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जब लालकृष्ण आडवाणी को इस IAS ने कहा था- Your time is over sir!

लोकसभा चुनाव और आचार संहिता का पालन करवाना आला अफसरों की बड़ी जिम्मेदारी होती है। आइएएस गौतम गोस्वामी को लोग याद करते हैं उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी को भाषण देने से रोक दिया था।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 02:06 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 12:09 PM (IST)
जब लालकृष्ण आडवाणी को इस IAS ने कहा था- Your time is over sir!
जब लालकृष्ण आडवाणी को इस IAS ने कहा था- Your time is over sir!

पटना [काजल]। लोकसभा चुनाव के इस समय में जब चुनाव प्रचार चरम पर है और जब आचार संहिता का पालन करवाने की जिम्मेदारी की बात आती है तो साल 2004 के चुनाव के समय चर्चा में आए टाइम मैगजीन द्वारा वर्ष 2004 में यंग एशियन एचीवर अवॉर्ड से सम्मानित गौतम गोस्वामी याद आते हैं।

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सात अप्रैल 2004 की उस रात लोकसभा चुनाव प्रचार की गहमागहमी चरम पर थी। पटना के गांधी मैदान में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री एवं देश के गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी की चुनावी सभा हाे रही थी। इसी बीच अचानक मंच पर तत्‍कालीन जिलाधिकारी डॉ. गौतम गोस्‍वामी पहुंचे और आडवाणी से कहा- 'टाइम इज ओवर सर।'

उनके एेसा कहने के साथ ही सबकी नजरें गौतम गोस्वामी पर टिक गई थीं कि ये क्या कह दिया उन्होंने? उस समय आडवाणी माइक पर थे, जबकि मंच पर राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बड़े नेता नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी, शत्रुघ्न सिन्हा, नंदकिशोर यादव और गोपाल नारायण सिंह भी मौजूद थे। 

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दरअसल, चुनाव आयोग का यह साफ दिशा निर्देश था कि रात दस बजे के बाद कहीं भी किसी तरह के लाउडस्पीकर या साउंड बॉक्स का प्रयोग नहीं किया जा सकता। गौतम गोस्वामी ने आदेश का पालन करते हुए मंच पर उस वक्त देश के गृहमंत्री सह उप प्रधानमंत्री की माइक पर हाथ रख दिया था और उन्हें भाषण देने से रोक दिया था।

तब गौतम गोस्वामी की इस कार्रवाई की पूरे देश में चर्चा हुई थी। अपने काम को लेकर चर्चा में रहने वाले गौतम गोस्वामी को प्रतिष्ठित 'टाइम' मैग्जीन ने भी कवर पर जगह दी थी और गौतम गोस्वामी के बारे में लिखा था कि उन्होंने जिस तरह से नियम कानूनों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है उससे जनता के मन में नौकरशाही के भ्रष्ट और अयोग्य होने की  धारणा खत्म हुई है।

लेकिन, इसके एक साल के भीतर ही गौतम गोस्वामी पर बाढ़ राहत में करोड़ों रुपयों के घोटाले के आरोप लगाए गए और उनपर एक लाख का इनाम भी घोषित किया गया। अंततः गौतम गोस्वामी को जेल हो गई और वो निलंबित कर दिए गए और इस कलंक के बाद कैंसर से उनकी मौत हो गई। 

मूलरूप से बिहार के डेहरी अानसोन के रहने वाले गौतम गोस्वामी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से मेडिसिन में स्नातक किया था और फिर परास्नातक करने के बाद सिविल सर्विसेज में जाने का फैसला किया था। 1991 की सिविल सेवा परीक्षा में गौतम ने सातवां स्थान प्राप्त किया था। गोस्वामी की चर्चा लालू प्रसाद यादव के अलग- अलग ठिकानों पर पड़ी छापेमारी के लिए भी होती रही थी। 

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