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जीएनडीएच की डॉक्टर बोली-तुसी डंगर हो, असी तुहाड्डे नौकर नई

सरकारी अस्पतालों में दाखिल मरीजों की अक्सर यह शिकायत रहती है कि उन्हें दवाएं नहीं मिलतीं या फिर डॉक्टर उनका सही से उपचार नहीं करती। इस बार सरकारी अस्पताल के डॉक्टर पर आरोप लगा है कि उसने मरीज के अटेंडेंट को डंगर यानी पशु कहा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 12:15 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 06:24 AM (IST)
जीएनडीएच की डॉक्टर बोली-तुसी डंगर हो, असी तुहाड्डे नौकर नई
जीएनडीएच की डॉक्टर बोली-तुसी डंगर हो, असी तुहाड्डे नौकर नई

जागरण संवाददाता, अमृतसर : सरकारी अस्पतालों में दाखिल मरीजों की अक्सर यह शिकायत रहती है कि उन्हें दवाएं नहीं मिलतीं। या फिर डॉक्टर उनका सही से उपचार नहीं करते। इस बार तो सरकारी अस्पताल के डॉक्टर की जुबान पर भी लगाम नहीं लगी। आरोप है कि उसने मरीज के अटेंडेंट को 'डंगर' यानी पशु तक कह दिया। आरोप गुरुनानक देव अस्पताल के गायनी वार्ड में कार्यरत एक महिला डॉक्टर पर लगे हैं।

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दरअसल, संगीता नामक महिला की पठानकोट के एक अस्पताल में डिलीवरी हुई थी। संगीता ने बच्ची को जन्म दिया। इसके बाद से ही सांस की तकलीफ शुरू हो गई। परिजन उसे गुरदासपुर स्थित सिविल अस्पताल ले गए, पर वहां भी उसे राहत नहीं मिल पाई। ऐसे में 14 अप्रैल को संगीता को गुरु नानक देव अस्पताल स्थित गायनी वार्ड में भेज दिया गया। संगीता के पति संदीप कुमार के अनुसार इस अस्पताल में डॉक्टर एवं स्टाफ संगीता का ट्रीटमेंट सही ढंग से नहीं कर रहे थे। उनसे दवाएं भी निजी मेडिकल स्टोर से मंगवाई जाती रहीं। वह दुकान पर काम करके परिवार चलाते हैं। महंगी दवाएं खरीदना उनके लिए संभव न था। उन्होंने गायनी वार्ड में कार्यरत डॉ. उपासना से कहा कि वह बाहर से दवाएं नहीं खरीद सकता। आप सरकारी डिस्पेंसरी में जो दवाएं उपलब्ध हैं, वह मंगवा लें। यदि सरकारी डिस्पेंसरी में दवाएं नहीं तो संगीता को छुट्टी दे दें। उनका यह कथन सुनकर डॉ. उपासना भड़क गईं। उसने कहा-तुसी डंगर हो, असीं तुहाड्डे नौकर नई। बार-बार मैंनू तंग न करो।

बाहर से टेस्ट करवा-करवा कर मेरी जेब खाली हो गई

संदीप कुमार के अनुसार डॉक्टर ने उसे इस कदर जलील किया कि उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। सरकारी अस्पताल में डॉक्टर का ऐसा व्यवहार न तो मरीजों के हित में है और न ही सरकार के। संगीता के उपचार के नाम पर डॉक्टर ने हजारों रुपयों के टेस्ट बाहर से करवाए। महंगी दवाएं बाहर से मंगवाईं। उनकी जेब खाली हो चुकी थी और डॉक्टर बार-बार दवाएं बाहर से मंगवाने को मजबूर कर रहे थे। ऐसे हालात में वह क्या करता। इधर, सामाजिक कार्यकर्ता राजिदर शर्मा राजू ने कहा कि अस्पताल के कुछ सरकारी डाक्टरों का व्यवहार मरीजों के प्रति ठीक नहीं है।

झूठ बोल रहा है अटेंडेंट : डॉ. उपासना

डॉ. उपासना ने कहा कि मरीज का अटेंडेंट झूठ बोल रहा है। संगीता को सांस की तकलीफ थी। अस्पताल में दाखिल होने के बाद से ही परिजन जिद कर रहे थे कि उसे छुट्टी दे दो। मरीज की हालत ठीक नहीं थी, इसलिए हम उसे छुट्टी नहीं दे रहे थे। उन्होंने अटेंडेंट से कहा था कि अगर आप जिद कर रहे तो तो लिखकर दो कि हम मरीज को यहां से ले जाना चाहते हैं। इसके अलावा उन्होंने और कुछ नहीं कहा।

शिकायत मिलने पर होगी कार्रवाई : डॉ. शिवचरण

अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. शिवचरण का कहना है कि उन्हें अभी ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। मरीज के अटेंडेंट लिखकर शिकायत दें। यदि आरोपों में सच्चाई हुई तो संबंधित डॉक्टर के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।


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