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Russia Ukraine War: रूस से तेल और गैस खरीदने पर यूक्रेन ने जताई नाराजगी, भारत ने अपनी नीति को किया स्‍पष्‍ट

थाईलैंड की यात्रा पर गये विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि रूस से इनर्जी खरीद के मुद्दे को भारत हमेशा स्पष्ट नीति अपना कर रखा है। भारत सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अपनी जनता को सस्ती दर पर ऊर्जा उत्पाद उपलब्ध कराये।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 09:17 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 09:17 PM (IST)
Russia Ukraine War: रूस से तेल और गैस खरीदने पर यूक्रेन ने जताई नाराजगी, भारत ने अपनी नीति को किया स्‍पष्‍ट
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमेत्रो कुलेबा ।

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रूस से तेल व गैस खरीदने के भारत के फैसले पर पहली बार यूक्रेन ने बहुत ही कड़ा ऐतराज जताया है। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमेत्रो कुलेबा ने यहां तक कहा है कि भारत जितनी तेल रूस से खरीद रहा है, उसमें यूक्रेनवासियों का खून शामिल है। उन्होंने तटस्थ रहने की भारत की नीति पर भी सवाल उठाया है और उम्मीद जताई है कि भारत मौजूदा हालात में यूक्रेन को और ज्यादा खुल कर मदद करेगा। कुलेबा ने पहली बार कुछ भारतीय व पाकिस्तान के मीडियाकर्मियों से बात की, जिसमें भारत को लेकर इस तरह की भावनाओं का जिक्र किया।

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अपने नागरिकों के हितों के लिए जारी रखेंगे रूस से तेल खरीद: जयशंकर

कुलेबा के इस बयान को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कुछ घंटे पहले ही रूस से पेट्रोलियम उत्पाद खरीदने को लेकर भारत की नीति को स्पष्ट किया। थाईलैंड की यात्रा पर गये विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि रूस से इनर्जी खरीद के मुद्दे को भारत हमेशा स्पष्ट नीति अपना कर रखा है। भारत सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अपनी जनता को सस्ती दर पर ऊर्जा उत्पाद उपलब्ध कराये। जयशंकर थाइलैंड में भारतवंशियों से वार्ता करते हुए मंगलवार देर शाम यह बात कही है।

अपनी जनता को अत्याधिक कीमत से बचाने की कोशिश

उन्होंने यह भी कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बहुत ही ज्यादा हैं। यूरोपीय देशों ने रूस से गैस व तेल की खरीद कम करके एशियाई आपूर्तिकर्ताओं से ज्यादा खरीद कर रहे हैं। हालात ऐसी है कि हर देश अपनी जनता को अत्याधिक कीमत से बचाने की कोशिश कर रहा है। भारत की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ दो हजार डॉलर के करीब है और यहां की जनता अत्यधिक कीमत सहन नहीं कर सकती। भारत इसको लेकर रक्षात्मक नहीं है। अमेरिका व कुछ दूसरे देशों की तरफ से भारत के इस फैसले का हो रहे विरोध पर उन्होंने कहा कि हम इस बारे में पारदर्शी हैं और दूसरे देश इसे स्वीकार करेंगे।

अमेरिका, ब्रिटेन व दूसरे यूरोपीय देश जता चुके हैं नाराजगी

जयशंकर ने इस बारे में भारत का रूख पहले भी साफ तौर पर रखा है। रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले पर अमेरिका, ब्रिटेन व दूसरे यूरोपीय देश कई बार नाराजगी या चिंता जता चुके हैं। लेकिन पहली बार यूक्रेन के विदेश मंत्री कुलेबा ने खुल कर यह बात कही है। कुछ चयनित पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने पाकिस्तान के साथ यूक्रेन के रिश्तों का जिक्र किया है और कहा है कि इसमें काफी संभावनाएं हैं।

पाकिस्तान सेना यूक्रेन को उपलब्ध करा रही गोला-बारूद

सनद रहे कि हाल ही में कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह खबर प्रकाशित हुई है कि यूक्रेन की सेना को मदद पहुंचाने में अभी पाकिस्तान की भूमिका बढ़ गई है। पाकिस्तान सेना उन्हें गोला-बारूद उपलब्ध करा रही है। कुलेबा ने कहा है कि, भारत जो सस्ता क्रूड रूस से खरीद रहा है उसे यह समझना होगा कि इसमें यूक्रेनवासियों का खून शामिल है, इसमें यूक्रेन वासियों की मौत शामिल है और इसमें यूक्रेन के बर्बाद शहर शामिल हैं।

भारतीय छात्रों को निकालने में की थी मदद

कुलेबा ने यह भी कहा है कि रूस के हमले के बाद भारतीय छात्रों को यूक्रेन से बाहर निकालने में उनकी सरकार ने पूरी मदद की थी। बताते चलें कि यूक्रेन-रूस युद्ध पर भारत का कहना है कि वह तटस्थ रहने की नीति पर कायम है। जबकि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदने को लेकर नाराज है।

रूस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का असर नहीं

कुछ विदेशी राजनेताओं ने कहा है कि चीन और भारत जितनी मात्रा में रूस से तेल व गैस की खरीद कर रहे हैं उसकी वजह से उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का असर नहीं हो रहा है। फरवरी, 2022 तक भारत कुल क्रूड आयात का 1-2 फीसद ही रूस से ले रहा था, लेकिन जून-जुलाई तक यह आंकड़ा 40-50 फीसद तक पहुंचने के कयास लगाये जा रहे हैं। दूसरी तरफ भारत यूक्रेन को भी कई बार मानवीय आधार पर मदद पहुंचाता रहा है।

चीनी खुफिया पोत पर भारत की नजर

उधर, पड़ोसी देश श्रीलंका में चीन के खुफिया वैज्ञानिक जहाज के डेरा डालने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चिंता जताई है। इस बारे में उनसे जब सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था कि, पड़ोस की गतिविधि से अगर देश की सुरक्षा को लेकर कोई भी चिंता पैदा होती है तो भारत उसकी निगरानी करता है। इससे ज्यादा उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कुछ दिन पहले भी यहीं टिप्पणी की थी।


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