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Bengal: ममता बनर्जी बोलीं, राज्यपाल जगदीप धनखड़ में शिष्टाचार का अभाव

West Bengal CM Mamata Banerjee. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्यपाल जगदीप धनखड़ प्रचार के भूखे हैं और उनमें शिष्टाचार का अभाव है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 28 Nov 2019 07:11 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 07:11 PM (IST)
Bengal: ममता बनर्जी बोलीं, राज्यपाल जगदीप धनखड़ में शिष्टाचार का अभाव
Bengal: ममता बनर्जी बोलीं, राज्यपाल जगदीप धनखड़ में शिष्टाचार का अभाव

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। West Bengal CM Mamata Banerjee. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर पलटवार करते हुए उन पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि राज्यपाल धनखड़ प्रचार के भूखे हैं और उनमें शिष्टाचार का अभाव है। उनके बयानों व शिष्टाचार को जनता पसंद नहीं कर रही है। मुख्यमंत्री ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जब हम प्रधानमंत्री से मिलते हैं तो वह हमारा हाथ जोड़कर अभिवादन करते हैं। हम भी यही करते हैं। यह शिष्टाचार है। संसद के केंद्रीय कक्ष में हम सीपीआइएम के नेताओं को भी शुभकामनाएं देते हैं, लेकिन ये शख्स..।

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मुख्यमंत्री ने आगे यहां तक कहा कि मैं उनके अच्छे होने की कामना करती हूं। ममता ने जोर देकर कहा कि राज्यपाल में शिष्टाचार की कमी है और उनकी टिप्पणियां लोगों को पसंद नहीं है। ममता राज्यपाल के उन आरोपों का जवाब दे रही थी, जिसमें धनखड़ ने संविधान दिवस पर विधानसभा में आयोजित कार्यक्रम में उनका अपमान करने का आरोप लगाया था। धनखड़ ने बुधवार को ट्वीट कर आरोप लगाया था कि वह मुख्यमंत्री के व्यवहार से स्तब्ध हैं और विधानसभा में उन्होंने किसी तरह का शिष्टाचार नहीं दिखाया।

दरअसल, मंगलवार को विधानसभा में विशेष सत्र को संबोधित करने जब राज्यपाल गए थे तो मुख्यमंत्री के साथ उनका आमना-सामना हुआ लेकिन दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई। दोनों ने एक-दूसरे का अभिवादन तक नहीं किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वहां मौजूद थी और विभिन्न दलों के विधायकों व अतिथियों का स्वागत करतीं दिखीं लेकिन राज्यपाल का नहीं किया। इसी को लेकर राज्यपाल ने सवाल उठाए थे।

वहीं, ममता ने आगे कहा कि 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से उन्होंने कई राज्यपालों के साथ काम किया है। उन्होंने पूर्व राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी का जिक्र करते हुए कहा कि वे भी आरएसएस के आदमी थे। शायद पार्टी के निर्देशों पर एक या दो बार उन्होंने हमारे खिलाफ बोला। लेकिन, कुल मिलाकर स्थिति काबू में प्रबंधनीय थी। हमने कभी उनके साथ झगड़ा नहीं किया।

वहीं, कालीपूजा त्योहार में कालीघाट स्थित उनके आवास पर राज्यपाल के जाने के बारे में पूछ जाने ममता ने कहा कि उन्हें प्रचार की भूख है। कुछ लोगों को लगता है कि अगर मुझे हर दिन टेलीविजन पर नहीं दिखाया जाता है तो मैं अपनी नौकरी खो दूंगी। ममता ने आगे कहा कि राज्यपाल ने मुझे एक पत्र लिखा था जिसमें वह भाईफोटा (भैयादूज) के दिन मेरे घर आना चाहते थे। लेकिन, मैं बचपन से ही सभी जातियों, पंथों और समुदाय के लोगों के साथ एकजुटता दिवस के रूप में भाईफोटा मनाती हूं।

ममता ने कहा कि मैं उनके साथ दिन क्यों बिताऊं। वह किसलिए? जैसा कि वह मेरे पास आना चाहते थे। लेकिन, मैंने उन्हें पत्र लिखकर कहा कि वह उस दिन व्यस्त रहेंगी। इसलिए मैंने उनसे कहा कि वह कालीपूजा पर मेरे घर आने के लिए स्वतंत्र हैं, जैसा कि उस दिन मेरे निवास पर सभी का स्वागत रहता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह शिष्टाचार है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। बुधवार को राज्य के तीन मंत्रियों ने भी पलटवार करते हुए राज्यपाल पद के औचित्य पर ही सवाल उठाया था।

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