रेल हादसा : 21 मृतकों के परिजनों को डीसी व मेयर ने 50-50 हजार के चेक व राशन बांटा
अमृतसर जौड़ा फाटक रेल हादसे में मारे गए 21 मृतकों के परिजनों को रेडक्रास भवन में आयोजित सहायता वितरण समारोह में 50-50 हजार रुपए के चेक एवं राशन प्रदान किया गया।
संवाद सहयोगी, अमृतसर
जौड़ा फाटक रेल हादसे में मारे गए 21 मृतकों के परिजनों को रेडक्रास भवन में आयोजित सहायता वितरण समारोह में 50-50 हजार रुपए के चेक एवं राशन प्रदान किया गया। पंजाब रेडियो यूके द्वारा दी गई सहायता के तहत मेयर करमजीत ¨सह ¨रटू एवं डीसी कमलदीप ¨सह संघा ने उक्त चेक व राशन वितरित किया। मेयर ¨रटू ने कहा कि पंजाब पर जब भी संकट आया है, एनआरआइ
पंजाबियों ने सदैव आगे आकर जरुरतमंदों की मदद की है। यही कारण
है कि पंजाब रेडियो के एमडी सुरजीत ¨सह घुम्मन सहायता प्रदान करने के लिए विशेष तौर से इंग्लैंड से यहां पहुंचे हैं। उन्होंने घुम्मन का आभार जताया। इस मौके पर पीसीएस शिवराज ¨सह बल्ल, सीनियर डिप्टी मेयर रमन बख्शी, डिप्टी मेयर यूनस कुमार मौजूद थे।
नौकरी देने के लिए सर्वे चल रहा है: ¨रटू
मेयर ¨रटू ने कहा कि निगम द्वारा मृतकों के परिजनों को नौकरी प्रदान करने के लिए प्रशासन द्वारा सर्वे जारी है। योग्य लोगों की सूची को प्रशासन द्वारा अंतिम रूप देने के तुरंत बाद नौकरी देने का सिलसिला शुरू कर दिया जाएगा। फिलहाल लोगों की योग्यता व अन्य पैमानों पर
सर्वे का काम जारी है। अभी भी सदमे में रेल हादसे की पीड़ित प्रीति
फोटो नंबर 39
संवाद सहयोगी, अमृतसर
जौड़ा फाटक की प्रीति ( 27) हादसे के 26 दिनों के बाद भी सदमे से उभर नहीं पाई है। उसे नहीं मालूम कि प्रशासन उसे आज क्या सहायता प्रदान कर रहा है। दैनिक जागरण ने जब उससे पूछा कि क्या उन्हें सहायता राशि का चेक मिल गया था। वे सभी बातों का एक ही जवाब देती हैं कि उसके जेठ को मालूम होगा, जेठ का नाम भी वह नहीं बता पाई। वह सिर्फ इतना ही कहती है कि उसका सबकुछ हादसे में उजड़ गया। प्रीति ने घटना को याद करते हुए बताया कि हादसे
में 29 साल के पति अभिषेक , 10 साल के बेटे विरभ व जीजा की मौत हो गई। वह अपने पति के साथ ही रेलवे ट्रैक पर खड़ी थी कि कब गाड़ी
ऊपर से गुजर गई पता ही नहीं चला, उसे कुछ भी याद नहीं है, बस इतना पता है कि कोई भारी चीज लगने से ( ट्रेन हो सकती है) वह बेहोश हो गई थी। प्रीति छोटे बेटे आरूष के साथ रेडक्रास भवन सहायता लेने पहुंची थे। वह 2 घंटे तक गुमसुम बैठी
रही। उसका दो-तीन बार नाम पुकारने के बाद वह सीट से उठी तथा सहायता राशि का चेक हासिल किया।
ऐसा आप के साथ ना हो इसलिए ट्रैक पर ना खडे़ हों : नवप्रीत कौर
हादसे के दौरान रावण बने दिलबीर ¨सह, जो दूसरों को बचाते -बचाते खुद
हादसे का शिकार हो गए थे , की पत्नी नवप्रीत कौर इस बारे कुछ भी टिप्पणी नहीं कर सकी, बार-बार पूछने पर उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसा आप (लोगों) के साथ ना हो, इसलिए खुद ही सावधानी रखे, ट्रैक पर ना चलें। उन्होंने इस तरह के आयोजन करने वालों से कहा कि रेलवे ट्रैक के समीप आयोजनों का क्रम बंद होना चाहिए।