कूच बिहार ट्रॉफी में दहाड़ेंगे गुरु नगरी के चार शेर
अमृतसर बोर्ड आफ कंट्रोल क्रिकेट इन इंडिया (बीसीसीआई) की तरफ से 19 नवंबर को होने वाले अंडर-19 की कूच बिहार ट्रॉफी 19 नवंबर को शुरू होगी।
हरदीप रंधावा, अमृतसर
बोर्ड आफ कंट्रोल क्रिकेट इन इंडिया (बीसीसीआई) की तरफ से 19 नवंबर को होने वाले अंडर-19 की कूच बिहार ट्रॉफी 19 नवंबर को शुरू होगी। पटियाला में शुरू होने वाले मैच में पंजाब की तरफ से गुरु नगरी अमृतसर के चार शेर गुजरात के खिलाफ दहाड़ेंगे, जिसके लिए टीम पटियाला पहुंच कर खूब पसीना बहा रही है। गुरु नगरी के चारों ही खिलाड़ियों की प्रतिभा को मद्देनजर रखते हुए पिछले दिनों पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन (पीसीए) द्वारा पंजाब की टीम के लिए अमृतसर गेम्स एसोसिएशन (एजीए) के सहयोग से अमृतसर में आयोजित ट्रायलों में खिलाड़ी सलिल अरोड़ा, सुमित शर्मा, अर्जुन पप्पल व दीपांशु चड्ढा को टीम के लिए चयनित किया था।
20 सालों में दिए कई नेशनल व इंटरनेशनल खिलाड़ी
युवराज क्रिकेट अकेडमी के कोच राजन गिल ने बताया कि अंडर-19 के तहत आयोजित होने वाली कूच बिहार ट्रॉफी के लिए पंजाब की टीम में चयनित हुए खिलाड़ी सलिल अरोड़ा, सुमित शर्मा, अर्जुन पप्पल व दीपांशु चड्ढा शुरू से ही उनसे क्रिकेट की को¨चग ले रहे हैं। राजन गिल ने के मुताबिक पंजाब की टीम में चयनित हुए उनके खिलाड़ियों में से तीन खिलाड़ी डीएवी कॉलेज व एक खिलाड़ी डीएवी इंटरनेशनल स्कूल का छात्र है। उन्होंने बताया कि वह साल 1998 से बच्चों को क्रिकेट की को¨चग दे रहे हैं और आज तक उनकी अकेडमी से कई नेशनल व इंटरनेशनल खिलाड़ी निकल चुके हैं। कूच बिहार ट्रॉफी के लिए पंजाब की टीम के लिए लगभग तीन-चार सालों के बाद गुरु नगरी के खिलाड़ियों को शामिल किया गया है, वो भी चार खिलाड़ी हैं, उनके प्रदर्शन से अमृतसर का नाम रोशन होगा।
खेल ही नहीं पढ़ाई में भी अव्वल
कूच बिहार ट्रॉफी के लिए पंजाब की टीम का हिस्सा बने सलिल अरोड़ा, सुमित शर्मा, अर्जुन पप्पल व दीपांशु चड्ढा ने बताया कि वह चारों की खिलाड़ी शुरू से ही कोच राजन गिल से क्रिकेट की बारीकियां सीख रहे हैं। भले ही उनके घर से कोई क्रिकेट के क्षेत्र में नहीं है, मगर उन्होंने क्रिकेट में मिलने वाले नेम-फेम की वजह से क्रिकेट खेलना शुरू किया था। दीपांशु चड्ढा के पिता पेश से डाक्टर हैं और बाकी सभी खिलाड़ियों के परिवारों का आपना कारोबार है। सलिल अरोड़ा ने बताया कि खेल कभी भी उनकी पढ़ाई में रुकावट नहीं बनी और खेल की तरह वह पढ़ाई में भी हमेशा अव्वल ही रहे हैं।