शिक्षा की अलख जगा रहीं प्रीति
अमृतसर किताबें पढने का शौक तो था लेकिन अनपढ़ता के चलते जब धार्मिक स्थल पर जाकर धार्मिक पुस्तक तो दूर, प्रभू राम नाम का शब्द भी नहीं पढ पाती थी।
संवाद सहयोगी, अमृतसर
किताबें पढने का शौक तो था लेकिन अनपढ़ता के चलते जब धार्मिक स्थल पर जाकर धार्मिक पुस्तक तो दूर, प्रभू राम नाम का शब्द भी नहीं पढ पाती थी। इस कारण शर्म महसूस होती थी, लेकिन मैडम प्रीति सचदेवा की प्रेरणा से शिक्षा विहीन अंधकारमय जीवन को दूर कर जीवन में शिक्षा का उजाला करने का फैसला लिया।
यह कहना है, माधव विद्या निकेतन स्कूल, रणजीत एवेन्यू में 240 बच्चों के साथ फ्री शिक्षा ग्रहण कर रही कांता देवी का, जिन्होंने 49 बसंत देख लेने के बाद 50 साल की उम्र में शिक्षा ग्रहण करने का फैसला लिया।
कांता कहती हैं-अनपढ बंदा सारी उम्र अंधेरे में ही घूमता रहदा है, इसलिए उन्होंने इस उम्र में अंधेरा हटाने का
फैसला लिया। पिछले 6 माह की पढ़ाई के दौरान उन्होंने क,ख, ग.. के बाद अब ¨हदी के अक्षर, व्याकरण को समझना व इन्हें लिखना भी शुरू कर दिया है। उनकी एक बेटी खुद इस फ्री स्कूल में फ्री टयूशन देती है। तीन बच्चों की मां कांता की बड़ी बेटी निशा (29) तो सीकेडी कालेज में पढ़ने के दौरान प्रतिदिन शाम को यहां पढ़ाती भी है। दूसरी बेटी मोनिका व बेटी अवनीश भी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। स्कूल की संचालक प्रीति बारे कांता कहती हैं कि उनके लिए वह रब्ब का रूप हैं। प्रीति ना सिर्फ पढ़ाती हैं बल्कि परिवार की आर्थिक सहायता भी करती हैं। जब-जब जरूरत पड़ती है वह परिवार की सहायता के लिए अपने हाथ आगे बढ़ा देती हैं। कांता के पति प्राइवेट हस्पताल में हैल्पर के तौर पर काम करते हैं। प्रीति सचदेवा ने बताया कि वह 1995 से उक्त स्कूल चला रही हैं। यहां जरूरतमंद परिवारों को फ्री ट्यूशन व मार्गदशर्न प्रदान किया जा रहा है।
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रोटरी क्लब आस्था ने बांटे कैप, फ्रूट व मिठाइयां
सोमवार को रोटरी क्लब आस्था ने उक्त 240 में से 220 स्कूली बच्चों को गर्म कैप, मिठाइयां तथा फ्रूट के पैकेट बांटे। प्रधान ज¨तदर ¨सह पप्पू की अगुवाई में सचिव ममता अरोड़ा व अन्यों ने बच्चों को सामग्री बांटी। प्रधान ज¨तदर ¨सह के अलावा कार्यक्रम की सफलता में संचालक प्रीति सचदेवा, रोटेरियन परमजीत ¨सह, अशोक शर्मा, हरदेश शर्मा ने भी अहम भूमिका निभाई।