल वह रेट रिवाइज होने की भी बात कहीं पालिसी में कही गई है।

किसी के पास नहीं पर्यटकों का कोई रिकार्ड नहीं

शर्मा ने बताया कि पिछले पांच सालों में रजिस्टर्ड संस्थानों में टूरिस्ट के रूप में कौन आया, कब तक रहा। इसका कोई रिकार्ड जिला प्रशासन, टूरिज्म बोर्ड और पुलिस के पास नहीं है। जबकि कानून के अनुसार हर महीने इसकी जानकारी पुलिस स्टेशन में देनी बनती है। आरटीआई के जरिये जब टूरिज्म विभाग से टूरिस्ट के ठहरने संबंधी जानकारी मांगी गई तो उन्होंने इस संबंधी में डीसी कार्यालय को जानकारी देने के लिए कहा। डीसी दफ्तर ने पुलिस प्रशासन को यह जानकारी देने के लिए कहा व फिर पुलिस ने दोबारा टूरिज्म विभाग को जानकारी देने के लिए कहा। विभागों का ढीला रवैया आंतरिक सुरक्षा के समक्ष भी बड़ी चुनौती है। स्कीम के तहत दी गई बहुत सहूलियतें

स्कीम को प्रोत्साहित करने के लिए टूरिज्म बोर्ड ने लोगों को रजिस्टर्ड मकान के बिजली का बिल, पानी व सीवरेज के बिल को कमर्शियल की जगह घरेलू रखा हुआ है। विभाग के अधिकारियों ने ही स्कीम का दुरुपयोग किया और अधिकतर रजिस्ट्रेशन उन संस्थानों को दी गई है जिनके मकान में छह से अधिक कमरे हैं। कई केसों में तो फार्म हाउस व हवेली भी रजिस्टर्ड की गई है। इस मान्यता को देने के समय बोर्ड द्वारा सभी शर्ते व नियमों का दरकिनार करते हुए गलत तरीके से जिला अमृतसर में करीब 39 के लगभग मान्यता दी गई है। पूरे पंजाब में स्कीम के तहत रजिस्टर्ड होटल 100 से अधिक ऊपर हो सकते हैं।

पार्किंग तक का प्रावधान नहीं

शर्मा ने कहा कि उनके द्वारा एकत्रित की गई जानकारी के अनुसार यदि कोई रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करता है तो इस स्कीम के नोटिफिकेशन में साफ लिखा है कि जिस जगह के लिए रजिस्ट्रेशन अप्लाई किया है उसके आगे पार्किंग होनी जरूरी है। वॉल सिटी में जिन संस्थानों को रजिस्टर्ड किया गया है, उनमें किसी एक के पास भी पार्किंग की जगह नहीं है। फिर भी ऐसे संस्थानों का रजिस्टर्ड हो जाना यह साबित करता है कि रिश्वतखोरी का बोलबाला रहा है। कोट्स...

हमारे ध्यान में फिलहाल ऐसा कोई मामला नहीं आया है। प्रोजेक्ट को देने वाले अधिकारी छुट्टी पर है, उनके आते ही इसकी जांच करवाई जाएगी और अगर इसमें किसी भी प्रकार की कोई अनियमितता पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।

—प्रतिमा श्रीवास्तव, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर टूरिज्म बोर्ड


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