Kartarpur Corridor की सीधी डगर में अगर-मगर, 20 डॉलर फीस ने सब किए कराए पर फेरा पानी
डेरा बाबा नानक में 600 करोड़ रुपये खर्च कर Kartarpur Corridor तैयार किया गया लेकिन पाकिस्तान की 20 डॉलर की फीस ने सब किए कराए पर पानी फेर दिया।
अमृतसर [विपिन कुमार राणा]। Kartarpur Corridor से श्री करतारपुर साहिब के खुले दर्शन करने की सिख संगत की अरदास 72 साल बाद पूरी हुई। डेरा बाबा नानक में 600 करोड़ रुपये खर्च कर Corridor तैयार किया गया, लेकिन पाकिस्तान की 20 डॉलर की फीस ने सब किए कराए पर पानी फेर दिया। श्रद्धालुओं को Corridor के जरिये पाक जाने के बजाय अटारी-वाघा सीमा से वीजा लेकर पाक जाना बेहतर रास्ता लग रहा है। यह सस्ता भी है और इससे वह एक नहीं अनेक गुरुधामों के दर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा पाकिस्तान में कई दिन ठहर भी सकते हैं।
फीस से उम्मीदों को लगा धक्का
श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर करतारपुर साहिब Corridor खोलने से काफी उम्मीदें थीं। पाकिस्तान द्वारा प्रति श्रद्धालु 20 डॉलर की भारी-भरकम फीस लगाने से ज्यादातर श्रद्धालु नाउम्मीद हुए हैं। इसका सीधा असर Corridor से पाक जाने वाले श्रद्धालुओं पर दिखने लगा है। शुरुआती दिनों में तो सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पाकिस्तान में पांच घंटे के सफर के लिए 20 डॉलर खर्च किए, लेकिन अब उनकी संख्या घटने लगी है।
भारत ने किया था विरोध
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने Corridor शुरू होने से पहले पाक द्वारा लगाई गई 20 डॉलर की फीस भारत सरकार को अदा करने की मांग की थी। एसजीपीसी ने पाकिस्तान से सीधे तौर पर ही 20 डॉलर की फीस माफ किए जाने की मांग रखी। पाकिस्तान अड़ा रहा और उसने फीस माफी से इन्कार कर दिया।
120 रुपये का वीजा लेकर जाना बेहतर: सखीरा
सरबत खालसा के आयोजक जरनैल सिंह सखीरा कहते हैं कि पकिस्तान के टूरिस्ट वीजा की फीस 120 रुपये प्रति व्यक्ति है। इसकी अवधि 14 दिन होती है। वीजा लेकर लाहौर जाने पर यात्री दो हजार रुपये खर्च करके एक साथ वहां के कई गुुरुधामों के दर्शन कर सकते हैं। Corridor के रास्ते गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन करने पर 1,438 रुपये प्रति व्यक्ति देने पड़ते हैं और वह भी अंतरराष्ट्रीय सीमा से सिर्फ 4.19 किलोमीटर दूर तक पाकिस्तान में पहुंचने के लिए। वीजा लेकर अटारी-वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान जाने वाला यात्री कुछ दिन वहां ठहर भी सकता है। Corridor के जरिये करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को पांच घंटे के भीतर वापस लौटना होता है।
करतारपुर साहिब के लिए फीस क्यों : संधू
एसजीपीसी के कार्यालय सचिव हरबीर सिंह संधू ने कहा कि गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा मुद्दा है। पाकिस्तान सरकार को श्रद्धालुओं की भावनाओं को देखते हुए फीस को तत्काल खत्म कर देना चाहिए। वीजा लेकर पाक के अन्य गुरुद्वारों के दर्शन पर कोई फीस नहीं ली जाती, तो गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के लिए फीस क्यों लगाई गई है।
खत्म हो फीस व पासपोर्ट की शर्त
बाबा सतनाम सिंह निहंग मुखी मिसल अटारी के बाबा सतनाम सिंह का कहना है कि श्री करतारपुर साहिब जाने के लिए फीस व पासपोर्ट की शर्त खत्म की जानी चाहिए। सिर्फ आधार कार्ड पर ही श्रद्धालुओं को वहां जाने की इजाजत मिलनी चाहिए। यहां बहुत श्रद्धालु हैं, जो श्री करतारपुर साहिब जाना चाहते हैं, लेकिन उनके पास न तो पासपोर्ट है और न ही वह पाकिस्तान की ओर से लगाई गई 20 डॉलर की फीस अदा करने की ही स्थिति में हैं।
डेरा बाबा नानक के लिए सीधी ट्रेन नहीं, बस सेवा भी कमजोर
डेरा बाबा नानक के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट अन्य बड़े शहरों जैसी नहीं है। यहां सिर्फ अमृतसर से दो ट्रेनें सुबह-शाम आती हैं। इसके अलावा डीएमयू दो चक्कर लगाती है। वॉल्वो बस सेवा नहीं है। जालंधर के बड़े शहर जैसे लुधियाना, जालंधर, अमृतसर से भी सीधी बस सेवा नहीं है। श्रद्धालुओं को बटाला से बस लेनी पड़ती है। इसकी तुलना में वाघा से करतारपुर साहिब पहुंचना काफी आसान है।
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