भगवान वाल्मीकि की तपोभूमि श्री रामतीर्थ का मेला शुरू
अमृतसर कार्तिक माह में भगवान वाल्मीकि की तपोभूमि, भगवान श्री राम की चरणधूली, माता सीता की शरन स्थली व लव कुश की जन्म स्थली श्री रामतीर्थ में लगने वाले वार्षिक मेले का आगाज हो गया है।
कमल कोहली, अमृतसर
कार्तिक माह में भगवान वाल्मीकि की तपोभूमि, भगवान श्री राम की चरणधूली, माता सीता की शरन स्थली व लव कुश की जन्म स्थली श्री रामतीर्थ में लगने वाले वार्षिक मेले का आगाज हो गया है। भक्तजन तीर्थ परिसर में नतमस्तक होने के लिए आना शुरू हो गए हैं। 22 नवंबर से तीर्थ परिसर में हजारों की संख्या में भक्तजन आने की संभावना है। वहीं 23 नवंबर को भी कार्तिक पूर्णिमा को भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र सरोवर में स्नान करने के लिए पहुंचेगे। जिला प्रशासन ने मेले को लेकर सभी प्रबंध मुकम्मल कर लिए हैं।
एसडीएम अजनाला रजत ओबराय ने कहा कि मेले में लाखों लोगों की पहुंचने की संभावना है। यात्रियों की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास और सुरक्षा के भी उचित प्रबंध भी किए गए हैं। मेले के दौरान विशेष बसें चलाने हेतु भी निर्णय लिया गया। पवित्र सरोवर की सफाई की जाएगी। श्रद्धालुओं को धार्मिक स्थान की
मर्यादा कायम रखने पर भी जोर दिया गया। बच्चों को पवित्र सरोवर से दूर रखने के लिए हिदायत दी गई है। गोताखोरों व नावों का भी उचित प्रबंध किया गया है।
माता सीता बाउली के पास बने महिला पोने को ठीक करवाने की मांग
मंहत मंजीत गिरि ने कहा कि माता सीता बाउली के नजदीक बना महिलाओं के स्नान के लिए बने पोने की दीवार टूटी हुई हैं। इससे पवित्र सरोवर में स्नान करने में महिलाओं को मुश्किल आती है। इसलिए प्रशासन को इस पोने को जल्द ठीक करवाए।
मेले के दौरान करवाया जाएगा हवन-यज्ञ
भगवान वाल्मीकि श्री धुन्ना साहिब ट्रस्ट के चेयरमैन ओम प्रकाश गब्बर तथा मंहत मलकीत नाथ ने कहा कि 22 नवंबर को मेले की चढ़दी कला के लिए हवन-यज्ञ करवाया जाएगा। पवित्र सरोवर में मछली को सोने की नथ डालकर छोड़ा जाएगा। 22 नवंबर की रात को संत समाज सम्मेलन होगा तथा 23 नवंबर को जरूरतमंद लड़कियों का विवाह करवाया जाएगा। मेले के दौरान भंडारे की विशेष व्यवस्था की गई है।
परिक्रमा में नहीं लगाई जाए फड़ियां
भगवान वाल्मीकि श्री धुन्ना साहिब के ट्रस्ट के चेयरमैन ओम प्रकाश गब्बर ने कहा कि प्रशासन को अवगत करवाया गया है कि तीर्थ परिसर की परिक्रमा में किसी तरह की फड़ी नही लगाई जाए। ना ही जुआ खेलने वाली गेमों को परिक्रमा में लगाया जाए। इस समय शौचालयों का बुरा हाल है।
जिससे श्रद्धालुओं को समस्या आ सकती है। श्री रामतीर्थ श्राइन बोर्ड के प्रबंधको को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
भक्तों ने टेका माथा, की पूजा-अर्चना
बुधवार को मेले में पहुंचे भक्तजनों ने भगवान वाल्मीकि श्री धुन्ना साहिब, माता सीता कुटिया, मंदिर लवकुश पाठशाला व माता सीता बाऊली व तीर्थ परिसर में बने अन्य मंदिरों में नतमस्तक होकर परिवार की सुख-शांति की कामना की। श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में स्नान किया। वहीं महिलाओं ने माता सीता बाउली में स्नान करके पूजा-अर्चना की। भक्तजन तीर्थ परिसर में ईटों का घर बना कर अपना घर होने की मन्नत मांगते हुए दिखाई दिए।
जालंधर से आए एना निवासी कपूरथला चौक लीला, ऊषा रानी, रुचि तथा गोकुल एवेन्यू से आए रोशन लाल, मोनिका, शमी, कविता, पीहू, ऋतिक ने बताया कि वह हर वर्ष मेले में आते हैं। इस तीर्थ से सभी की मनोकामना पूरी होती है। भक्तजनों ने तीर्थ परिसर में मिश्री, नारियल, गुलली डंडे तथा अन्य पूजा सामग्री अर्पित की।
मुख्यद्वार पर मेटल डिटेक्टर नहीं, पुलिस सुरक्षा में दिखे छेद
भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज के हैप्पी भील ने कहा कि सरकारी तौर पर शुरू हुए मेले में तीर्थ परिसर में सुरक्षा कर्मी कम ही संख्या कम ही दिखाई दे रही है। वहीं तीर्थ परिसर के मुख्य द्वार पर किसी तरह की मेटल डिटेक्टर नही दिखाई दिए।
श्री रामतीर्थ का इतिहास
अमृतसर से 11 किमी दूर अमृतसर-चोगावा रोड पर प्राचीन व एतिहासिक धार्मिक स्थल भगवान वाल्मीकि की तपोभूमि है। जिसको श्री रामतीर्थ से भी पुकारा जाता है। भगवान श्रीराम द्वारा माता सीता का परित्याग करने के पश्चात महर्षि वाल्मीकि ने उन्हें इसी स्थान पर अपने आश्रम में आश्रय दिया था। यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था। भगवान श्री राम ने अश्वमेघ यज्ञ के लिए घोड़ा छोड़ा था, तब इसी स्थान पर लव-कुश ने उस घोड़े को पकड़ा था और भगवान श्री राम के साथ युद्ध भी किया था। तीर्थ में बने सरोवर का निर्माण श्री हनुमान जी ने किया था। तीर्थ परिसर में भगवान वाल्मीकि, श्री धुन्ना साहिब, लव कुश पाठशाला, माता सीता कुटिया, श्री जगन्नाथपुरी मंदिर, श्री राधा-कृष्ण मंदिर, माता लाल देवी भवन, माता आरती देवा मंदिर, श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, सीता राम-मिलाप मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल स्थित हैं, जो रामायण की याद दिलाते हैं।