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Citizenship Amendment Act:सीएए-एनआरसी पर जिद छोड़ राज धर्म का पालन करें पीएम: ममता

Citizenship Amendment Actममता का कहना है कि भाजपा फर्जी वीडियो बनाकर और गलत जानकारी फैलाकर उनकी छवि खराब करने की योजना बना रही है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 05:40 PM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 06:44 PM (IST)
Citizenship Amendment Act:सीएए-एनआरसी पर जिद छोड़ राज धर्म का पालन करें पीएम: ममता
Citizenship Amendment Act:सीएए-एनआरसी पर जिद छोड़ राज धर्म का पालन करें पीएम: ममता

कोलकाता, जागरण संवाददाता। Citizenship Amendment Act: तृणमूल प्रमुख व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और एनआरसी को वापस लेने और राजधर्म पालन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि देश भर में कानून को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर जिद छोड़ कर जिम्मेवारी लेनी होगी, पूरा देश जल रहा है और इस आग को बुझाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

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तृणमूल भवन में सीएए और एनआरसी को लेकर पार्टी के सांसदों और विधायकों के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में ममता ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से अनुरोध करूंगी कि वे जिद छोड़ कर जिम्मेवारी को समझें, पूरा देश जल रहा है। आप केवल भाजपा के प्रधानमंत्री नहीं हैं बल्कि देश के प्रधानमंत्री हैं। इसके अलावा ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी पर छवि धूमिल करने का भी आरोप लगाया। ममता का कहना है कि भाजपा फर्जी वीडियो बनाकर और गलत जानकारी फैलाकर उनकी छवि खराब करने की योजना बना रही है।

23 दिसंबर से 01 जनवरी तक लगातार आंदोलन की घोषणा

तृणमूल प्रमुख ने कहा कि हम जानते हैं क्या करना उचित है और क्या करना अनुचित, तृणमूल कांग्रेस बंद और हिंसा का समर्थन नहीं करती इसलिए हम लगातार शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। सुश्री बनर्जी ने इस दिन 23 दिसंबर से 01 जनवरी 2020 तक लगातार आंदोलन की घोषणा की। ममता ने सोमवार को राज्यव्यापी जुलूस और सभाएं करने के साथ आंदोलन को और अधिक धारदार बनाने का संकेत दिया। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की स्थापना दिवस 01 जनवरी को 'नागरिक दिवस' के रूप में पालन करने को कहा है।

यूएन का उदाहरण देते हुए स्वतंत्र संस्था से जनमत कराने को कहा: ममता

सीएए-एनआरसी पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की निगरानी में जनमत संग्रह कराने वाले बयान पर अपना रूख स्पष्ट करते हुए शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने स्वतंत्र संस्था के जरिए जनमत कराने की बात कही थी और इसका उदाहरण देते हुए मैंने संयुक्त राष्ट्र संघ का उल्लेख किया था, क्योंकि मैं चाहती हूं कि निरपेक्ष विशेषज्ञों की देखरेख में जनमत हो।

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सीएए-एनआरसी के खिलाफ तृणमूल की युवा व छात्र इकाई की ओर से कोलकाता के रानी रासमणि रोड पर आयोजित सभा मंच से बोलते हुए सुश्री बनर्जी ने कहा था कि इसे यूएन व राष्ट्रीय मानवाधिकार की निगरानी में जनमत करानी चाहिए ताकि यह पता चले कि आखिर सीएए-एनआरसी कितने लोगों को मंजूर है।

गुरुवार को ममता ने कहा था-'पूरे देश में जनमत संग्रह हो, आप (पीएम मोदी) नहीं करेंगे। तृणमूल के भी रहने की जरुरत नहीं। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) करेगा, राष्ट्रीय मानवाधिकार के प्रतिनिधि रहेंगे, उन्हें लेकर कमेटी गठित की जाए। हम भी यह देखना चाहते हैं कि आखिर सीएए-एनआरसी कितने लोगों को मंजूर है। हार गए तो इस्तीफा देना होगा, मंजूर है?'

वहीं, इसे लेकर गुरुवार को बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री से बयान वापस लेने की अपील की थी। जबकि भाजपा नेतृत्व की ओर से बयान को आधार बना लगातार मुख्यमंत्री पर निशाना साधा जा रहा है।

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