अमृतसर में राजा की तरफ हुआ सिविल सर्जन डा. चरणजीत का राज्याभिषेक, स्टाफ में भी उत्साह
अमृतसर में सिविल सर्जन पद पर आसीन होने वाले डा. चरणजीत सिंह का राज्याभिषेक राजा की तरफ हुआ। इस समारोह में राजपुरोहित और सेना भी उपस्थित थे। राजपुरोहित की भूमिका में कार्यालय में पदस्थ हेड अकाउंटेंट डा. गुरमीत सिंह शामिल हुए।
अमृतसर, नितिन धीमान। जब विभाग में कोई नया अधिकारी आता है तो स्टाफ बेहद उत्साहित होता है। कुछ ऐसा ही अमृतसर में हुआ। हालांकि यह पहली बार हुआ है। सिविल सर्जन पद पर आसीन होने वाले डा. चरणजीत सिंह एकमात्र ऐसे चिकित्सा अधिकारी हैं जिनका राज्याभिषेक हुआ। समारोह में राजपुरोहित भी थे और सेना भी। राजपुरोहित की भूमिका में कार्यालय में पदस्थ हेड अकाउंटेंट डा. गुरमीत सिंह शामिल हुए।
उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच डा. चरणजीत के मस्तक पर तिलक लगाया और उनकी कुर्सी पर भी अभिषेक किया। सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह भी अपना राज्याभिषेक होते देखकर अवाक रह गए। उन्होंने कभी सोचा भी न था कि उनकी ताजपोशी एक राजा की तरह होगी। वैसे सिविल सर्जन को स्वास्थ्य विभाग का मुखी माना जाता है और वर्तमान में कोरोना महामारी से लड़ने व इसकी रोकथाम का जिम्मा भी उनके कंधों पर हैं। सिविल सर्जन का राज्याभिषेक जिले में चर्चा का विषय रहा।
साहब! मुझे हैंडिकेप बना दो
सिविल सर्जन कार्यालय का एक फार्मासिस्ट हैंडिकेप बनना चाहता है। वह सरकारी डाक्टरों के समक्ष प्रस्तुत होकर बार-बार अपील कर रहा है कि उसका हैंडिकेप सर्टिफिकेट बना दो। एक अच्छा भला इंसान हैंडिकेप बनने की जिद पर अड़ा है, यह बात अटपटी सी लगती है। इस कर्मचारी को हैंडिकेप का सर्टिफिकेट हर हाल में चाहिए, ताकि वह अनुकंपा के आधार पर विभाग में एक्सटेंशन का लाभ प्राप्त कर सके।
दरअसल, यह कर्मचारी सेवानिवृत्ति की कगार पर पहुंच चुका है। सेवाकाल में इसका रिकार्ड भी ज्यादा ठीक नहीं रहा। अब इस जुगाड़ में है कि हैंडिकेप का सर्टिफिकेट बनवाकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भेजकर सेवाकाल में वृद्धि पा सके। दूसरी तरफ सरकारी डाक्टर उसे बार-बार न कहकर लौटा रहे हैं। डाक्टरों का तर्क है कि वह हैंडिकेप नहीं है। वह सर्टिफिकेट कैसे जारी कर दें, पर यह अदना सा कर्मचारी राजनेताओं की सिफारिश लगवाकर डाक्टरों पर दबाव बना रहा है।
पहले मां फिर मैं
ईएसआइ अस्पताल में अरसे बाद कुशल चिकित्सा अधीक्षक की तैनाती हुई है। गुरदासपुर से आए डा. राजिंदर अरोड़ा इस अस्पताल की बागडोर संभालेंगे। डा. अरोड़ा ने पदभार ग्रहण करने से पहले अपनी मां को चिकित्सा अधीक्षक की कुर्सी पर विराजमान किया। कहा, मां आपके आशीर्वाद से मैं यहां तक पहुंचा हूं। मां को कुर्सी पर आसीन कर डा. अरोड़ा ने अस्पताल का कार्यभार संभाल लिया।
डा. अरोड़ा पूर्व में अमृतसर सिविल अस्पताल के एसएमओ के पद पर भी रह चुके हैं। उनके कार्यकाल में सिविल अस्पताल कई पुरस्कारों से अलंकृत हुआ। इससे पूर्व ईएसआइ अस्पताल में जितने भी चिकित्सा अधीक्षक तैनात हुए, उन्होंने इस अस्पताल की तरफ सही ढंग से ध्यान ही नहीं दिया। अपने पदभार संभालने के समय डा. अरोड़ा ने मातृप्रेम दर्शाकर यह साबित कर दिया है कि यह कुर्सी उनकी मां है और वह इस अस्पताल में आने वाले हर मरीज को चिकित्सा सेवाओं से लाभान्वित करेंगे।
वीडियो बनाने से अब नफरत
अमृतसर के पूर्व सिविल सर्जन डा. नवदीप सिंह का वीडियो शूट प्रकरण विवादों में रहा। गर्भवती महिला की डिलीवरी करते वक्त डा. नवदीप ने वीडियो बनवाया व इसे प्रसारित कर दिया। इस गलती की उन्हें सजा मिली और फिर उनकी कुर्सी छिन गई। बड़े साहब चंडीगढ़ भेज दिए गए। अब कमरे के कार्नर में बैठकर फाइलों से माथापच्ची करते हैं।
वीडियो प्रकरण के बाद अमृतसर के सेहत अधिकारी सहमे हुए हैं। वे अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए अब वीडियो नहीं बनवाते बल्कि इससे परहेज ही करते हैं। कितना ही उल्लेखनीय कार्य क्यों न किया हो, वीडियो बनवाने की बजाय वे फोटो खिंचवाना पसंद करते हैं। डा. नवदीप के साथ हुई इस घटना से सिविल सर्जन कार्यालय का मास मीडिया विभाग अब तो वीडियो से नफरत करने लगा है। वह मीडिया को सिर्फ फोटो ही जारी कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अधिकारियों का आदेश है कि अब वीडियो मत बनाना।